माइक्रोफाइनैंस सेग्मेंट का सकल ऋण पोर्टफोलियो दिसंबर के अंत में सालाना आधार पर 3.5 फीसदी कम होकर 3.85 लाख करोड़ रुपये रह गया है। ऋण देने के मानदंड कड़े किए जाने और फंडिंग में कटौती के कारण ऐसा हुआ है। माइक्रोफाइनैंस इंस्टीट्यूशन नेटवर्क (एमएफआईएन) के आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2024 में जोखिम वाले पोर्टफोलियो का हिस्सा बढ़कर 6.4 फीसदी हो गया है, जो दिसंबर 2023 में 2.0 फीसदी था। इसमें ऐसे ऋण शामिल होते हैं, जिनके भुगतान में 30 से 180 दिन की देरी हो चुकी होती है।
एमएफआईएन के मुख्य कार्याधिकारी और निदेशक आलोक मिश्र ने कहा ‘उद्योग इस समय एमएफआईएन सुरक्षा नियमों के आधार पर फंड की कटौती और कर्ज के सख्त मानदंडों के दौर से गुजर रहा है। ऋण की गुणवत्ता लगातार निगरानी की स्थिति में बनी हुई है, क्योंकि 31 दिसंबर तक चूक शीर्ष स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है। एमएफआईएन को उम्मीद है कि नकदी और ऋण की गुणवत्ता दोनों ही स्थितियों में चौथी तिमाही में सुधार होगा।’
एमएफआईएन ऐसे बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों का एक उद्योग संगठन है जो लघु वित्त संस्थान (एनबीएफसीसी-एमएफआई), लघु वित्त बैंकों और एनबीएफसी के रूप में काम करते हैं और यह भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा स्व-नियामक संगठन के रूप में मान्यता प्राप्त है। तिमाही आधार पर इस सेक्टर का ऋण पोर्टफोलियो सितंबर 2024 में 4.08 लाख करोड़ रुपये से घट गया।
माइक्रोफाइनैंस इंस्टैंड (एनबीएफसी-एमएफआई) के रूप में काम कर रहीं नॉन बैंकिंग फाइनैंस कंपनियों का ऋण पोर्टफोलियो सालाना आधार पर 3.8 फीसदी, बैंकों का 5.5 फीसदी और लघु वित्त बैंकों का 11 फीसदी घटा है। एनबीएफसी अपवाद रही हैं, जिनके ऋण में सालाना आधार पर 22.2 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
दिसंबर 2024 को समाप्त तिमाही में वितरित ऋण की राशि 78,584 करोड़ रुपये से 20 फीसदी घटकर 62,817 करोड़ रुपये रह गई। वितरित किए गए नए ऋण की संख्या में 29.02 फीसदी की कमी आई है। एमएफआईएन ने कहा कि भौगोलिक कवरेज के हिसाब से पूर्व, उत्तर-पूर्व और दक्षिण में कुल माइक्रोफाइनैंस पोर्टफोलियो का 63 फीसदी हिस्सा है।
ऋण का औसत आकार दिसंबर 2024 में बढ़कर 53,350 रुपये हो गया, जो एक साल पहले 47,374 रुपये था और सितंबर 2024 में 50,487 रुपये था। इस सेक्टर के ऋण खातों की संख्या दिसंबर 2024 में घटकर 13.9 करोड़ रह गई, जो दिसंबर 2023 में 14.6 करोड़ थी।