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मॉनसून का जल्द आना अच्छी बारिश की गारंटी नहीं

Monsoon: 2009 में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सामान्य से पहले दस्तक दी थी, मगर उसके बाद बारिश की रफ्तार कम हो गई। उस साल करीब 23 फीसदी कम वर्षा के साथ मॉनसून सीजन का समापन हुआ था।

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संजीब मुखर्जी   
Last Updated- May 26, 2025 | 9:16 AM IST

इस साल दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने करीब 8 दिन पहले 24 मई को दस्तक दे दी। सामान्य तौर पर मॉनसून की शुरुआत 1 जून से होती है। मगर यह पूर्वोत्तर भारत में काफी पहले आ गया जो इसकी सामान्य शुरुआत से करीब 12 दिन पहले है। इससे पहले 2009 में मॉनसून ने 23 मई को ही दस्तक दे दी थी।

मगर केरल में मॉनसून के जल्दी आने से इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि देश भर में उसका प्रदर्शन शानदार रहेगा अथवा बारिश का वितरण समान होगा। अतीत में कई ऐसे उदाहरण हैं जब दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने अपनी सामान्य शुरुआत से पहले केरल तट पर पहुंच गया लेकिन बाद में देश भर में उसका प्रदर्शन शानदार नहीं रहा।

मॉनसून की जल्द शुरुआत के बजाय जून से शुरू होने वाले अगले चार महीनों के दौरान बारिश की स्थिति एवं वितरण यह निर्धारित करेगा कि वित्त वर्ष 2026 में कृषि उत्पादन और आर्थिक विकास की दिशा क्या रहेगी। मगर इस बार यह कुछ अलग दिख सकता है क्योंकि मौसम विभाग ने अपने अप्रैल के पूर्वानुमान में कहा था कि 2025 में न केवल बारिश ‘सामान्य से अधिक’ यानी लंबी अवधि के औसत (एलपीए) का 105 फीसदी होगी बल्कि उसका वितरण भी अच्छा रहने का अनुमान है। साल 2009 से अब तक मौसम विभाग की पूर्वानुमान क्षमता में भी काफी सुधार हुआ है।

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वैज्ञानिकों ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की प्रगति कई कारकों पर निर्भर करती है। इनमें बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में कम दबाव वाली स्थिति, समुद्र के ऊपर बारिश वाले बादल और हवाओं की ताकत आदि शामिल हैं।

इससे पहले 2009 में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सामान्य से पहले दस्तक दी थी, मगर उसके बाद बारिश की रफ्तार कम हो गई। उस साल करीब 23 फीसदी कम वर्षा के साथ मॉनसून सीजन का समापन हुआ था। वह पिछले कई दशकों के दौरान दर्ज की गई सबसे कम औसत बारिश थी।

साल 2009 में मॉनसून सीजन के समाप्त होने पर मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, उस साल जून से सितंबर की अवधि में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून एलपीए का 77 फीसदी था। उस दौरान देश के लगभग 60 फीसदी जिलों में बहुत कम या अपर्याप्त बारिश हुई थी। मौसम विभाग ने कहा कि 2009 में मॉनसून ने सामान्य से करीब एक सप्ताह पहले 23 मई को केरल तट पर दस्तक दी थी। इसके बावजूद 8 से 20 जून के दौरान बारिश थम सी गई थी।

उसके बाद यह 3 जुलाई तक पूरे देश को कवर करने के लिए मॉनसून फिर सक्रिय हुआ जबकि उसकी सामान्य तारीख 15 जुलाई है। अगस्त 2009 में मौसम विभाग ने कहा कि बंगाल की खाड़ी में केवल एक कम दबाव का क्षेत्र बना था जो सितंबर के अगले महीने में भी बरकरार रहा।

मौसम विभाग ने उस समय कहा था, ‘वर्षा के कुल वितरण से पता चलता है कि सीजन की शुरुआत में भारी कमी कमी के कारण देश में कुल बारिश पूरे सीजन के दौरान हर सप्ताह सामान्य से 19 फीसदी अथवा इससे अधिक कम रही।’

मौसम विभाग ने स्वीकार किया कि 2009 में पूरे देश में और दक्षिणी प्रायद्वीप को छोड़कर चार अन्य क्षेत्रों में मौसमी वर्षा के लिए दीर्घावधि पूर्वानुमान सटीक नहीं था। मगर उसके 16 साल बाद यानी 2025 में विभाग ने कहा है कि इस साल दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ‘सामान्य से बेहतर’ रहेगा जो एलपीए का 105 फीसदी होगा। विभाग का यह पूर्वानुमान 5 फीसदी घट-बढ़ की मॉडल त्रुटि के साथ है। उम्मीद है कि 2025 में 2009 को दोहराया नहीं जाएगा।

First Published : May 26, 2025 | 8:55 AM IST