जरा बचिए जटिल निवेश से और लीजिए सरल योजनाएं

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 8:51 PM IST

आपने कभी कोई सरल वित्तीय योजना खरीदी है, जैसे मियादी बीमा? बहुत संभव है कि तथाकथित निवेश सलाहकार आपको इतना भ्रमित कर देंगे कि आप कोई ऐसी योजना जरूर ले बैठेंगे जिसकी आपको वाकई कोई जरूरत ही नहीं है।
मिसाल के लिए किसी बीमा कंपनी का निवेश सलाहकार आपके सामने ढेरों एक्सेल शीट रख देगा जो आपकी भविष्य की संपत्ति के बारे में बताएंगी। जबकि सच्चाई यह है कि आप केवल एक सरल सी बीमा योजना चाह रहे थे ना कि कोई रिटर्न।
एक वेल्थ मैनेजमेंट फर्म ट्रांसेन्ड कंसल्टिंग के निदेशक कार्तिक झवेरी के मुताबिक निवेश की सरल तकनीक किसी भी कठिन वित्तीय योजना को समझने योग्य बना सकती है। वह भी कम लागत पर। उनका मानना है कि सरल निवेश भी आपको बेहतर नतीजे दे सकता है। आइए, कुछ लोकप्रिय योजनाओं को देखें और देखें कि कैसे निवेश की सरल रणनीति से आप अपना लक्ष्य पूरा कर सकते हैं।
बैलेंस्ड फंड:
बैंलेन्स्ड फंड इक्विटी और डेट में बराबर का अनुपात रखते हैं। परंपरागत निवेशक इसे पसंद करते हैं क्योकि इसमें डेट का अनुपात ज्यादा होने की वजह से जोखिम कम होता है।
एस फाइनेंशियल एडवाइजरी सर्विसेज के निदेशक गौरव मशरूवाला के मुताबिक लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स को बचने के लिए ज्यादातर फंड अपना इक्विटी एक्पोजर आमतौर पर 65 फीसदी से ऊपर रखते हैं।
यह किसी इक्विटी आधारित फंड में निवेश जैसा ही होता है। इसके लिए सरल तरीका है। अपना आधा पैसा फिक्स्ड डिपॉजिट में रखें और बाकी का आधा किसी अच्छे इक्विटी डाइवर्सिफाइड फंड में लगाएं।
मिसाल के लिए अगर आपने एक साल पहले सौ रुपए मैगनम बैलेंस्ड फंड में डाले हों तो आपका निवेश आज 69.26 रुपए के बराबर होगा लेकिन यह पैसा अगर आधा इक्विटी डाइवर्सिफाइड फंड जैसे डीएसपीबीआर टॉप 100 इक्विटी रेगुलर में और आधा स्टेट बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट (10 फीसदी पर) पर डाला होता तो उसकी कीमत 90.83 रुपए होती।
मंथली इनकम प्लान:
यह श्रेणी उन निवेशकों के लिए है जो नियमित आमदनी चाहते हैं। मंथली इनकम प्लान (एमआईपी) में इक्विटी एलोकेशन सबसे कम होता है (10 फीसदी पर)। इसमें ज्यादातर असेट डेट योजनाओं में होती हैं। लेकिन इस फंड की अपनी दिक्कतें भी होती हैं। इसमें नियमित रिटर्न तो मिलता ही है लेकिन तय अवधि पर डिविडेंड नहीं मिलता।
एक निवेश सलाहकार के मुताबिक इक्विटी आवंटन के बावजूद शेयर निवेश से होने वाली आय इक्विटी डाइवर्सिफाइड से होने वाली आय के बराबर नहीं हो सकती, चूंकि एमआईपी को डिविडेंड देना होता है। लिहाजा, उनके लिए मुश्किल होता है कि वह किसी शेयर पर कोई लंबी कॉल लें। इस केस में फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में बांड फंड में निवेश बेहतर रिटर्न दे सकते हैं।
पिछले एक साल में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला एमआईपी बिरला सन लाइफ एमआईपी -2 सेविंग्स 5 रहा है जिसने 15.97 फीसदी रिटर्न दिया। सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले बांड फंड केनरा रोबैको इनकम ने 28.29 फीसदी का रिटर्न दिया।
कैपिटल प्रोटेक्शन:
स्ट्रक्चर्ड उत्पादों में यह मॉडल काफी अहम है। इसमें पूंजी सुरक्षित रहने की गारंटी होती है और इक्विटी की बढ़त भी मिलती है। इसका लॉक इन पीरियड अलग अलग होता है। कैपिटल प्रोटेक्शन और इक्विटी की बढ़त लेने के लिए कई तरह के मिश्रण (कॉम्बिनेशन) हो सकते हैं।
माना कि आप पांच साल के लिए सौ रुपए का निवेश करना चाहते हैं, फिक्स्ड डिपॉजिट की ब्याज दरों के आधार पर आपको अपना निवेश कुछ इस तरह बांटना होगा कि परिपक्वता पर यह आपकी कैपिटल के बराबर हो। अगर आप 69 रुपए 8 फीसदी पर पांच साल के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट पर लगाएं तो इसकी परिपक्वता 101.38 रुपए आएगी। यानी आपकी पूंजी सुरक्षित हो जाएगी।
अब आप बाकी के 31 रुपए किसी अच्छे ट्रैक रिकार्ड वाले इक्विटी फंड में लगा सकते हैं। इक्विटी निवेश गिर सकता है पर यह नेगेटिव नहीं होगा। यानी इक्विटी में जो भी बढ़त मिलेगी, वह आपकी कमाई ही होगी। अगर आप इक्विटी से दूर रहना चाहते हैं तो आप आर्बिट्राज फंड में पैसा लगा सकते हैं। यह डेरिवेटिव को निवेश रणनीति के रूप में इस्तेमाल करती है। पिछले एक साल में इन फंडों की यील्ड आमतौर पर करीब 6 से 10 फीसदी के बीच रही है।
यूलिप
यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान यानी यूलिप जीवन बीमा को निवेश से जोड़ते हैं। लेकिन यह सबसे महंगी निवेश योजनाओं में से एक है। कम से कम पहले तीन सालों के लिए। पहले साल कंपनी को दी गई राशि में से केवल 75 फीसदी हिस्से का ही निवेश किया जाता है।
बाकी का पैसा मॉर्टैलिटी, प्रीमियम एलोकेशन, पॉलिसी एडमिनिस्ट्रेशन और फंड मैनेजमेंट के मदों में खर्च हो जाता है। आमतौर पर यूलिप की ज्यादातर योजनाएं लंबे समय में ही बेहतर रिटर्न दे पाती हैं और कम समय में तो यह भी संभव है कि आप की मूल पूंजी भी घट जाए।
ऐसे में अगर कोई निवेशक चाहे तो अपना यही लक्ष्य बेहतर नतीजों के साथ भी हासिल कर सकता है। पर इसके लिए उसे चुनने होंगे अच्छे म्युचुअल फंड जिनका ट्रैक रिकार्ड अच्छा हो और साथ में उसे सुरक्षा के लिए बीमा यानी कोई टर्म प्लान भी खरीदना चाहिए। टर्म प्लान आमतौर पर सस्ते ही होते हैं और जिनमें बहुत पैसा नहीं खर्च करना पड़ता है।
अलबत्ता, उम्र के लिहाज से टर्म प्लान का प्रीमियम तय होता है। ज्यादा आयु हो तो प्रीमियम भी ज्यादा लगेगा। फिर इसमें राइडर लाभ भी जोड़े जाएं तो प्रीमियम भी बढ़ सकता है। दरअसल कई म्युचुअल फंड स्कीमें हैं जो आपको मुफ्त में बीमा का कवर भी देती हैं। इनमें बीमा के साथ-साथ पूंजी में बढ़ोतरी का भी फंडों द्वारा भरोसा दिया जाता है।
पिछले कुछ अर्से से ऐसी म्युचुअल फंड योजनाओं के प्रति निवेशकों का आकर्षण भी बढ़ा है। इन फंड योजनाओं में निवेश करने पर केवल पांच फीसदी रकम ही काटी जाती है। इनमें एंट्री लोड और सालाना खर्च भी शामिल होता है।
ऊपर बताई गई चार योजनाओं जैसी ही कई और जटिल योजनाओं को सरल निवेश में बांटा जा सकता है जिनका प्रबंधन भी बेहतर हो सकता है और उनके जरिए लक्ष्य भी आसानी से हासिल किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आपका वित्तीय लक्ष्य एकदम सुनिश्चित होना चाहिए और आपको ज्यादा लोभ-लालच के बजाय सरल योजनाओं को ही चुनना चाहिए।

First Published : March 23, 2009 | 2:29 PM IST