Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के लैंडर विक्रम (Vikram Lander) ने बुधवार को सफलतापूर्वक चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की। लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) वाला एलएलएम (LLM) ने कल शाम 6 बजकर 04 मिनट पर चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड किया। इसरो के इस मून मिशन की सफलता से भारत अमेरिका, चीन और रूस के बाद चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला चौथा देश बन गया है। साथ ही साउथ पोल पर लैंडिंग करने वाला भारत पहला देश बन गया है।
भारत के इस मिशन के सफल होने से कई प्राइवेट कंपनियों के लिए स्पेस सेक्टर में भी कई नए अवसरों के लिए रास्ता खोल दिया है।
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चंद्रयान-3 मिशन को चांद पर पहुंचाने में कई सरकारी और प्राइवेट कंपनियों ने भी योगदान दिया है। इनमें लार्सन एंड टुब्रो (L&T), केरल स्टेट इलेक्ट्रॉनिक डेवलपमेंट कॉरपोरेशन, भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, सेंटम, पारस, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, बीएचईएल, Linde, MTAR और वालचंद इंडस्ट्रीज शामिल हैं। इन कंपनियों ने इसरो के मून मिशन के लिए कई तरह की टेक्नोलॉजी सप्लाई की है।
बता दें कि करीब 400 कंपनियां इसरो के बड़े वेंडर ईकोसिस्टम का हिस्सा है, जिसमें अनंत टेक्नोलॉजीज लिमिटेज (Ananth Technologies Ltd) और गोदरेज एंड बॉयस (Godrej & Boyce) भी शामिल हैं।
यह कंपनियों ने इसरो के लिए कंपोनेट्स, मटीरियल और फैब्रिकेशन जैसी जरूरतों को पूरा करती हैं।
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आइए, जानते हैं किस कंपनी ने क्या दिया योगदान…
चंद्रयान-3 मिशन को सफल बनाने के लिए प्राइवेट कंपनियों ने काफी अहम भूमिका निभाई है।
लार्सन एंड टुब्रो ने चंद्रयान-3 के लॉन्च वीकल बूस्टर सेंगमेंट्स और सबसिस्टम्स को तैयार किया है। वहीं, बैटरीज की सप्लाई भारत हेवी इलेक्ट्रकिल्स लिमिटेड ने की है।
केरल स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने टेस्ट एंड इवैल्यूएशन सिस्टम को डेवलप किया है, जबकि वालचंद इंडस्ट्रीज ने मिशन कंपोनेंट्स को बनाया है।
मुंबई की कंपनी गोदरेज एंड बॉयस ने चंद्रयान और मंगलयान मिशनों के लिए कंट्रोल मॉड्यूल, लिक्विड प्रपल्शन इंजन और सैटेलाइट थ्रस्टर्स जैसे क्रिटिकल कंपोनेंट्स की सप्लाई की है।
बता दें कि भारत में 2020 में स्पेस सेक्टर को प्राइवेट सेक्टर के पार्टिसिपेशन के लिए खोला था।
साल 2022 में HAL and L&T के कंसोर्टियम को पांच PSLV बनाने के लिए न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड से 860 करोड़ रुपये की डील मिली थी।
चंद्रयान-3 मिशन के सफल होने से प्राइवेट कंपनियों के लिए स्पेस सेक्टर में इन्वेस्ट करने के लिए रास्ते खोल दिए हैं।
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