मकरंद राणा ने नियमित तौर पर बचत के लिए बैंक की जमा योजनाओं में निवेश का रास्ता चुना।
राणा जमा पर बेहतर ब्याज देने वाले संस्थानों की तलाश कर रहे थे, और इसी क्रम में उन्होंने महसूस किया कि कुछ वित्तीय संस्थानों ने अपनी जमा योजनाओं में भी बदलाव किए हैं।
देश के सबसे बड़े भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) करीब पांच जमा विभिन्न जमा योजनाएं चला रहा था। कर बचत योजना, आवर्ती जमा योजना और सावधि जमा योजना के अलावा बैंकने बहुआयामी जमा और पुनर्निवेश योजनाओं को भी बाजार में उतार चुका है।
हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनैंस कॉर्पोरेशन (एचडीएफसी) तो इससे भी एक कदम आगे जाते हुए विभिन्न ब्याज दरों वाली जमा योजना को बाजार में उतारा। बाद में राणा ने माना कि ये योजनाएं पुरानी योजनाओं का ही नया और परिवर्तितरूप है।
आइए कुछ ऐसी ही योजनाओं पर नजर डालते हैं
परिवर्तित दर जमा योजना
परिवर्तित दरों वाली जमा योजनाओं को वित्तीय संस्थानों केबेचमार्क दरों से जोड़ दिया जाता है। मिसाल के तौर पर एचडीएफसी ने इसे अपनी फिक्स्ड जमा योजना की दर से जोड़ दिया है। प्रत्येक ब्याज अवधि की शुरुआत में ब्याज दरों में बदलाव आता है।
एचडीएफसी के अलावा लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) और इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) इन योजनाओं को ऑफर कर रहे हैं। फिलहाल एचडीएफसी ने अपने ब्याज की दर 8.6-9.55 फीसदी के बीच रखी है जबकि न्यूनतम निवेश की सीमा 10,000-40,000 रुपये के बीच है। ये योजनाओं और उसकी अवधि पर निर्भर करती है।
एलवीबी कम से कम 1,0000 रुपये का निवेश स्वीकार करता है जिसकी अवधि 5 सालों की होती है। इस समय पांच साल की अवधि वाली जमा योजनओं पर ब्याज की दर 9 फीसदी है। आईओबी भी कम से कम 1,0000 लाख रुपये का निवेश स्वीकार करती है लेकिन इसकी अवधि 3-5 सालों के बीच हो सकती है।
फिलहाल 3-5 सालों की अवधि वाली जमा योजना पर ब्याज की दर 8 फीसदी है। इस बारे में लेडर 7 फाइनैंशियल एडवाइजर्स के निदेशक सुरेश सदगोपन ने कहा कि ये जमा योजनाएं निवेशकों के लिए कोई खास मायने नहीं रखती हैं क्योंकि डिपॉजिट का इस्तेमाल निश्चित रकम पाने के लिए होता है।
ओवरड्राफ्ट वाले डिपॉजिट
ये जमा योजनाएं ओवरड्राफ्ट के साथ आती हैं। ग्राहक को इसके लिए 6 महीने से ज्यादा की अवधि वाली जमा योजनाओं में निवेश करना होता है। इस पर देय ब्याज मौजूदा फिक्स्ड डिपॉजिट दर पर निर्भर करती है। आखिर यह काम कैसे करता है।
अगर आपने बैंक में 10,000 रुपये जमा किए हैं तो बैंक करेंट एकाउंट खोलेगी। यह जमा रकम का 90-95 फीसदी तक आपके लिए लघु अवधि के कर्ज के तौर पर रखेगी जबकि ब्याज की दर 2-3 फीसदी होगी जो आप फिक्स्ड डिपॉजिट में पा रहे हैं।
ओवरड्राफ्ट सुविधा के तहत ग्राहकों को बिना अपनी जमा को तोड़े लघु अवधि के लिए कुछ आंशिक राशि के इस्तेमाल की छूट देती है। देश के दूसरे सबसे बडे क़र्जदाता पंजाब नैशनल बैंक ने इस डिपॉजिट स्पेक्ट्रम फिक्स्ड डिपॉजिट का नाम दिया है और इस योजना की शुरआत 10,000 रुपये के जाम के साथ किए जा सकता है।
बैंक इस योजना में चेक बुक और एटीएम कार्ड भी मुहैया कराती है। इसमें जमा को तोड़ने के लिए कोई जुर्माना भी नहीं लगता है। अन्य बैंक जो इसी तरह की सुविधा ऑफर करते हैं जिसमें कॉर्पोरेशन बैंक (रेडी कैश), और एचएसबीसी (स्मार्ट मनी एकाउंट) शामिल हैं। इस बाबत एक निवेश सलाहकार का कहना है कि यह एकाउंट आपके बचत खाते की तरह ही होता है जो ऊंचा प्रतिफल देते हैं।
आंशिक निकासी जमा
बैंक निवेशकों को फिक्स्ड डिपॉजिट से आंशिक रकम की निकासी की सुविधा भी देते हैं। ऐसा आपके एक डिपॉजिट को कई भागों में बांट कर किया जाता है। अधिकांश बैंक इसे 1,000 रुपये की श्रेणी में बांट देते हैं। जब आप इस तरह की योजनाओं में निवेश करते हैं तो इसके साथ बैंक आपको बचत खाते की सुविधा भी देती है। एसबीआई मल्टी ऑप्शन डिपॉजिट केनाम से ऐसी ही योजना चलाता है।
फंड की जरूरत पड़ने पर जमाकर्ता कम से कम 1,000 रुपये तक की निकासी कर सकते हैं। जमा की अवधि 1-5 साल तक की हो सकती है। न्यूनतम जमा राशि 10,000 रुपये है। पंजाब नैशनल बैंक ने इसे अनुपम एकाउंट नाम दिया है जो एसबीआई की तरह ही होता है।
अन्य बैंक जो इसी तरह की योजना चलाते हैं जिनमें एचडीएफसी(सुपर सेवर फैसेलिटी), कॉर्पोरेशन बैंक(मनी फ्लेक्स) हैं। आवश्कता पड़ने पर ये बैंक ओवरड्राफ्ट की सुविधा भी देते हैं।