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अमेरिका ने 15-20% टैरिफ बढ़ाया तो भारत के एक्सपोर्ट पर कितना होगा असर? SBI रिसर्च रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार अधिशेष (trade surplus) लगातार बढ़ रहा है। साल 2000 में यह सिर्फ 7 अरब डॉलर था, जो 2024 में बढ़कर 45.7 अरब डॉलर हो गया।

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अंशु   
Last Updated- February 17, 2025 | 3:23 PM IST

India-US Reciprocal Tariffs: भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध (trade relationship) लगातार बदल रहे हैं। दोनों देशों की टैरिफ स्ट्रक्चर (tariff structure), ट्रेड पॉलिसियां (trade policies) और आर्थिक फैसले (economic decisions) समय के साथ बदलते रहे हैं। हाल ही में, अमेरिका ने “Fair & Reciprocal Plan” नाम की एक नई पॉलिसी पेश की है, जिसका मकसद इंटरनेशनल ट्रेड में हो रहे घाटे को बैलेंस करना है। इसका मतलब है कि अमेरिका दूसरे देशों से आने वाले सामानों पर ज्यादा टैरिफ (आयात शुल्क) लगा सकता है। हालांकि, SBI रिसर्च की रिपोर्ट बताती है कि इस टैरिफ वृद्धि का भारत पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि भारत ने अपने निर्यात को कई देशों में फैला लिया है और नए बाजार खोज रहा है। इससे व्यापार में गिरावट की भरपाई हो सकती है। इसके अलावा, भारत और अमेरिका के बीच डिफेंस, एनर्जी और तकनीक के क्षेत्र में सहयोग बढ़ रहा है। यह दोनों देशों के आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को और मजबूत बनाएगा।

India vs US: दोनों देशों के बीच बदलता टैरिफ लैंडस्केप

पिछले कुछ वर्षों में भारत और अमेरिका दोनों ने अपने आयात-निर्यात शुल्क (टैरिफ) में बदलाव किए हैं। हालांकि, आंकड़ों से यह साफ होता है कि अमेरिका ने भारत से आने वाले सामानों पर टैरिफ बढ़ाया है, जो 2018 में 2.72% था और 2021 में बढ़कर 3.91% हो गया। 2022 में यह थोड़ा घटकर 3.83% रह गया।

वहीं, दूसरी तरफ भारत ने अमेरिका से आने वाले सामानों पर टैरिफ ज्यादा बढ़ाया है। 2018 में यह 11.59% था, जो 2022 में बढ़कर 15.30% तक पहुंच गया। इससे साफ है कि भारत ने अमेरिका की तुलना में टैरिफ में ज्यादा बदलाव किए हैं।

Source: SBI Research

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अमेरिका ने 15-20% टैरिफ बढ़ाया तो भारत के एक्सपोर्ट पर कितना होगा असर?

SBI रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, अगर अमेरिका भारतीय सामान पर 15-20% तक टैरिफ बढ़ाता है, तो भी इसका भारत के कुल निर्यात पर केवल 3-3.5% तक असर पड़ेगा। इसका कारण यह है कि भारत ने अपनी व्यापार रणनीति को मजबूत और लचीला बना लिया है। इसके पीछे कई वजह हैं…

नए बाजार और व्यापार मार्ग– भारत अब सिर्फ अमेरिका पर निर्भर नहीं है, बल्कि यूरोप और मध्य पूर्व के देशों से भी व्यापार कर रहा है।

बेहतर गुणवत्ता और वैल्यू एडिशन– भारत अपने मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर को मजबूत कर रहा है, जिससे उसके उत्पाद ज्यादा आकर्षक हो रहे हैं।

मजबूत सप्लाई चेन– भारत की व्यापार नीति इतनी मजबूत है कि यह नीतियों में बदलाव के असर को कम कर सकती है।

अमेरिका के साथ भारत का बढ़ता ट्रेड सरप्लस

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार अधिशेष (trade surplus) लगातार बढ़ रहा है। साल 2000 में यह सिर्फ 7 अरब डॉलर था, जो 2024 में बढ़कर 45.7 अरब डॉलर हो गया। अमेरिका अब भी भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार बना हुआ है और वित्त वर्ष 2024 में भारत के कुल निर्यात का 17.7% हिस्सा अकेले अमेरिका को गया।

Source: SBI Research

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निवेशकों को आगे क्या उम्मीद करनी चाहिए?

SBI रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, भारत पर पारस्परिक टैरिफ (Reciprocal Tariffs) का असर अनुमान से कम हो सकता है। हालांकि टैरिफ में बढ़ोतरी संभव है, लेकिन भारत अपनी नीतियों में लचीलेपन, निर्यात में विविधता और रणनीतिक साझेदारियों के जरिए जोखिमों को कम करने की अच्छी स्थिति में है। भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ रहा है। व्यापार, शोध और शिक्षा से जुड़े समझौते दीर्घकालिक स्थिरता लाने में मदद करेंगे।

हालांकि, अमेरिका की टैरिफ नीति भारत के लिए अल्पकालिक चुनौतियां ला सकती है, लेकिन भारत की रणनीतिक आर्थिक नीतियां और मजबूत द्विपक्षीय समझौते यह सुनिश्चित करते हैं कि दोनों देशों के बीच व्यापार संबंध टिकाऊ और लगातार बढ़ते रहेंगे। भारत का ध्यान वैल्यू-एडेड निर्यात, एडवांस तकनीक और मजबूत सप्लाई चेन पर है, जो इन बदलावों से निपटने में मदद करेगा।

First Published : February 17, 2025 | 3:23 PM IST