प्रतीकात्मक तस्वीर । Freepik
BS Infrastructure Summit 2025: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने गुरुवार को बिज़नेस स्टैंडर्ड के पहले इंफ्रास्ट्रक्चर समिट में बोलते हुए फ्लैश चार्जिंग तकनीक से चलने वाली 135 सीटर बस की योजना का खुलासा किया। इस अल्ट्रा-मॉर्डन इलेक्ट्रिक बस में हवाई जहाज जैसी सीटिंग होगी। गडकरी ने कहा कि इन बसों में एयर कंडीशनिंग, आरामदायक सीटें और एयरहोस्टेस की तर्ज पर बस होस्टेस होंगी, जिनकी भूमिका यात्रियों को चाय, कॉफी, फल, पैक्ड फूड और पेय पदार्थ परोसने की होगी।
गडकरी ने कहा कि टाटा ग्रुप के साथ मिलकर विकसित की जा रही यह बस सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस होगी और डीजल से चलने वाली बसों की तुलना में 30% कम किराए पर उपलब्ध होगी।
उन्होंने आगे कहा कि यह पहल भारत के पब्लिक ट्रांसपोर्ट को आधुनिक और ज्यादा आरामदायक बनाने के प्रयासों के साथ जुड़ी है, जिसमें एडवांस्ड इलेक्ट्रिक बसों का विकास भी शामिल है। इसका उद्देश्य यात्रियों के लिए यात्रा को अधिक सुखद अनुभव बनाना है, ताकि लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट को ज्यादा पसंद करें।
मंत्री ने कहा कि इसका पायलट प्रोजेक्ट नागपुर में चल रहा है। टाटा ग्रुप ने इसके लिए कर्नाटक के धारवाड़ में एक नया मैन्युफैक्चरिंग प्लांट भी शुरू कर दिया है। इसके लिए तकनीक सीमेंस (Siemens) और हिताची (Hitachi) से ली गई है।
इन बसों को चलाने का खर्च करीब ₹35-40 प्रति किलोमीटर आंका गया है। फ्लैश चार्जिंग तकनीक की वजह से 40 किलोमीटर की यात्रा पूरी करने के बाद बस एक स्टॉप पर रुकेगी और सिर्फ 40 सेकंड में चार्ज होकर अगले 40 किलोमीटर के लिए तैयार हो जाएगी। गडकरी ने कहा, “यह हमारे ट्रांसपोर्ट सिस्टम में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। लोग दिल्ली से जयपुर, चंडीगढ़ या देहरादून जाने के लिए अपनी कार का इस्तेमाल नहीं करेंगे।”
बिजनेस स्टैंडर्ड इंफ्रास्ट्रक्चर समिट (BS Infra Summit) में गडकरी ने कहा, “हम रोड, ब्रिज और टनल निर्माण में AI लागू करने पर विचार कर रहे हैं। साथ ही प्रीकास्ट तकनीक को अनिवार्य बनाने की योजना भी है।”
प्रीकास्ट तकनीक में कंक्रीट के हिस्सों को साइट के बाहर एक नियंत्रित वातावरण में पहले से तैयार किया जाता है। इसके बाद इन्हें निर्माण स्थल पर लाकर जोड़ा जाता है। इस तकनीक के कई फायदे हैं। इससे निर्माण का समय कम होता है। क्वालिटी पर बेहतर नियंत्रण मिलता है। साथ ही, स्ट्रक्चर की मजबूती और टिकाऊपन भी बढ़ता है।
उन्होंने बताया कि पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन और जलभराव जैसी समस्याओं से निपटने के लिए AI का उपयोग किया जाएगा। उन्होंने कहा, “हिमाचल और उत्तराखंड में भूस्खलन बड़ी चुनौती है। हम AI की मदद से जलभराव और भूस्खलन संभावित स्थानों की पहचान करेंगे और ब्रिज की ताकत की निगरानी भी करेंगे।”
भविष्य की योजनाओं को लेकर सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “मेरा लक्ष्य ग्रीन हाइड्रोजन की कीमत 1 डॉलर प्रति किलो तक लाना है। हाइड्रोजन भविष्य का सबसे महत्वपूर्ण ईंधन है और भारत इसमें वैश्विक नेतृत्व करेगा।”