हरियाणा में मंगलवार को मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफा देने के बाद कुछ घंटे बाद भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष नायब सिंह सैनी ने नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। सैनी के साथ भाजपा के चार और एक निर्दलीय विधायक ने मंत्री पद की शपथ ली। हालांकि पूर्व गृह मंत्री और अंबाला छावनी से छह बार के विधायक अनिज विज को नयी कैबिनेट में जगह नहीं मिली।
ओबीसी नेता सैनी (54) को यहां राजभवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने शपथ दिलाई। भाजपा के कंवर पाल, मूलचंद शर्मा, जय प्रकाश दलाल व बनवारी लाल और निर्दलीय विधायक रणजीत सिंह चौटाला ने मंत्री पद की शपथ ली। ये पांचों निवर्तमान खट्टर मंत्रिमंडल में मंत्री थे।
जननायक जनता पार्टी (जजपा) के दुष्यंत चौटाला, दविंदर बबली और अनूप धानक खट्टर मंत्रिमंडल में अन्य मंत्री थे। समझा जा रहा है कि विज नाराज हैं और शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद नहीं थे। यहां पार्टी की बैठक के बाद वह सीधे अपने अंबाला स्थित आवास के लिए रवाना हो गए।
इस बीच, सैनी ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल को 48 विधायकों के समर्थन का पत्र सौंपा है और उनसे बुधवार को विधानसभा सत्र बुलाने का अनुरोध किया है ताकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार सदन में अपना बहुमत साबित कर सके।
कार्यभार संभालने और अपने मंत्रिमंडल की बैठक करने के बाद सैनी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने राज्यपाल से कल विधानसभा सत्र बुलाने का आग्रह किया है, जब हम सदन में अपना बहुमत साबित करेंगे।’’
जब सैनी से पूछा गया कि सरकार के समर्थन में कितने विधायक हैं तो उन्होंने कहा कि हमने राज्यपाल को 48 विधायकों के समर्थन का पत्र दिया है। लोकसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले भाजपा ने हरियाणा में मुख्यमंत्री बदला है।
मुख्यमंत्री के रूप में खट्टर का दूसरा कार्यकाल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव के साथ खत्म होना था। इससे पहले दिन में, जब पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षकों की एक टीम चंडीगढ़ पहुंची तो खट्टर और भाजपा नीत मंत्रिपरिषद के सभी 13 अन्य सदस्यों ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
हरियाणा में यह फेरबदल सत्तारूढ़ भाजपा-जजपा गठबंधन के टूटने के बीच किया गया है, हालांकि दोनों पार्टियों के नेताओं ने तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की है। जजपा के नेता दुष्यंत चौटाला उपमुख्यमंत्री थे और खट्टर के नेतृत्व वाली सरकार में उनकी पार्टी के दो अन्य मंत्री थे। दुष्यंत चौटाला ने हरियाणा के उपमुख्यमंत्री के रूप में राज्य की सेवा करने का अवसर देने के लिए राज्य के लोगों को धन्यवाद दिया।
उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा कहा, “मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूं और हरियाणा के प्रत्येक व्यक्ति का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। हरियाणा के कल्याण और सार्वजनिक कार्यों के लिए आपका समर्थन व सहयोग मेरे लिए हमेशा ऊर्जावान रहा है।”
उन्होंने कहा, “आपने हम पर जो निरंतर विश्वास दिखाया है और कठिनाई व संघर्ष के समय में आपने हमें जो समर्थन दिया है, उसके लिए मैं हमेशा आपका आभारी रहूंगा।”
चौटाला ने कहा, “मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि जननायक चौधरी देवीलाल जी के नक्शेकदम पर चलते हुए मैं हमेशा हरियाणा और राज्य के लोगों के हितों की रक्षा के लिए समर्पित रहूंगा। हरियाणा के लोगों की सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा के लिए हमारे प्रयास जारी रहेंगे।”
शपथ ग्रहण समारोह में जजपा के चार विधायक – जोगी राम सिहाग, ईश्वर सिंह, दविंदर बबली और राम निवास सुरजाखेड़ा भी मौजूद थे। कुरुक्षेत्र से सांसद सैनी को पिछले साल अक्टूबर में भाजपा की राज्य इकाई का प्रमुख नियुक्त किया गया था। शपथ लेने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए सैनी ने कहा कि भाजपा राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटें भारी अंतर से जीतेगी।
उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में विधानसभा चुनाव होने पर पार्टी फिर से सरकार बनाएगी। मुख्यमंत्री चुने जाने सैनी ने कहा कि पार्टी ने ”एक सामान्य कार्यकर्ता को इतना सम्मान” दिया है। पत्रकारों से बात करते हुए, खट्टर ने कहा कि वह सैनी को लंबे समय से जानते हैं और उन्हें खुशी है कि एक युवा चेहरे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है और उन्हें नयी जिम्मेदारी सौंपी गई है।
इससे पहले, एक अधिसूचना के अनुसार, हरियाणा के राज्यपाल ने खट्टर और उनकी मंत्रिपरिषद के इस्तीफे स्वीकार कर लिए। शपथ लेने वाले विधायकों में से दो – जेपी दलाल (लोहारू क्षेत्र) और रणजीत चौटाला (रानिया) – जाट समुदाय से हैं, मूलचंद शर्मा (बल्लभगढ़) एक ब्राह्मण चेहरा हैं, कंवर पाल (जगाधरी) गुज्जर समुदाय से जबकि बनवारी लाल (बावल) दलित समुदाय से है।
सैनी पहली खट्टर सरकार में मंत्री थे। 2019 में विधायक रहते हुए उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा था। ऐसी अटकलें हैं कि खट्टर को करनाल से पार्टी का लोकसभा उम्मीदवार बनाया जा सकता है। फिलहाल 90 सदस्यीय राज्य विधानसभा में भाजपा के 41, जबकि जजपा के 10 विधायक हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन को सात में से छह निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है।
बहुमत के लिए 46 विधायकों की आवश्यकता है। जजपा का समर्थन न होने पर भी भाजपा सहज स्थिति में है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के 30 विधायक हैं और इंडियन नेशनल लोकदल तथा हरियाणा लोकहित पार्टी का एक-एक विधायक है।
आश्चर्यजनक घटनाक्रम के बाद जजपा ने भी दिल्ली में अपने नेताओं की एक बैठक बुलाई। समझा जाता है कि हरियाणा के पांच विधायक बैठक में शामिल नहीं हुए, जो पार्टी में संभावित दरार का संकेत है।
सैनी ने एक्स पर एक पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, पार्टी के हरियाणा प्रभारी बिप्लब देव, खट्टर और पार्टी विधायकों को धन्यवाद दिया। इससे पहले, हरियाणा निवास में भाजपा की बैठक के बाद विज ने पत्रकारों के सवालों को टाल दिया।
उन्होंने कहा, ”जो लोग दिल्ली से आए हैं वे बताएंगे।” सूत्रों ने कहा कि जपपा भाजपा के साथ गठबंधन में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए दो सीटें मांग रही थी, लेकिन भगवा दल ने कोई भी सीट छोड़ने से साफ इनकार कर दिया।
गठबंधन के भविष्य के बारे में पूछे जाने पर जजपा की हरियाणा इकाई के प्रमुख निशान सिंह ने कहा, “अजय सिंह चौटाला की अध्यक्षता में पार्टी की एक बैठक हुई। बैठक में सभी मुद्दों पर चर्चा हुई। कल अजय जी का जन्मदिन है जिसे हम हिसार में नव संकल्प रैली करके मनाएंगे। पार्टी जो भी निर्णय लेगी, कल की रैली में बता दिया जाएगा।”
भाजपा और जजपा ने इस बात को लेकर कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई है कि वे संयुक्त रूप से लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ेंगे या नहीं। भाजपा नेताओं ने पहले कहा था कि जजपा के साथ चुनाव के बाद गठबंधन केवल सरकार चलाने के लिए था। गठबंधन पर एक सवाल का जवाब देते हुए करनाल के सांसद संजय भाटिया ने यहां पत्रकारों से कहा कि इस बात पर कोई आधिकारिक बयान नहीं है कि जजपा के साथ गठबंधन टूट गया है।
भाटिया ने कहा कि न तो उनकी (जजपा) तरफ से और न ही हमारी तरफ से कोई बयान आया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के पास निर्दलियों के समर्थन से पूर्ण बहुमत है।
भाटिया ने कहा कि जजपा ने पहले समर्थन दिया था और “अगर वे अपना समर्थन जारी रखते हैं, तो इस पर किसे आपत्ति होगी।” यह पूछे जाने पर कि क्या जजपा के लिए दरवाजे खुले हैं, तो भाटिया ने कहा, “किसी ने भी इसे (दरवाजे को) बंद नहीं किया है।”