अगले एक महीने में, यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया के यूएस-64 बॉन्ड के परिपक्व हो जाने के साथ ही निवेशकों को एक बड़ी रकम बिन मौसम की बरसात की तरह हासिल होगी।
जहां एक तरफ उन्हें अच्छी-खासी रकम मिलेगी, वहीं दूसरी तरफ इस पैसे को आगे कहां निवेश किया जाए, इस बात से सिर-दर्द होना भी स्वभाविक है। आखिर उतार-चढ़ाव से भरे बाजार में पैसा निवेश करना खतरा मोल लेने के बराबर है।
निवेश के लिए आखिरी फैसला लेने से पहले चलिए एक बार यूएस-64 के इतिहास पर नजर डालते हैं। यूएस-64 1964 में लॉन्च किया गया था, यह एक ओपन एंडेड बैलेंस्ड फंड है। बेशक यूएस-64 में इक्विटी का तत्व भी शामिल था, बावजूद इसके इस योजना से एक निश्चित रिटर्न निवेशकों को मिलता रहा। इसके परिणामस्वरूप यह योजना नब्बे के दशक के अंतिम वर्षों में मुश्किलों में घिर गई और उस समय यूटीआई के चेयरमैन को अपने पद से हाथ धोना पड़ा।
सरकार ने इस योजना में निवेश करने वाले लोगों को सरकारी बॉन्ड्स जारी कर उनके घावों पर मरहम लगाने की कोशिश की।इसके परिणामस्वरूप यूएस-64 का स्वरूप बदल गया और वह बैलेंस्ड फंड से जोखिम रहित ऋण में निवेश बन गया।
जहां तक निवेशकों का मामला है, यहां प्राप्त होने वाली आय करमुक्त आय होगी और इस वजह से प्रतिलाभ की दरों में तेज वृध्दि हो गई है। उदाहरण के लिए एक व्यक्ति जो उच्च कर वर्ग में 30 प्रतिशत के साथ अधिभार में आता है वास्तव में वह 12.5 प्रतिशत के अर्जित प्रतिफल कर अदायगी के बाद प्राप्त करता है।अब निवेशकों को कुछ ऐसे उपायों के बारे में सोचना होगा, जो कम से कम इस प्रतिफल से मेल खाते हों।
प्रतिफल से मिलान
वह निवेशक जो इस तरह के उच्च प्रतिफल के बारे में सोच रहे हैं और प्राप्त करना चाहते हैं, वह भी बिना किसी जोखिम के, उनके लिए यह डगर मुश्किल होगी। मौजूदा ऋण योयनाओं से प्राप्त प्रतिफल 8 प्रतिशत से 9.5 प्रतिशत के बीच में है। ऐसे में जोखिम से बचने वाले निवेशकों को इसी से संतोष करना होगा, अगर वे पारंपरिक निवेश जैसे कि सावधि जमाखाता, बॉन्ड्स और अन्य ऋण योजनाओं में निवेश के बारे में सोच रहे हैं।
साथ ही, जबसे प्रतिफल कर मुक्त हुए हैं, अधिक योजनाएं इस स्थिति को हरा पाने में खुद को कमजोर समझ रही हैं। बेशक यहां डीप डिस्काउंट बॉन्ड्स हैं, जिनसे लगभग 12 प्रतिशत तक प्रतिफल पाया जा सकता हे, लेकिन इसमें हुई कमाई निवेशक को हर वर्ष नहीं दी जाती, बल्कि परिपक्वता अवधि के बाद ही एकत्रित राशि को दिया जाता है। उदाहरण के लिए नाबार्ड की ओर से जारी भविष्य निर्माण बॉन्ड्स, फिलहाल 12.15 प्रतिशत प्रतिफल दे रहे हैं।
जोखिम
यूएस-64 से मेल खाती अन्य हर योजना में निवेश करने पर थोड़ा-सा जोखिम जरूर है। यूएस-64 से मिले पैसे को म्युचुअल फंड की बैलेंस्ड योजनाएं या इक्विटी डाइवर्सिफाइड योजनाओं में लगाया जा सकता हैं। इनके पोर्टफोलियों में इक्विटी की मौजूदगी के चलते बेहतर रिटर्न मिलने में मदद मिलेगी, लेकिन इनमें भी जोखिम का तत्व बना हुआ है।
दूसरे शब्दों में, इस पैसे को खर्च करने के लिए निवेशकों के सामने दो रास्ते हैं। पहला रास्ता, जिसमें निवेशक को इस निवेश राशि की प्रकृति को हु-ब-हू बनाए रखने पर ध्यान देना चाहिए जो कि लंबे समय के लिए ऋणोन्मुख है और इसमें सुरक्षित प्रतिफल मिलता है। सुरक्षित प्रतिफल के लिए निवेशक को लंबे समय के लिए अपना पैसा निकलवाना नहीं चाहिए।
दूसरा रास्ता है, इक्विटी का। अगर आप इक्विटी में निवेश करते हैं तो ध्यान रहे कि इसमें जोखिम का तत्व भी शामिल है। लेकिन इस जोखिम के बावजूद हो सकता है कि आपको बढ़िया प्रतिफल मिले।
अब चाहे आप इन दोनों में से निवेश के लिए कोई भी रास्ता अपनाएं, दोनों में ही निवेश में समय लगेगा, क्योंकि ऋण फंड में अपने आप आपका पैसा लॉक हो जाएगा, जबकि इक्विटी में अपको मनमाफिक बढ़िया प्रतिफल कमाने के लिए कुछ समय तक उसमें बने रहना होगा।
लेखक प्रमाणित वित्त योजनाकार है।