वित्त-बीमा

ब्याज दरों में कटौती की गति धीमी, बैंक अब जमा दरों में सीमित कमी की ओर बढ़े

रिजर्व बैंक की नरमी चक्र में कटौती 100 आधार अंकों तक सीमित, बैंकों के ऋण-जमा अनुपात और नियामकीय बदलाव से जमा दरों में कटौती पर असर

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सुब्रत पांडा   
अनुप्रेक्षा जैन   
अभिजित लेले   
Last Updated- April 14, 2025 | 11:04 PM IST

मौजूदा नरमी चक्र के दौरान जमा ब्याज दरों में कमी पिछले चक्र की तुलना में अधिक सीमित रह सकती है। ऐसा इसलिए कि नीतिगत रीपो दर में अधिकतम प्रत्याशित कटौती पिछले नरमी चक्र के 250 आधार अंकों की तुलना में करीब 100 आधार अंक ही है।

इसके अतिरिक्त प्रमुख बैंकों का ऋण-जमा अनुपात भी उच्च स्तर पर बने रहने तथा नियामकीय कारकों मसलन संशोधित तरलता कवरेज अनुपात (एलसीआर) मानकों और जमा बीमा कवरेज में संभावित वृद्धि का असर भी बैंकों पर नजर आएगा और जमा दरों में अहम कटौती की उनकी क्षमता प्रभावित होगी।

रिजर्व बैंक ने फरवरी की मौद्रिक नीति बैठक में रीपो दर में 25 आधार अंकों की कमी की थी। अप्रैल में उसने एक बार फिर 25 आधार अंकों की कटौती करके इसे 6 फीसदी कर दिया। दरें तय करने वाली संस्था ने भी अपना रुख नरम कर समायोजन का कर दिया जिससे आने वाले महीनों में और रियायत की उम्मीद जगी है।

अमेरिका की टैरिफ नीतियों के कारण उत्पन्न वैश्विक अनिश्चितता के कारण अर्थशास्त्री अनुमान लगा रहे हैं कि चालू नरमी चक्र में कहीं अधिक कटौती हो सकती है जो शायद 75 से 100 आधार अंकों के दरमियान रहे। पिछले नरमी चक्र में यानी फरवरी 2019 से मार्च 2022 के बीच रिजर्व बैंक ने नीतिगत रीपो दर में 250 आधार अंकों की कमी की थी। हालांकि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति रिपोर्ट के अनुसार बकाया जमा पर इसका प्रभाव 188 आधार अंकों का रहा।

वित्तीय क्षेत्र की रेटिंग एजेंसी इक्रा के ग्रुप हेड अनिल गुप्ता ने कहा कि दरों में नरमी का चक्र जहां शुरू हो चुका है, वहीं बैंक शायद इसे जमा तक पहुंचने देने में समय लें। जमा दरों में कटौती पिछले नरमी चक्र की तुलना में सीमित रह सकती है। फिलहाल बैंकों का ऋण जमा अनुपात अभी भी ऊंचा है।

बैंकों का समेकित नकदी जमा अनुपात 80 फीसदी से अधिक रहा। इस अनुपात का श्रेय पिछले वर्ष हुए विलय तथा उच्च वृद्धि को दिया जा सकता है। एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी के मुताबिक एलसीआर मानक जिन्हें रिजर्व बैंक ने कम से कम एक साल के लिए स्थगित कर दिया था, उनके और जमा बीमा कवर में संभावित इजाफे का असर बैंकों पर पड़ सकता है और उनके पास जमा दरों में कटौती की सीमित गुंजाइश रह जाएगी।

सरकारी क्षेत्र के दो बैंक अधिकारियों ने कहा कि मझोली उम्र वाले और वरिष्ठ नागरिकों के फंड्स की खुदरा जमा में काफी हिस्सेदारी है। संसाधन प्रोफाइल में स्थिरता बनाए रखना काफी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि मुद्रा की मांग और प्रतिस्पर्धा दोनों तेज हैं। इससे भी जमा दरों में कटौती की संभावना सीमित होती है।

चालू नरमी चक्र में 50 आधार अंकों की कटौती के बाद बैंकों ने धीरे-धीरे इसे आगे बढ़ाना आरंभ कर दिया है। भारतीय स्टेट बैंक ने खास अवधि के लिए 3 करोड़ रुपये से कम के जमा पर ब्याज दर को 10 आधार अंक कम कर दिया है। इसके अलावा बैंक ने अपनी विशेष जमा योजना अमृत वृष्टि पर भी ब्याज दर को संशोधित किया है तथा एक अन्य खास जमा योजना को वापस ले लिया है।

निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी बैंक ने बचत खातों पर ब्याज दर में 25 आधार अंकों की कटौती की है। उसने दो वर्ष 11 महीने तक के जमा पर ब्याज दर में 35 आधार अंकों की तथा 4 साल 7 महीने तक के जमा पर ब्याज दर में 40 आधार अंकों की कमी की है। येस बैंक ने सावधि जमा पर ब्याज दर 25 आधार अंक कम की जबकि बैंक ऑफ इंडिया ने जमा पर ब्याज दर 25 आधार अंक तक कम की।

बैंक ऑफ इंडिया ने सोमवार को आवास ऋण पर ब्याज दर में भी 25 आधार अंक की कमी करने की घोषणा की। इसका लाभ मौजूदा और नए दोनों तरह के ग्राहकों को मिलेगा। अब बैंक का आवास ऋण ग्राहकों के सिविल स्कोर के आधार पर 7.90 फीसदी तक रहेगा।

First Published : April 14, 2025 | 11:04 PM IST