वित्त-बीमा

एनबीएफसी को भारी पड़ेगी गोल्ड लोन पर सख्ती

मसौदे में कहा गया है कि ऋण की पूरी अवधि के दौरान लोन टु वैल्यू (एलटीवी) 75 फीसदी के भीतर ही रखी जाए।

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अनुप्रेक्षा जैन   
Last Updated- May 06, 2025 | 10:32 PM IST

सोने के बदले मिलने वाले कर्ज (गोल्ड लोन) पर भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों का मसौदा जारी होने के बाद क्रिसिल रेटिंग्स ने एक रिपोर्ट में कहा है कि इससे उन गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की ऋण वृद्धि सुस्त हो सकती है, जो गोल्ड लोन का काम ज्यादा करती हैं।

मसौदे में कहा गया है कि ऋण की पूरी अवधि के दौरान लोन टु वैल्यू (एलटीवी) 75 फीसदी के भीतर ही रखी जाए। साथ ही इसमें मूलधन और ब्याज दोनों ही शामिल होने चाहिए। रेहन रखे जा रहे सोने की कीमत का जितना प्रतिशत कर्ज मिल सकता है, उसे लोन टु वैल्यू कहते हैं। रेटिंग एजेंसी का कहना है कि अगर एलटीवी 75 फीसदी पर ही रखी गई तो बुलेट रीपेमेंट लोन में सोने की कीमत का मुश्किल से 55-60 फीसदी कर्ज दिया जा सकेगा। बुलेट रीपेमेंट लोन में कर्ज की अवधि पूरी होने पर एकमुश्त रकम दी जाती है। अभी बुलेट रीपेमेंट लोन में सोने की कीमत का 65 से 68 फीसदी कर्ज दिया जाता है।

हालांकि मासिक किस्तों वाले कर्ज में एलटीवी ज्यादा रह सकती है मगर इससे लोनबुक बिगड़ती है। रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि दोनों ही स्थितियों में एनबीएफसी के गोल्ड लोन की वृद्धि पर असर होगा।

First Published : May 6, 2025 | 10:26 PM IST