Economic Survey 2024: मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने आज कहा कि भारत को 2030 तक कृषि से हटकर सालाना लगभग 80 लाख नौकरियां सृजित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कौशल विकास के बारे में अच्छी बात यह है कि पहले हम भारत में उच्च शिक्षा में नामांकन के बारे में चिंतित थे। मगर अब आकांक्षाएं बदल गई हैं और लोग सीखना चाहते हैं।
नागेश्वरन ने कहा कि विभिन्न राज्यों में महिलाओं के लिए प्रतिबंधित गतिविधियों की कुल संख्या 139 है। उन्होंने कहा, ‘जब हम श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की बात करते हैं, तो इनमें से कुछ गतिविधियां राज्यों के दायरे में आते हैं। रोजगार की क्षमता का परीक्षण देने और पास होने वाले लोगों का अनुपात पहले एक तिहाई था जो अब आधे से अधिक रह गया है। आगे चुनौती काफी बड़ी है क्योंकि आधे से कुछ कम लोगों को रोजगार के लायक नहीं माना जाता है। मगर प्रगति पर ध्यान देना भी जरूरी है।’
नागेश्वरन ने कहा कि हमारे देश में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के करों की दरें बदलती रहती हैं। उन्होंने कहा, ‘आखिरकार इस बात के भी निहितार्थ हैं कि हम श्रम से होने वाली आय पर और पूंजी आदि से होने वाली आय पर कर किस तरह लगाते हैं।’
आर्टिफिशल इंटेलिजेंस यानी एआई के प्रभाव को दुनिया भर में अभी भी ठीक से नहीं समझा गया है। नागेश्वरन ने कहा, ‘हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि जब हम एआई को लागू करें तो हम पाठ्यक्रम को नए सिरे से डिजाइन करते हुए उसे एआई के अनुकूल और एआई रोजगार के लायक बनाएं ताकि लोग उसमें भाग ले सकें।’
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि जीसीसी यानी वैश्विक क्षमता केंद्र जैसी नौकरियां निकट भविष्य में आसानी से प्रभावित नहीं होंगी, मगर बिजनेस प्रॉसेस आउटसोर्सिंग की कुछ नौकरियां प्रभावित हो सकती हैं। ऐसे में कुछ समय के लिए भारत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, मगर मध्यावधि में उसके सकारात्मक प्रभाव दिखेंगे।
जब अर्थव्यवस्था के वितीयकरण की रफ्तार अथवा पूंजी बाजारों में वित्तीय नवाचारों की गति आर्थिक विकास से अधिक हो जाती है तो समस्या पैदा होती है। एशियाई वित्तीय संकट इसका उदाहरण है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि डेरिवेटिव उत्पाद, एकल शेयर वाला वायदा आदि काफी अच्छे वित्तीय नवाचार हैं। मगर बचत करने की आदत और पूंजी तैयार करने के लिए बचत की चुनौतियों के मद्देनजर ये अभी शुरुआती अवस्था में हैं।
ग्रीनियम का मुद्दा केवल भारत तक सीमित नहीं है। यह दुनिया भर में सभी ग्रीन बॉन्ड जारी करने वालों को परेशान करता है। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि ऐसा नहीं है कि भारत की पेशकश में कुछ कमी है। हमारी ग्रीन रेटिंग काफी अच्छी है। यह दुनिया भर में निजी पूंजी को आकर्षित करने और यह बताने के लिए है कि ग्रीन परियोजनाओं में हमारी दिलचस्पी है।