सोच-समझकर करें खरीदारी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 10:04 PM IST

वैश्विक और घरेलू अर्थव्यवस्था और कंपनियों की विकास दर में आ रही गिरावट के चलते पिछले एक साल के दौरान लगभग सभी कंपनियों के शेयरों की कीमत में भारी गिरावट दर्ज की गई है।
बाजार के कमजोर रुझानों की वजह से बहुत-सी कंपनियों के शेयरों की कीमत वास्तविक मूल्य से भी नीचे चली गई है। इसकी वजह से कंपनियों के कारोबार पर भी असर पड़ रहा है। हालांकि कुछ मामलों में जहां शेयरों में कीमतों में सीमित गिरावट आई है, वहां खरीदारी का अच्छा मौका भी है।
ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि कुछ अच्छी कंपनियां विपरीत परिस्थितियों में भी बेहतर प्रदर्शन करने का माद्दा रखती हैं और जैसे ही स्थिति में सुधार आएगा, इन कंपनियों के शेयरों में उछाल देखा जा सकता है।
स्मार्ट इन्वेस्टर ने इस तरह की कंपनियों को चिह्नित किया है, जिनके शेयर फिलहाल उनके वास्तविक मूल्य से नीचे कारोबार कर रहे हैं। छोटी और अच्छा प्रदर्शन नहीं करने वाली कंपनियों को पिछले 12 महीनों के प्रॉफिट ग्रोथ, डेट-इक्विटी रेश्यो, बाजार पूंजी और बिक्री के आधार पर छांटा जा सकता है।
यदि किसी कंपनी का लाभांश देने का रिकॉर्ड अच्छा हो, तो कंपनी में निवेश करना मुनाफे का सौदा हो सकता है। कुल मिलाकर कहा जाए, तो उन कंपनियों के शेयरों में निवेश करना बहेतर रहता है, जिनमें लंबे समय में अच्छा रिटर्न देने की क्षमता हो। आइए जानते हैं कुछ ऐसे शेयरों के बारे में :
बारट्रोनिक्स
कंपनी की उपस्थिति और उत्पादों को देखते हुए लगता है कि इसमें विकास की पर्याप्त संभावनाएं मौजूद हैं। वित्त वर्ष 2003-08 के दौरान कंपनी के राजस्व में वार्षिक चक्रवृद्धि दर 100 फीसदी रही, जबकि मुनाफा 220 फीसदी की दर से बढ़ा है।
वित्त वर्ष 2009 में भी जब तमाम कंपनियां गिरावट की मार झेल रही हैं, तब भी बारटोनिक्स के राजस्व में साल-दर-साल 85 फीसदी की वृद्धि दिखाई दे रही हैं। कंपनी विभिन्न उद्योगों को अपने उत्पाद और सेवाओं की आपूर्ति करती है और भविष्य में रिटेल और विनिर्माण क्षेत्र में भी उसे काफी संभावना नजर आ रही है।
अपने उत्पादों के विस्तार के लिए कंपनी ने हाल में अमेरिकी कंपनी इंटेलीफ्लैक्स कॉरपोरेशन फॉर आरएफआईडी से समझौता किया है। कंपनी का स्मार्ट कार्ड कारोबार भी अच्छा मुनाफा कमा रहा है। कंपनी के पास सालाना 8 करोड़ स्मार्ट कार्ड निर्माण करने की क्षमता है। वित्त वर्ष 2008 में कंपनी ने 3.1 करोड़ कार्ड की बिक्री कर 93 करोड़ रुपये की कमाई की।
जबकि वित्त वर्ष 2009 और 2010 में कंपनी अपनी बिक्री बढ़ाने पर और जोर दे रही है। कंपनी के पास अभी करीब स्मार्ट कार्ड बनाने के 140 करोड़ रुपये के ऑर्डर हैं। कंपनी बिक्री बढ़ाने के लिए सरकारी और बैंकिंग सेक्टर पर भी ध्यान दे रही है। कंपनी अब 3जी कार्ड लाने की तैयारी कर रही है, जिससे इसकी बिक्री में 40 से 50 फीसदी का इजाफा होने की उम्मीद है।
इसके साथ ही कंपनी वर्ष 2010 तक मास्टर बैंकिंग कार्ड लॉन्च करने की तैयारी में है। इससे भी कंपनी की बिक्री में इजाफा होने की पूरी उम्मीद है। कुल मिलाकर देखें, तो कंपनी के मार्जिन और बिक्री में इजाफा होता नजर आ रहा है। कंपनी तेजी से विकास करने वाले सेगमेंट में कारोबार कर रही है। कंपनी के पास करीब 1,100 करोड़ रुपये का ऑर्डर है, जिससे कंपनी का भविष्य अच्छा नजर आ रहा है।
बीईएमएल
बीईएमएल मल्टी प्रोडक्ट और मल्टी टेक्नोलॉजी कंपनी है। कंपनी के उत्पादों की मांग कंस्ट्रक्शन (हाइड्रोलिक एलिवेटर, बुलडोजर, डंप ट्रक), डिफेंस (टैंक ट्रांसर्पोटेशन, टेलर, वेपन लोडिंग उपकरण आदि) और रेलवे व मेट्रो (मेट्रो ट्रेन, रेल कोच, वैगन) में बहुत ज्यादा है। बीईएमएल के तीन अन्य विभाग- तकनीक, ट्रेडिंग और निर्यात के हैं।
कुछ चिंता इस बात को लेकर है कि मौजूदा मंदी और ऊंची लागत का कंपनी के प्रदर्शन पर पिछली तिमाही में असर पड़ा है। जहां कंपनी के बड़े उत्पादों की बिक्री घटी है, वहीं मुनाफे पर भी असर पड़ा है। लेकिन मार्जिन अधिक होने से कंपनी के शुद्ध मुनाफे पर खास फर्क नहीं पड़ा है।
कंपनी के साथ अच्छी बात यह है कि मौजूदा माहौल में भी कंपनी को बड़ा ऑर्डर मिल रहा है। फरवरी 2009 में बीईएमएल के पास 1,772.50 करोड़ रुपये का ऑर्डर बेंगलुरु मेट्रो रेल कॉरपोरेशन से मिला है। इसके तहत कंपनी 150 मेट्रो कोच की आपूर्ति करेगी, जबकि अतिरिक्त 63 कोच की आपूर्ति के ऑर्डर पर अभी बात चल रही है।
इसके अलावा, कंपनी को दिल्ली मेट्रो से कोच की आपूर्ति के लिए 1,365 करोड़ रुपये का ऑर्डर मिला है। अन्य शहरों (चेन्नई और मुंबई) में भी मेट्रो लाइन बिछ रही है। इससे कंपनी को अच्छा ऑर्डर मिलने की संभावना है।
बीईएमएल अपने विस्तार के लिए विदेशी कंपनियों के साथ भी साझा कर रही है। भारत में सुरंग खोदने वाली मशीन की आपूर्ति के लिए कंपनी की ओर से 19 मार्च को फ्रांसीसी कंपनी एनएफएम टेक्नोलॉजिज के साथ साझा किया है। खनन क्षेत्र में संभावना तलाशने के लिए कंपनी की ओर से इंडोनेशियाई कंपनी सुंबर मित्रा जया के साथ समझौता किया गया।
कंपनी ने कुल 20 विदेशी कंपनियों से करार किया है। ऊर्जा, बुनियादी ढांचा, स्टील, सीमेंट, यातायात, रक्षा आदि क्षेत्रों में भारी निवेश किया जा रहा है, जिससे कंपनी को अच्छे ऑर्डर मिल सकते हैं। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्क्योंकि इन परियोजनाओं पर उपकरणों की लागत कुल परियोजना लागत का करीब 4 से 15 फीसदी बैठती है।
वर्ष 2013-14 तक कंपनी का राजस्व लक्ष्य 11-12 फीसदी विकास का है। कंपनी के काम और आकार को देखते हुए यह लक्ष्य आसान नजर आ रहा है, जिसे पूरा करने में उसे किसी तरह की समस्या नहीं आनी चाहिए।
हालांकि इस कंपनी का दूसरा पहलू भी है। विश्लेषकों का मानना है कि कंपनी का पुराना रिकॉर्ड बहुत प्रभावशााली नहीं रहा है। यही वजह है कि इसके शेयर का कम मूल्ययांकन किया जाता रहा है। वैसे, लंबे समय के निवेश के लिए बीईएमएल अच्छा सौदा साबित हो सकती है।
वित्त वर्ष 2008-09 में कंपनी ने करीब 2,800 करोड़ रुपये की कमाई की, जबकि इसके पास करीब 5,000 करोड़ रुपये का ऑर्डर है। खास बात यह कि कंपनी पर बहुत ज्यादा कर्ज भी नहीं है।
गेटवे डिस्ट्रिपार्क्स
कंपनी कंटेनर फ्रेट स्टेशन के कारोबार में है, जिसकी मौजूदगी मुंबई के जेएनपीटी और अन्य बंदरगाहों पर है। हालांकि मौजूदा समय में कंपनी की आय में गिरावट का रुख देखा जा रहा है। दिसंबर को खत्म हुई तिमाही में भारत के निर्यात में नकारात्मक वृद्धि देखी गई, जबकि आयात में भी बहुत ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज नहीं की गई। ऐसे में कंपनी के काम पर असर पड़ा है।
विश्लेषकों का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में कंपनी की विकास दर इकाई अंक में रह सकती है, जबकि 2008 में कंपनी की विकास दर 49 फीसदी रही थी। गेटवे की मौजूदगी रेल फ्रेट और कोल्ड चेन में भी है। इस कारोबार से कंपनी के कुल राजस्व का क्रमश: 35 फीसदी और 7 फीसदी हिस्सा आता है।
लेकिन कंपनी को ज्यादा मुनाफा (करीब 90 फीसदी) कोर कारोबार (सीएफएस बिजनेस) से ही आता है। जहां तक रेल मालवाहक की बात है, तो कंपनी को इस कारोबार में नुकसान हो रहा है। जानकारों का कहना है कि कंपनी सीएफएस और रेल मालवाहक कारोबार में विस्तार की योजना बना रही है।
इससे कंपनी को अच्छे अवसर मिल सकते हैं और भविष्य में कंपनी की आय में भी सुधार देखा जा सकता है। इसके साथ ही अर्थव्यवस्था में सुधार से कंपनी को फायदा होना तय है। विश्लेषकों का मानना है कि अगले 15 महीनों में कंपनी के शेयर 15 से 20 फीसदी तक रिटर्न दे सकते हैं।
आईवीआरसीएल इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐंड प्रोजेक्ट
ब्याज दरों में कटौती, कमोडिटी की कीमतों में गिरावट और फंड मिलने में आसानी होने से इन्फ्रास्ट्रक्चर और कंस्ट्रक्शन कंपनियों के लिए शुभ संकेत है। ऐसे में इन कंपनियों में निवेश करना बेहतर सौदा साबित हो सकता है।
वैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों में से विश्लेषक आईवीआरसीएल को तरजीह दे रहे हैं। जल और सिंचाई क्षेत्र की यह बड़ी कंपनी है। इस सेगमेंट से कंपनी के कुल राजस्व का करीब 60 फीसदी हिस्सा आता है। खास बात यह कि इस तरह की करीब 90 फीसदी परियोजनाएं सरकारी होती हैं, ऐसे में कंपनी को फंड उगाहने में किसी तरह की परेशानी नहीं आती है।
इसके अलावा, कंपनी करीब 30 फीसदी कमाई ट्रांसपोर्ट सेक्टर से करती है। इस सेगमेंट में कंपनी के पास करीब 1,257 करोड़ रुपये के ऑर्डर हैं। कंपनी फिलहाल तीन सड़क परियोजनाओं पर काम बीओटी (बनाओ-चलाओ और वापस करो) के आधार पर काम कर रही है। इन परियोजनाओं की लागत करीब 1,080 करोड़ रुपये है, जिन्हें मई 2009 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
कंपनी के पास कुल 15,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर हैं, जो पिछले वित्त वर्ष की कमाई के चार गुना हैं। इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि कंपनी का भविष्य अच्छा है। इसके साथ ही कंपनी अपनी सहयोगी इकाई आईवीआर प्राइम के जरिए रियल एस्टेट कारोबार में भी उतर रही है। इस सहायक इकाई में आईवीआरसीएल इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐंड प्रोजेक्ट की 62.3 फीसदी हिस्सेदारी है।
इसके साथ ही हिंदुस्तान डॉर ओलिवर के जरिए इंडस्ट्रीयल वाटर ट्रीटमेंट और एन्वायरनमेंट इक्विपमेंट सेगमेंट में उतर रही है। कुल मिलाकार कहें, तो लंबे समय के लिए कंपनी में निवेश करना बेहतर साबित हो सकता है।
सिंप्लेक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर
कंपनी के पास करीब 10,200 करोड़ रुपये के ऑर्डर हैं, जिनमें से करीब 30 फीसदी काम पश्चिम एशियाई देशों से मिले हैं। खास बात यह कि यह ऑर्डर पिछले वित्त वर्ष की कमाई से करीब 3.6 गुना ज्यादा है। लेकिन कंपनी को करीब 50 फीसदी काम निजी क्षेत्रों से मिलता है, जिनमें से 20 फीसदी काम औद्योगिक क्षेत्रों से आता है।
यही वजह है कि इस कंपनी को विश्लेषक कम तरजीह देते हैं। औद्योगिक क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन की वजह से पिछले एक साल के दौरान कंपनी के शेयरों में करीब 72 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। इसके बावजूद 84 साल पुरानी इंजीनियरिंग और कंस्ट्रक्शन कंपनी में इससे उबरने की पूरी ताकत है।
कंपनी का ऑपरेटिंग मार्जिन अच्छा है, वहीं डेट-इक्विटी रेश्यो भी अच्छा है, जिससे कंपनी में निवेश करना अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। विश्लेषकों के मुताबिक वित्त वर्ष 2010 में कंपनी के शेयर मौजूदा स्तर से अच्छा कारोबार कर सकते हैं। कंपनी के फंडामेंटल्स में सुधार हो रहा है।
वहीं कमोडिटी की कीमतों में कमी की वजह से कंपनी की लागत भी घट रही है, जिससे इसके मुनाफे में इजाफा होने की उम्मीद है। कंपनी को उम्मीद है कि अगले दो सालों में कंपनी 25 फीसदी की दर से विकास करेगी।
सिंटेक्स इंडस्ट्रीज
अर्थव्यवस्था में गिरावट के बावजूद सिंटेक्स इंडस्ट्रीज की विकास दर बरकरार है। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में कंपनी की बिक्री में जहां 30 फीसदी का इजाफा हुआ है, वहीं शुद्ध मुनाफे में करीब 22 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। पिछले कुछ समय से भारी निवेश और अधिग्रहण की वजह से कंपनी तेजी गति से विकस कर रही है।
सिंटेक्स प्लास्टिक उत्पादों का निर्माण करती है, जिनका इस्तेमाल विभिन्न उद्योगों, घरों और निर्माण कार्यों में बड़े पैमाने पर होता है। कंपनी अपने उत्पादों के विस्तार की योजना भी बना रही है। इसके तहत कंपनी की नजर एयरोस्पेस, पवन ऊर्जा, रक्षा और कंज्यूमर डयूरेबल्स क्षेत्रों पर है।
हाल की तिमाही में कच्चे माल की कीमतों में इजाफा और स्टॉक की वजह से कंपनी के मार्जिन में 13.2 फीसदी की गिरावट देखी गई, लेकिन निकट भविष्य में कंपनी की स्थिति में सुधार की पूरी संभावना है। कंपनी को उम्मीद है कि अगले दो सालों तक कंपनी की विकास दर 25 फीसदी रहेगी।
तानला सॉल्यूशंस
मोबाइल वैल्यू एडेड सर्विस (एमवीएएस) क्षेत्र की कंपनी तानला सॉल्यूशंस के राजस्व में मंदी के चलते गिरावट आने की संभावना है। मांग में कमी के चलते ब्रिटेन और आयरलैंड में कंपनी के कारोबार पर असर पड़ सकता है। कंपनी टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर सॉल्यूशंस सेवा मुख्यत: चार क्षेत्रों में उपलब्ध कराती है। इनमें एसएमएस-एमएमएस, प्रोफेशनल सर्विस और स्मार्ट फोन शामिल है।  
3जी और मोबाइल इंटरनेट के उपयोग में बढ़ोतरी होने से तानला को फायदा होने की उम्मीद है। ब्रिटेन के बाजार में मांग घटती देख कंपनी ने भारत में पांव फैलाने शुरू कर दिए। भारत में कंपनी एमटीएनल के लिए 3जी प्लेटफार्म उपलब्ध करा रही है, वहीं एयरसेल ग्राहकों को मिस्ड कॉल अलर्ट की सुविधा दे रही है। कंपनी पर किसी तरह का कर्ज नहीं है, जबकि उसके पास 150 करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी है। कंपनी अगले एक साल में 40 फीसदी रिटर्न दे सकती है।
टाटा केमिकल्स
वित्त वर्ष 2006 में ब्रिटिश सोडा ऐश मेकर कंपनी बर्नर मोंड का अधिग्रहण और मार्च 2005 में अमेरिकी कंपनी जनरल केमिकल्स इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स के अधिग्रहण से कंपनी के कारोबार में काफी इजाफा हुआ है। इस अधिग्रहण से टाटा केमिकल्स सोडा ऐश निर्माण क्षेत्र में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी बन गई है, वहीं अमेरिकी, ब्रिटिश और अफ्रीकी बाजारों में भी उसकी पहुंच बढ़ी है।
कंपनी की कुल आय में 40 फीसदी हिस्सा सोडा ऐश के निर्माण से आता है, लेकिन हाल के दिनों में इसकी मांग में कमी की वजह से कंपनी की आय पर असर पड़ा है। वैसे, विश्लेषकों का कहना है कि कच्चे माल की कीमतों में गिरावट की वजह से वित्त वर्ष 2010 में कंपनी के एबिटा मार्जिन में सुधार हो सकता है।
खाद्य नमक कारोबार में भी कंपनी विकास दर और मार्जिन को बरकार रखने में सफल है। हालांकि कृषि उत्पादों-डीएपी की लागत में इजाफा होने से कंपनी की आय पर असर पड़ा है, जो तीसरी तिमाही के परिणामों में भी नजर आता है।
जानकारों का कहना है कि लागत में कमी और उर्वरकों की मांग में इजाफा होने से कंपनी की आय में भी बढ़ोतरी होगी। रिलांयस के केजी बेसिन से गैस की आपूर्ति होने से भी कंपनी के मार्जिन में सुधार होने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2011 तक कंपनी के शुद्ध मुनाफे में सुधार की उम्मीद है। ऐसे में लंबे समय के लिए इसमें निवेश करना फायदेमंद हो सकता है।

First Published : March 30, 2009 | 5:57 PM IST