वित्त-बीमा

RBI का निर्देश: बिना दावे की रा​शि का तेजी से हो निपटान, 3 महीने की दी मोहलत

जून 2025 के अंत तक बिना दावे वाली जमा राशि 67,003 करोड़ रुपये थी

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मनोजित साहा   
Last Updated- September 23, 2025 | 10:51 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सभी बैंकों को अगले तीन महीने (अक्टूबर से दिसंबर) के अंदर बिना दावे वाली धनराशि- जमा, लाभांश, ब्याज वारंट, पेंशन आदि का निपटान तेज करने के लिए कहा है। आरबीआई का उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली में ऐसी धनराशि को कम करना है।

ऐसे बचत या चालू खाते जिनका संचालन 10 वर्षों से नहीं किया गया हो उनमें जमा रा​शि या ऐसी सावधि जमा जो परिपक्वता की तारीख से 10 वर्षों के भीतर दावा नहीं की जाती हैं, उन्हें ‘बिना दावे वाली जमा राशि’ के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। आरबीआई के नियम के मुताबिक बैंकों को ऐसे पैसे को ‘जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता’ (डीईए) निधि में स्थानांतरित करना होता है। हालांकि जमाकर्ता बाद की तारीख में भी संबं​धित बैंकों से जमा राशि का दावा कर सकते हैं।

बैंकिंग नियामक ने बैंकों को भेजे पत्र में कहा है वित्तीय स्थायित्व और विकास परिषद (एफएसडीसी) की हालिया बैठक में यह निर्णय लिया गया कि बिना दावे वाली धनराशि के निपटान के लिए जिला स्तर पर सप्ताह भर संयुक्त शिविर लगाए जाएं। इस तरह का पहला शिविर अक्टूबर के पहले सप्ताह के दौरान गुजरात में लगाया जाएगा और दिसंबर तक देश भर में इस तरह के और शिविर आयोजित किए जाएंगे।

राज्य स्तरीय बैंकरों की समिति (एसएलबीसी) को संबंधित राज्यों में इस पहल का नेतृत्व करने का जिम्मा सौंपा गया है। एसएलबीसी को विशेष अभियान अव​धि यानी अक्टूबर से दिसंबर के दौरान अधिकतम दावा निपटान का प्रयास करने के लिए कहा गया है।

बैंकों को बिना दावे वाली जमा राशियों की जिलावार सूची तैयार करने और संबंधित शाखाओं के साथ साझा करने का निर्देश दिया गया है ताकि सही दावेदारों से संपर्क किया जा सके। एसएलबीसी को राज्य और जिला आधार पर बिना दावे वाली जमा राशि के आंकड़े की समीक्षा करने के लिए कहा गया है ताकि सदस्य बैंकों को उचित रणनीति प्रदान की जा सके। समिति को राज्य सरकार के विभागों और एजेंसियों के साथ प्रभावी तरीके से संपर्क करने और राज्य सरकार से संबंधित शिविरों के लिए स्थान, दावेदारों के चयन में सक्रिय सहायता करने, मृत्यु पंजीकरण आदि का सत्यापन करने के लिए कहा गया है।

बैंकों से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया है कि वे इस पहल को सफल बनाने और बैंकिंग तंत्र से बिना दावे वाली धनराशि को कम करने में व्यक्तिगत स्तर ध्यान दें।

आरबीआई के अनुसार बचत/चालू खातों को संचालित नहीं करने का इरादा रखने वाले ग्राहक द्वारा बंद नहीं कराने या सावधि जमा की अव​धि पूरी होने पर उसका दावा नहीं किए जाने की वजह से बिना दावे वाली जमा राशि बढ़ रही है। इसके साथ ही खाताधारकों की मौत होने के बाद नामांकित व्यक्ति/कानूनी उत्तराधिकारी के संबंधित बैंक में दावा नहीं करने की वजह से भी इस तरह की रा​शि बैंकिंग तंत्र में अटकी रहती है।

इस साल जुलाई में संसद को सूचित किया गया था कि निजी ऋणदाताओं सहित बैंकों के पास बिना दावे वाली जमा राशि जून 2025 के अंत में 67,003 करोड़ रुपये थी।

आरबीआई द्वारा विकसित उद‌्गम (यूडीजीएएम) पोर्टल पंजीकृत उपयोगकर्ताओं को केंद्रीकृत तरीके से एक ही स्थान पर कई बैंकों में बिना दावे वाली जमा/खातों को खोजने की सुविधा प्रदान करता है।

4 मार्च, 2024 तक 30 बैंक उद‌्गम पोर्टल का हिस्सा थे और बिना दावे वाली जमा राशि में 90 फीसदी हिस्सा इन्हीं बैंकों के खाते में है।

First Published : September 23, 2025 | 10:45 PM IST