अगले एक हफ्ते में सरकार उन इकाइयों के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाएगी, जिसके जरिये निर्यात दायित्व पूरा करने में चूक होने पर उसी समय विशेष क्षमादान योजना का लाभ लिया जा सकेगा।
विदेश व्यापार महानिदेशक संतोष कुमार सारंगी ने श्रेया नंदी को बताया कि सरकार समय के साथ छूट आधारित योजनाओं से अलग होने और घरेलू स्तर पर आपूर्ति श्रृंखला को बेहतर बनाने का सोच रही है। संपादित अंश :
निर्यातकों को विदेश व्यापार नीति 2023 का तत्काल क्या फायदे होंगे?
प्रोत्साहन प्रदान कराने और उच्च निर्यात में कोई परस्पर संबंध नहीं है। विचार यह है कि समय के साथ छूट आधारित योजनाओं से अलग होना होगा और घरेलू स्तर पर आपूर्ति श्रृंखला को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करना है। आपूर्ति श्रृंखला पर ध्यान केंद्रित करने के लिए योजनाएं जैसे उत्पादन प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) है। उत्पादन प्रोत्साहन योजना पर अत्यधिक परिव्यय है और विभिन्न क्षेत्रों पर हजारों करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। एक बार यह योजनाएं जमीनी स्तर पर लागू हो जाएंगी तो इसका निर्यात पर सीधा असर नजर आएगा। जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स की प्रोत्साहन आधारित योजना से आयात का विकल्प मिला और निर्यात को प्रोत्साहन मिला है। इससे फायदा हुआ है।
सरकार एक मुश्त छूट योजना को कैसे लागू करेगी? क्या इन मामलों के लिए कोई सीमा मूल्य है?
हम अप्रैल के पहले सप्ताह में ऑनलाइन प्लेटफार्म बनाएंगे । इसका इच्छुक लोग फायदा उठा सकते हैं। वे एक बार पंजीकरण कर लेंगे तो उन्हें छह महीने का समय मिल सकता है। ऐसे ज्यादातर मामले 2009-2014 के हैं। इनके लिए कोई समयसीमा नहीं है। लेकिन जिस व्यक्ति ने शुल्क पर लाभ का फायदा लेकर 10 करोड़ रुपये बचाए थे तो ऐसे में ब्याज सहित देनदारी 30 करोड़ रुपये होगी। लेकिन ऐसे में ब्याज की गणना 10 करोड़ रुपये पर की जाएगी। बचाए गए शुल्क पर 100 फीसदी की सीमा होगी जो 10 करोड़ रुपये ही होगी। ऐसे में अतिरिक्त आकर्षण अतिरिक्त विशेष शुल्क और अतिरिक्त सीमा शुल्क है। शुल्क को बुनियादी सीमा पर लगाया गया था। ऐसे में ब्याज भी नहीं वसूला जाएगा। लिहाजा यह कम होगा।
वस्तु व्यापार सुधार से किन क्षेत्रों को फायदा होगा?
आज की तारीख तक कई कारोबारी विशेष तौर पर सिंगापुर, हांगकांग और दुबई में हैं। ऐसे कारोबारियों वस्तुओं का व्यापार कर रहे हैं। ये तीसरे देश को खरीदने और बेचने के लिए सुविधाएं मुहैया करवाते हैं।
हमारे पास एफटीपी के तहत सुविधाएं नहीं थीं और कई वस्तुएं प्रतिबंधित (निर्यात) थीं। बैंक वस्तु व्यापार समझौते को नहीं मान रहे हैं। उदाहण के तौर पर हमने गेहूं के निर्यात पर आज प्रतिबंध लगा रखा है। यदि कारोबार या मध्यस्थ यूक्रेन या अफ्रीका को गेहूं की आपूर्ति करना चाहता था तो हमारे बैंक इसे स्वीकार नहीं करेंगे। इसका कारण यह है कि इसके एफटीपी में प्रावधान नहीं थे (भारत की सीमाओं को छूए बिना भी कारोबार होने की स्थिति में)। वस्तु व्यापार समझौते में मुद्दे थे और इन्हें एफटीपी में स्पष्ट किए जाने की जरूरत थी। ऐसी स्थिति में हमारे मध्यस्थों को बिना किसी प्रतिबंधों के दूसरे या तीसरे देश से लेनदेन करने की अनुमति मिल जाएगी।
क्या योजना ‘डिस्ट्रिक्ट एज एक्सपोर्ट हब्स’ का रोड मैप है? क्या बजटीय आबंटन है?
हमसे कई निर्यातकों ने संपर्क किया है। उनका कहना है कि उन्हें जिला स्तर पर समस्याओं जैसे बिजली की आपूर्ति निरंतर नहीं है। लिहाजा हमे सोचा कि जिला स्तर पर निर्यात कार्ययोजना बनाना बेहतर होगा। हमने इसके लिए राज्य स्तर पर कार्ययोजानाएं बनाई हैं। इन्हें सीआईई, फिक्की और अन्य एजेंसियों ने बनाया है। लिहाजा जिला टीम की मदद से निचले से ऊपर की ओर योजना बनाना बेहतर होगा।संस्थागत तंत्र विकसित करना होगा। शुरुआत में 75-100 जिलों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।