Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal (File Photo)
दिल्ली में हाल ही में संपन्न हुए विधान सभा चुनाव में Aam Aadmi Party (आप) को हार का सामना करना पड़ा। राष्ट्रीय राजधानी में 10 वर्षों तक सत्ता में रही Arvind Kejriwal के नेतृत्व वाली आप पिछले चुनाव में मिली 62 सीटों से सीधे 22 पर आ गिरी। इस करारी शिकस्त के बावजूद पार्टी इस बात से इनकार कर रही है कि उसके संगठन में किसी स्तर पर बदलाव होना चाहिए। इस बारे में जब आप की गोवा इकाई के अध्यक्ष अमित पालेकर से बिज़नेस स्टैंडर्ड ने सवाल किया तो उन्होंने सीधे जवाब दिया, ‘कैसा पुनर्गठन? हमें अपनी पार्टी में किसी स्तर पर परिवर्तन की आवश्यकता नहीं है। हमारी सीटें भले कम हो गईं, लेकिन हमारे समर्थक यानी मतदाता आधार अभी भी हमारे साथ है।’
पालेकर कहते हैं कि आप को इस बार दिल्ली विधान सभा चुनाव में 43.57 प्रतिशत वोट मिले हैं। यह वोट शेयर सत्ता में आई भाजपा से महज 4 प्रतिशत ही कम है। अपने राजग सहयोगियों के साथ भाजपा को 47.15 प्रतिशत मत मिले हैं। वैसे आप नेता यह जरूर स्वीकार करते हैं कि उनका वोट शेयर दिल्ली में 10 प्रतिशत खिसक गया है। पार्टी के पक्ष में 2020 के विधान सभा चुनाव में 53.57 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया था। ऐसा क्यों हुआ, इस पर उसे आत्मनिरीक्षण करना होगा। वह यह भी कहते हैं कि आप दिल्ली में भले हार गई, लेकिन उसने जो ईमानदार राजनीति करने का तमगा हासिल किया है, वह उसे आगे भी जारी रखेगी और अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करेगी। पार्टी में अन्य नेता आदर्शवादी कम और व्यावहारिक अधिक हैं। कभी आप का थिंकटैंक रहे डायलॉग ऐंड डेवलपमेंट कमीशन से जुड़े एक नेता कहते हैं कि दिल्ली में पार्टी के शासन का मॉडल शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली पर आधारित है। उन्होंने कहा, ‘पंजाब में भी हमारी सरकार है। अपने राजनीति के मॉडल पर दिल्ली से मिले अनुभव को हम वहां और भी शिद्दत से इस्तेमाल करेंगे।’
आने वाले समय में आप के समक्ष कई और चुनौतियां खड़ी हैं। राजनीतिक मोर्चे पर सबसे बड़ी चुनौती बिहार का विधान सभा चुनाव है, जहां पार्टी के पास कोई वास्तविक राजनीतिक जमा पूंजी नहीं है। इसलिए पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इस बात को लेकर ऊहापोह में है कि बिहार की चुनावी जंग में उतरा जाए या नहीं। इसके बजाय पार्टी को पंजाब, गोवा और गुजरात में संगठन को एकजुट और मजबूत करने तथा दिल्ली में मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
पंजाब में सत्ता में होने के बावजूद हाल ही में हुए चुनावों में आप का प्रदर्शन कोई खास नहीं रहा है। बीते साल नवंबर में बरनाला विधान सभा सीट पर उपचुनाव में उसे कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा। उसे ऐसी शिकस्त उस जगह देखनी पड़ी जो मुख्यमंत्री भगवंत मान, पार्टी प्रदेश अध्यक्ष अमन अरोड़ा और राज्य के वित्त मंत्री हरपाल चीमा का गृह जिला है। यही नहीं, पिछले साल दिसंबर में निकाय चुनावों में भी आप का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं था। वह राज्य की पांच निगमों में से केवल पटियाला में ही स्पष्ट बहुमत हासिल कर सकी। इन चुनावों के बारे में अरोड़ा कहते हैं, ‘हम शून्य पर थे। अब निकाय में हमारे पास 55 प्रतिशत सीटें हैं।’