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Baptism by fire: कोलकाता ने अतीत से लिया सबक मगर आग का खतरा है अभी तक

द​क्षिण कोलकाता के एक्रोपॉलिस मॉल की दूसरी मंजिल में लगी आग, मंगलवार को शहर का एक रेस्ट्रो-पब भीषण आग की चपेट में आ गया था

Last Updated- June 14, 2024 | 9:30 PM IST
कोलकाता ने अतीत से लिया सबक मगर आग का खतरा है अभी तक, Kolkata learned lessons from the past but the danger of fire is still there
Representative Image

Baptism by fire: द​क्षिण कोलकाता में एक्रोपॉलिस मॉल की तीसरी मंजिल पर आज भीषण आग लग गई। इस हफ्ते शहर में आग लगने की यह दूसरी बड़ी घटना है। मॉल से दोपहर को धुआं उठना शुरू हुआ और इमारत को फौरन खाली करा लिया गया। लोगों को मॉल से निकालकर पड़ोस में गीतांजलि स्टेडियम भेज दिया गया। आनन-फानन में दमकल की कई गाड़ियां वहां पहुंच गईं और मॉल में लगे कांच के कुछ पैनल तोड़कर धुआं बाहर निकाला गया। दोपहर बाद करीब 3 बजे तक हालात काबू में आ गए।

एक्रोपॉलिस मॉल ने बयान में कहा कि मॉल संभाल रही टीम ने फौरन हरकत में आते हुए बचाव के उपाय किए। धुआं बाहर निकालने वाले यंत्र चालू किए गए, फायर पंप की मदद से आग वाले स्थानों पर पानी छिड़का गया और दमकल विभाग तथा पुलिस को तुरंत सूचना दी गई।

एक्रोपॉलिस मॉल के सीनियर ऑपरेशंस मैनेजर कृष्णा झा ने कहा, ‘हम पिछले 9 साल से मॉल को अच्छी तरह चला रहे हैं और पहले कभी ऐसा कोई हादसा नहीं हुआ है। हम हर तरह से पता लगाएंगे कि आग कैसे लगी और आंतरिक जांच भी कराई जाएगी। शुक्र है कि कोई अनहोनी नहीं हुई।’ कल से मॉल पहले की तरह चलने की उम्मीद है।

शहर में पिछले कुछ दिनों में बड़ी आग की यह दूसरी घटना है। मंगलवार सुबह पार्क स्ट्रीट और कामैक स्ट्रीट चौराहे पर बंद पड़े रेस्टॉ-पब ‘व्हाट्ज इन द नेम’ में आग लग गई थी। यह इलाका कोलकाता का मनोरंजन का अड्डा कहलाता है, जहां कई रिटेल आउटलेट, रेस्तरां, पब आदि हैं।

उस दिन भी दमकल की 15 गाड़ियां फौरन पहुंच गई थीं। इसमें कोई हताहत नहीं हुआ और इमारत में काम कर रहे तीन-चार लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था। आग लगने का सही कारण अभी पता नहीं चला है मगर रेस्तरां की मरम्मत चल रही थी और बताया जा रहा है कि वहां ज्वलनशील सामग्री मिली थी। इस घटना के कारण शहर के इस मुख्य हिस्से में कुछ घंटों तक अफरातफरी रही थी। आसपास की इमारतों को भी खाली करा लिया गया था।

बगल की इमारत पार्क सेंटर में सिक्योरिटी गार्ड मधई मिड्या ने बताया कि हर जगह धुएं का गुबार था। पार्क सेंटर में भी कई दुकानें, रेस्तरां और दफ्तर हैं। हालात कुछ घंटों में सामान्य हो गए मगर अतीत की कुछ यादें डरा गईं।

पुराने हादसे

पार्क स्ट्रीट में आग से सबसे खौफना हादसा स्टीफन कोर्ट में हुआ था, जिसमें 43 लोगों की जान चली गई थी। 1927 में बनी इस इमारत में फ्लरीज, पीटर कैट के मशहूर स्टोर थे और घर तथा दफ्तर भी थे। 2010 में शॉर्ट सर्किट की वजह से इमारत लपटों में घिर गई। दक्षिण कोलकाता के ढाकुरिया में 2011 में आमरी अस्पताल में लगी आग में तो 92 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी।

मगर पार्क स्ट्रीट में स्टीफन कोर्ट हादसे के बाद भी आग लगने की घटनाएं होती रहीं। गनीमत यह रही कि कोई हताहत नहीं हुआ। यहां रेस्टो बार ओलिपब में 2014 और 2019 में दो बार आग लगी। यहीं पर एपीजे हाउस में 2012, 2018 और 2021 में यानी तीन बार आग लग चुकी है।

कड़ाई ने सुधारे हालात

पार्क स्ट्रीट की अ​धिकतर इमारतें पुरानी हैं और उनमें अ​ग्निशमन विभाग के निर्देशों का पूरी तरह पालन करना आसान नहीं है। मगर अ​धिकतर लोग मानते हैं कि स्टीफन कोर्ट हादसे के बाद सख्ती काफी बढ़ी है।

पीटर कैट, मोकैम्बो और पीटर हू? के मालिक नितिन कोठारी ने कहा कि अग्निशमन विभाग समय-समय पर जांच करता है और कभी-कभार तो बिना बताए अचानक मुआयना कर लिया जाता है। उन्होंने कहा, ‘सख्त कानून लागू करने में दमकल विभाग ने शानदार काम किया है।’

नियमों के मुताबिक इमारत के भीतर पानी का टैंक भरे रखना, वाटर स्प्रिंकलर लगाना और स्मोक डिटेक्टर लगाना अनिवार्य है। पार्क स्ट्रीट के एक कमर्शल कॉम्प्लेक्स के सुरक्षा मैनेजर ने कहा कि अ​ग्निशमन विभाग ने नियम काफी बदल दिए हैं।

उन्होंने कहा, ‘अगर हम अनाप​त्ति प्रमाण पत्र के लिए विभाग के पास जाते हैं तो हमें पक्का करना पड़ता है कि इमारत सभी तरह के नियमों पर खरी उतर रही है। नियमों का पालन करने के लिए हमें भी 1960 में बनी अपनी इमारत में बदलाव करने पड़े हैं।’

भीड़ से परेशानी

अग्निशमन विभाग ने तो अपना काम किया होगा मगर शहर के घनी आबादी वाले बाजारों में नई समस्या पैदा हो रही है। पार्क स्ट्रीट से करीब 2 किलोमीटर दूर न्यू मार्केट में ग्राहकों का जमावड़ा लगा रहता है। करीब 150 साल पुराने इस बाजार को पहले सर स्टुअर्ट हॉग मार्केट कहा जाता था। यहां के दुकानदार अंदेशा जताते हैं कि फेरीवालों के अतिक्रमण की वजह से यहां किसी भी समय कोई बड़ी अनहोनी हो सकती है।

एसएस हॉग मार्केट ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कुमार गुप्ता ने कहा कि फेरीवाले शाम को जब दुकान उठाते हैं तो अपना सामान प्लास्टिक की शीट में लपेटकर यहीं छोड़ जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘अगर किसी भी कारण उसमें आग लग गई तो तबाही मच जाएगी।’

न्यू मार्केट में कई बार भीषण आग लग भी चुकी है। 1985 में आधी रात को लगी आग में इस बाजार का आधा हिस्सा राख हो गया था। तब बाजार को नए सिरे से बनाना पड़ा और उसमें नए हिस्से भी जोड़े गए। मगर 2011, 2015 और 2018 में भी वहां आग लगी। न्यू मार्केट का रखरखाव कोलकाता नगर निगम करता है। एक दुकानदार ने कहा कि रखरखाव बहुत घटिया है और कोई हादसा हुआ तो सब भगवान के भरोसे ही होंगे।

फेरीवालों का कब्जा

उत्तर दिशा में बढ़ें तो ब्रेबॉर्न रोड से कैनिंग स्ट्रीट तक फेरीवालों की ही हुकूमत दिखेगी। बड़ाबाजार इलाके में बागड़ी मार्केट के बाहर फुटपाथ नजर ही नहीं आता है और आधी सड़क भी फेरीवालों के कब्जे में है।

वहां बैग बेचने वाले एक दुकानदार ने कहा, ‘इस इलाके में पहले से ही भीड़ रहती है और अब गाड़ियों को गुजरने के लिए मुश्किल से 6 से 8 फुट चौड़ी सड़क ही मिलती है।’ उन्होंने राजनीतिक संरक्षण की ओर इशारा करते हुए कहा कि न किसी से कुछ कह सकते हैं और न ही कुछ कर सकते हैं।

2018 में इस इलाके में जबरदस्त आग लगी थी और बाजार का बड़ा हिस्सा जल गया था। उसके बाद मरम्मत में ही करीब तीन साल लग गए थे। यहां ज्यादातर दुकानें 100-150 वर्ग फुट में बनी हैं मगर उन पर चूडियों से लेकर मसाले और जूते-चप्पल तक सब कुछ बिकता है।

आग से बरबाद हिस्सा 2021 में दोबारा खोला गया था। तब से बाजार में पहुंचने का मुख्य मार्ग अतिक्रमण से मुक्त हो गया है मगर बाकी हिस्से में फेरीवालों के पहले जैसा ही जमावड़ा है। बागड़ी मार्केट से कुछ दूर नंदराम मार्केट है, जहां 2008 में आग लगी थी। वहां भी फेरीवाले बदस्तूर जमे हैं।

First Published - June 14, 2024 | 9:30 PM IST

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