पोर्टफोलियो प्रबंधन है मुनाफे की कुंजी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 7:21 PM IST

परिसंपत्ति आवंटन में विविधता, पोर्टफोलियो सिध्दांत और पूंजी परिसंपत्ति प्राइसिंग मॉडल कुछ ऐसी संकल्पनाएं हैं, जिनका आम तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
ये सभी एक साथ मिलकर पोर्टफोलियो विश्लेषण और इससे जुड़ी संभावनाओं के आकलन की अपेक्षाकृत सामान्य तकनीक मुहैया कराती हैं। 

किसी खास परिसंपत्ति के लिए आप प्रतिफल के साधनों और और इसके लिए जिम्मेदार पहलुओं का आकलन करते हैं। इसके बाद जोखिम मुक्त दरों की तुलना करने के अलावा विभिन्न परिसंपत्तियों के आपसी संबंधों का खाका तैयार करते हैं।
विभिन्न क्षेत्रों में परिसंपत्तियों के आवंटन समीक्षा कर किसी खास जोखिम के लिए मिलने वाले प्रतिफल की गणना में काफी मदद मिल सकती है।

हालांकि व्यवहार में इसके साथ कई पेचीदगियां जुड़ी होती हैं। सामान्य तौर पर ऐतिहासिक रिटर्न, वैरिएंस और कोवेरिएंस के जरिए भविष्य में मिलने वाले मुनाफे और इसके साथ आने वाले जोखिम की गणना करना सामान्य बात है।
लेकिन रिटर्न, वैरिएंस और कोवेरिएंस में तेजी से बदलाव आ सकता है। इसके अलावा यह मानकर चला जाता है कि मुनाफे का वितरण सामान्य होगा, जो आम तौर पर काफी खतरनाक अनुमान साबित होता है। मुनाफे के साथ बहुत सारी बातें जुड़ी होती है। इसके साथ जुड़ी परेशानियों को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है।
इसी तरह की एक बड़ी नकारात्मक परेशानी है कि 99.7 फीसदी प्रतिफल एक ही तरह के वितरण की तरह ही तीन मानक डिविएशन के तहत नहीं होंगी। दिलचस्प बात यह है कि आवश्यक विविधता लाने के साथ भी कई विवादास्पद सिध्दांत जुड़े होते हैं।
कुछ अधिकारियों का मानना है कि 20 शेयरों वाला पोर्टफोलियो ऐसे जोखिम, जो बाजार से नहीं जुड़े होते हैं, को पूरी तरह समाप्त कर सकता है। इसी तरह कुछ अन्य विचारकों का कहना है कि जोखिम को पूरी तरह समाप्त करने के लिए पोर्टफोलियो में सैकडो शेयरों का होना बहुत जरूरी है।
इन दो भिन्न विचारधाराओं का अध्ययन करने के लिए वॉरेन बफेट और पीटर लिंच की विधि का तुलनात्मक अध्ययन करना बहुत जरूरी हो जाता है। बफे ट विविधता को उतना तवाो नहीं देते हैं लिहाजा एफएमसीजी और फाइनैंशियल होल्डिंग्स में अपेक्षाकृत कम शेयरों वाले पोर्टफोलियो को रखा।
इसके उलट लिंच ने हमेशा ज्यादा से ज्यादा शेयरों वाले पोर्टफोलियो को तवाो दिया। दोनों ने बाजार में पिछले एक दशक के दौरान बेहतर प्रदर्शन किया है। बफेट ने तो सार्वजनिक तौर पर पोर्टफोलियो सिध्दांत की वैधता पर सवाल उठाए हैं।
पोर्टफोलियो में विविधता के साथ जुड़ी दूसरी परेशानी यह है कि बाजार में कारोबार में जब कुछ बड़े मोड़ आते हैं तो उस समय आपसी संबंध में काफी बदलाव आते हैं। बाजार में कारोबार की खस्ता हालत की स्थिति में अधिकांश परिसंपत्तियों में गिरावट आती है जबकि बाजार में कारोबार के मजबूती के समय इसमें सुधार देखने को मिलता है।
पोर्टफोलियों में विविधता होने का फायदा उस वक्त अचानक गायब हो जाता है जिस समय इसकी बहुत जरूरत होती है। इसका एक उदाहरण यह है कि जब पिछले साल यानी 2008 में शेयर बाजार और बॉन्ड की कीमतों के साथ ही कमोडिटी लुढक़ कर नीचे चली गई।
तर्कसंगत और बेहतर संकल्पना पर आधारित काम करने का नतीजा लाभदायक होता हैं क्योंकि यह निवेशकों को  स्पष्ट लक्ष्य देने में सफल होता है। 

यह सिध्दांत स्पष्ट तौर पर कहता है कि किसी को भी ज्यादा जोखिम लेने से बचते हुए ज्यादा से ज्यादा प्रतिफल पाने के  रास्तों की तलाश करनी चाहिए। यह सिध्दांत आपको दो परिसंपत्तियों के बीच नकारात्मक आपसी रिश्ते तलाशने को कहता है क्योंकि इससे सुरक्षा भी प्रदान होती है।
पोर्टफोलियो सिध्दांत निवेशक को एक सक्षम और बेहतर पोर्टफोलियों की तलाश में मदद करता है, जिसमें दो अधिक जोखिम वाली और नकारात्मक रूप से जुड़ी परिसंपत्तियों को एक साथ रखा जाता है। यह असाधारण तौर पर अधिक प्रतिफल देता है जिसमें खतरे की गुंजाइश भी इन अलग-अलग परिसंपत्तियों की तुलना में काफी कम होती है।
सबसे बड़ी बात यह है कि परिसंपत्ति आवंटन सिध्दांत निवेशकों को मुनाफे की वजह से मुख्य लक्ष्य से ध्यान न भटकाने की शिक्षा देता है। ज्यादातर गंभीर निवेशक अपना ज्यादा से ध्यान अलग-अलग शेयरों के बुनियादी स्वरूप पर देते हैं। एक निवेशक को अपने पोर्टफोलियो में किसी बेहतर परिसंपत्ति के प्रवेश के फायदे को लेकर हमेशा सतर्क रहना चाहिए।
परिसंपत्ति आवंटन सिध्दांत स्पष्ट तौर पर कहता है कि एक बेहतर पोर्टफोलियो को बनाने का बेहतर तरीका परिसंपत्ति की सही तरह से समीक्षा और उसी हिसाब से निवेश करना है, जो किसी खास शेयर और परिसंपत्ति वर्ग पर ध्यान केंद्रित करने से बेहतर है।
शेयरों के चयन का प्रतिफल एक अच्छे विविधता वाले पोर्टफोलियो के कुल प्रतिफल के 10 फीसदी से भी कम होता है। परिसंपत्ति आवंटन और पोर्टफालियो सिध्दांत को कई अनुमानों से गुजरना होता है और कई सारे जोखिम वाली परिसंपत्तियों से वास्तविक पोर्टफोलियो में खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है।
जब तक औसत निवेशक पोर्टफोलियो के बारे में समझ पाता है, तब तक उसके पोर्टफोलियो में कई सारे जोखिम वाली परिसंपत्ति आ जाती हैं और फिर इसमें सुधार करना खासा मुश्किल हो जाता है। लेकिन अगर संकल्पना वाले तरीके को समझ लिया जाता है तो इससे विचारों में काफी परिपक्वता आती है।
कोई निवेशक किस हद तक जोखिम बर्दाश्त कर सकता है और इस जोखिम केबदले उसे कितना प्रतिफल मिलना चाहिए, इन सवालों पर अधिकांश निवेशक शेयरों की खरीदारी से पहले नहीं सोचते हैं। 

ऐसे समय आते हैं जब एक निवेशक किसी खास परिसपंत्ति में ज्यादा निवेश करना चाहेंगे। परिसंपत्ति आवंटन सिध्दांत की मदद से यह सोच विचार कर किया जा सकता है।

First Published : March 8, 2009 | 10:30 PM IST