वित्त-बीमा

सरकारी अभियान से अक्टूबर में ₹760 करोड़ की बिना दावे वाली जमा राशि कम हुई: शिरीष चंद्र मुर्मू

अक्टूबर में बिना दावे वाली जमा राशि में 760 करोड़ रुपये की कमी आरबीआई और सरकार द्वारा चलाए गए जागरूकता अभियानों तथा उदगम पोर्टल के उपयोग बढ़ने से दर्ज की गई

Published by
आतिरा वारियर   
Last Updated- December 05, 2025 | 10:56 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर शिरीष चंद्र मुर्मू ने एमपीसी की बैठक के बाद कहा कि सरकार के अभियान और बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक के प्रोत्साहनों की वजह से अक्टूबर में बिना दावेदारों वाली जमा राशियों में लगभग 760 करोड़ रुपये की कमी आई है।

मुर्मू ने कहा, ‘सरकार ने भी इसके लिए अभियान चलाया और हमने बैंकों को प्रोत्साहम भी दिया। इसके परिणाम स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं। अक्टूबर में खातों में बिना दावों वाली जमा राशि में लगभग 760 करोड़ रुपये की कमी आई। पहले महीने दर महीने औसतन लगभग 100 से 150 करोड़ रुपये की कमी आती थी। हमें विश्वास है कि इसमें और तेजी आएगी क्योंकि सरकार और रिजर्व बैंक दोनों प्रयास कर रहे हैं।’

हाल में लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री ने कहा था कि रिजर्व बैंक ने योजना के बारे में जनता को शिक्षित करने के लिए प्रिंट, रेडियो और डिजिटल मीडिया के माध्यम से विभिन्न जन जागरूकता अभियान चलाए हैं। रिजर्व बैंक ने जनता के लिए केंद्रीकृत वेब पोर्टल उदगम (यूडीजीएएम-बिना दावे वाली जमा-सूचना तक पहुंच का रास्ता) शुरू किया था। पोर्टल के अनुसार 1 जुलाई, 2025 तक 8,59,683 उपयोगकर्ता पंजीकृत थे और उदगम पोर्टल पर संपर्क कर रहे थे। उक्त पोर्टल पंजीकृत उपयोगकर्ताओं को एक केंद्रीकृत तरीके से एक ही स्थान पर कई बैंकों में बिना दावेदारों वाली जमा या राशि खोजने की सुविधा प्रदान करता है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, ‘हम पोर्टल में सुधार और इसे ग्राहकों के अधिक अनुकूल बनाने पर काम कर रहे हैं। ऐसे में इससे आगे चलकर खातों की पहचान करना और आसान हो जाएगा और बगैर दावे वाली राशि का दावा किया जा सकेगा।’ हाल की मौद्रिक नीति में रिजर्व बैंक ने 1 जनवरी 2026 से दो महीने का प्रचार अभियान चलाने का प्रस्ताव किया था जिससे एक महीने से ज्यादा समय से लोकपाल के पास लंबित सभी शिकायती मामलों का निपटान किया जा सके।

अपने मौद्रिक नीति बयान में मल्होत्रा ने कहा, ‘बीते कुछ समय में लोकपाल के पास लंबित मामले बढ़े हैं। मैं नियमन के दायरे में आने वाली सभी इकाइयों से अपील करता हूं कि अपनी नीतियों व कामकाज में ग्राहकों को प्रमुखता दें, अपनी उपभोक्ता सेवाओं में सुधार करें और शिकायतों की संख्या घटाएं।’ उन्होंने अगले साल 1 जनवरी से सभी लंबित शिकायतों के निपटान के लिए 2 महीने का अभियान चलाने का भी प्रस्ताव किया।

First Published : December 5, 2025 | 10:29 PM IST