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Chandan Talkies: सिनेमा जगत की विरासत चंदन टॉकीज अब इतिहास का हिस्सा

पांच दशकों तक मुंबई की मनोरंजन संस्कृति का केंद्र रहे जुहू के चंदन टॉकीज को ध्वस्त किया गया, जहां 1974 में बॉबी का प्रीमियर हुआ और केसरी आखिरी फिल्म थी।

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सुशील मिश्र   
Last Updated- January 09, 2025 | 8:22 PM IST

मनोरंजन और सिनेमा प्रेमियों की धड़कनों का अड्डा माना जाने वाला जुहू का मशहूर चंदन टॉकीज इतिहास के पन्नों में समा गया। सिनेमा जगत की विरासत समझी जाने वाली सिंगल स्क्रीन चंदन टॉकीज 2019 में बिगड़ती परिस्थितियों के कारण बंद हो गया था। अक्षय कुमार की केसरी यहां रिलीज होने वाली आखिरी फिल्म थी। चंदन टॉकीज ने 1974 में राज कपूर की फिल्म बॉबी के भव्य प्रीमियर के साथ अपनी शुरुआत की थी।

70 के दशक से लेकर 2000 के दशक तक सिनेमा प्रेमियों के दिलों में अपनी जगह बनाए रखने वाले चंदन टॉकीज को आज पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया। लगभग पांच दशकों तक चंदन सिनेमा मुंबई की मनोरंजन संस्कृति की आधारशिला के रूप में खड़ा रहा, जब शहर में सिर्फ एक मल्टीप्लेक्स था और इसने सिनेमा देखने वालों की कई पीढ़ियों को अपनी सेवाएं दीं। यह थिएटर, जहां अक्सर पड़ोस की बॉलीवुड हस्तियां आती थीं, 2017 में बिगड़ती परिस्थितियों के कारण बंद हो गया।

दो हफ्ते पहले चंदन टॉकीज को गिराने का काम शुरू हुआ। इसके लिए लंबी कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी पड़ी, क्योंकि यह सैन्य रेडियो ट्रांसमिशन स्टेशन के पास स्थित था और ऊंचाई को लेकर कुछ प्रतिबंध लागू थे। हालांकि, 3,639 वर्ग मीटर की संपत्ति के विकास अधिकार रखने वाले वाधवा समूह ने विस्तृत योजना का खुलासा नहीं किया है, लेकिन सूत्रों ने पुष्टि की है कि एक रिटेल मॉल की योजना बनाई गई है, जो नगर पालिका अधिकारियों से अंतिम अनुमोदन के अधीन है।

30 मार्च 2019 को इसे अधिकारिक तौर पर बंद करने का ऐलान करते हुए चंदन सिनेमा के मालिक समीर जोशी ने बताया था कि यह हमारे लिए बहुत ही भावुक और पुरानी यादों को ताजा करने वाला पल है। हमने बॉबी से शुरुआत की थी। यह हमारे लिए एक लंबा सफर रहा है। हमारी ऑक्यूपेंसी बहुत ज्यादा रही है। लेकिन तब आम लोगों के लिए ज्यादा फिल्में नहीं बनाई जाती थीं और मल्टीप्लेक्स के आने से नई तरह की फिल्में बन रही थीं, इसलिए हमारे यहां दर्शकों का आना बहुत कम हो गया। कुछ साल पहले तक यह हाउसफुल हुआ करता था।

उस समय समीर जोशी ने कहा था कि हम अगले कुछ सालों में नए रूप और अंदाज के साथ आपके सामने आएंगे। समीर जोशी उस वक्त केवल चार साल के थे जब उनके पिता बैजनाथ जोशी ने अपनी पत्नी चंद्रकांता, जिन्हें प्यार से चंदन कहा जाता था, के लिए यह थिएटर बनवाया था। जोशी के अनुसार, इस थिएटर के बनने की कहानी उनके माता-पिता की एक खूबसूरत और अनकही प्रेम कहानी का हिस्सा है।

First Published : January 9, 2025 | 8:22 PM IST