facebookmetapixel
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के 50 साल: भारत में बदलाव और सुधार की कहानी Editorial: बीमा क्षेत्र में 100% FDI से निवेश, प्रतिस्पर्धा और सुशासन को मिलेगा बढ़ावाभारत को मौद्रिक नीति और ‘तीन तरफा दुविधा’ पर गंभीर व खुली बहस की जरूरतCAFE-3 Norms पर ऑटो सेक्टर में बवाल, JSW MG Motor और टाटा मोटर्स ने PMO को लिखा पत्रShare Market: चौथे दिन भी बाजार में गिरावट, सेंसेक्स-निफ्टी सपाट बंदSEBI कानूनों में दशकों बाद बड़ा बदलाव: लोकसभा में पेश हुआ सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड बिल 2025‘नो PUC नो फ्यूल’ नियम से पहले दिल्ली में अफरा-तफरी, 24 घंटे में 31 हजार से ज्यादा PUC सर्टिफिकेट जारीSBI, PNB, केनरा से लेकर IOB तक ने लोन की दरों में कटौती की: आपके लिए इसका क्या मतलब है?Ola-Uber की बढ़ी टेंशन! दिल्ली में लॉन्च हो रही Bharat Taxi, ₹30 में 4 किमी का सफरExplainer: ओमान के साथ भी मुक्त व्यापार समझौता, अबतक 17 करार; भारत FTA पर क्यों दे रहा है जोर?

नया वित्त वर्ष ब्रोकिंग उद्योग के लिए आकर्षक नहीं: कोटक सिक्योरिटीज के MD श्रीपाल शाह

नए नियमों और बाजार की कमजोरी से ब्रोकिंग उद्योग को होगा नुकसान, वित्त वर्ष 2025 के अंत में गिरावट का अनुमान

Last Updated- April 18, 2025 | 10:54 PM IST
Kotak Securities

कोटक सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी श्रीपाल शाह ने सुंदर सेतुरामन को दिए साक्षात्कार में कहा कि ब्रोकिंग कंपनियों के राजस्व में गिरावट आने की संभावना है और यह नरमी वाकई चिंता का विषय है। उनसे बातचीत के अंश:

नकदी और डेरिवेटिव बाजारों में ऊंचे स्तरों से कारोबार में बड़ी गिरावट आई है। क्या यह दबाव बाजार में कमजोरी या सख्त डेरिवेटिव नियमों की वजह से आया है?

नकदी और डेरिवेटिव बाजारों में कारोबार में गिरावट अलग-अलग कारणों से आई है। नकदी बाजार में मंदी मुख्य रूप से शेयर बाजार में गिरावट के कारण आई है। डेरिवेटिव में गिरावट कम अस्थिरता और नए नियामकीय उपायों से जुड़ी है। जून में ऑप्शन ट्रेडिंग में तेजी आई क्योंकि अस्थिरता, चुनाव नतीजों और अन्य घटनाक्रम ने इसमें योगदान दिया।

नए खाते खुलने की रफ्तार भी सुस्त हो रही है। इससे क्या संकेत मिलता है?

नए खातों में मंदी मौजूदा बाजार धारणा को दर्शाती है। जब बाजार धारणा कमजोर होती है तो किसी भी परिसंपत्ति वर्ग के लिए उत्साह कम हो जाता है। जुलाई के आंकड़ों की तुलना में हम लगभग 50 प्रतिशत नीचे हैं।

पिछले साल के दौरान नियामकीय बदलावों से ब्रोकिंग उद्योग किस तरह से प्रभावित हुआ है?

डेरिवेटिव कारोबार पर अंकुश लगाने और लेबलिंग को ध्यान में रखकर बनाए नए नियमों से ब्रोकरेज राजस्व प्रभावित हुआ है खासकर उन फर्मों पर असर पड़ा है जो डेरिवेटिव पर ज्यादा निर्भर हैं। बड़े ब्रोकरों को ज्यादा दबाव का सामना करना पड़ रहा है और यह उद्योग मूल्य निर्धारण की चुनौतियों से जूझ रहा है। खबरें हैं कि डिस्काउंट ब्रोकर शुल्क बढ़ा रहे हैं, लेकिन कोई भी इसके लिए आगे बढ़ना और अपनी बाजार भागीदारी खोना नहीं चाहेगा।

नियामकीय बदलावों से कोटक पर कितना प्रभाव पड़ा है?

नियमन सभी को प्रभावित करते हैं, लेकिन कोटक कम प्रभावित है क्योंकि डेरिवेटिव हमारे लिए राजस्व का प्रमुख स्रोत नहीं हैं। कुछ डिस्काउंट ब्रोकर अपनी आय के 75-85 प्रतिशत के लिए डेरिवेटिव पर निर्भर करते हैं, इसलिए उन्हें अधिक नुकसान होता है।

ब्रोकिंग उद्योग के लिए वित्त वर्ष 2025 कैसा रहा?

वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही मजबूत रही। लेकिन तीसरी में चुनौतियां सामने आईं। भविष्य में राजस्व कमजोर रहने के आसार हैं। कुछ कंपनियां मुनाफे को ध्यान में रखकर लागत में कटौती कर सकती हैं, लेकिन कुल मिलाकर वित्त वर्ष 2026 आकर्षक नहीं लग रहा है।

First Published - April 18, 2025 | 10:54 PM IST

संबंधित पोस्ट