बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) अब जीवन बीमा कंपनियों को यूनिवर्सल लाइफ पॉलिसी (यूएलपी) की शुरुआत करने की छूट दे सकता है।
यूएलपी कमोबेश भारत में पासबुक योजना की तरह ही होगी। यूएलपी पॉलिसीधारकों को पॉलिसी की रकम बदलने का विकल्प मुहैया करागए जो विभिन्न रकम वाली पॉलिसियां लेने पर भी लागू रहेगी। नियामक इस समय ब्रिटेन के यूएएलपी मॉडल का अध्ययन कर रहा है जो इस प्रणाली को लागू करने में सबसे अग्रणी रहा है।
इस बाबत इरडा के एक सदस्य आर कानन का कहना है कि हम इस प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं और जल्द ही इस संबंध में कुछ दिशानिर्देशों की घोषणा कर सकते हैं जबकि इसी संबध में कुछ अन्य घोषणाएं मई 2009 में की जाएंगी।
बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत करते हुए कानन ने कहा कि यूएलपी से ग्राहकों को प्रीमियम और बीमित राशि दोनों में लचीलापन आएगा जिससे ग्राहकों को काफी फायदा पहुंचेगा। कानन ने कहा कि यह कमोबेश पासबुक योजना की तरह ही होगी।
ऐसे पॉलिसीधारक जो कुछ अन्य परेशानियों के कारण पॉलिसी रकम के भुगतान करने में परेशानी महसूस करते हैं, उन्हें यूएलपी की मदद से पॉलिसी रकम को बदलने मदद मिलेगी। पॉलिसीधारक के विभिन्न रकम की पॉलिसी लेने की स्थिति में भी यह बात लागू होगी।
ब्रिटेन में यूएलपी पर किए जारे रहे अध्ययन के अनुसार इस सुविधा से मृत्यु के बाद मिलने वाले रकम में भी लचीलापन होगा। पॉलिसीधारक अपनी सुविधानुसार इसमें बदलाव करने के लिए स्वतंत्र हैं।
यूएलपी के साथ एक खास बात और यह है कि पॉलिसीधारक को इससे बीमा की अवधि समाप्त होने के बाद भी सुरक्षा मिलती है जिससे पॉलिसीधारक को तक इसका फायदा मिलता है जब तक वह प्रीमियम का भुगतान लगातार करता रहता है।
पॉलिसीधारक को अपने पसंद के अधार पर प्रीमिय के भुगतान करने की छूट होती है। वह या तो प्रीमियम का भुगतान नियमित अंतराल पर कर सकता है या फिर एक ही बार में कर सकता है। हालांकि वह भुगतान किए जाने वाली प्रीमिमय की राशि में फेर-बदल नहीं कर सकता है।