अन्य वित्त वर्षों की तरह यह वित्त वर्ष भी मार्च में समाप्त हो रहा है और यह समय अपनी कंपनियों को निवेश संबंधी घोषणाओं को सौंपने का है।
ऐसे लोग जिन्होंने अभी तक अपनी कर संबंधी योजनाओं को पूरा नहीं किया है उनकेलिए अंतिम समय में निवेश करने का फैसला नुकसान को आमंत्रित कर सकता है। करों की बचत करना आसान बात नहीं मानी जाती है और इसकेलिए योजनाबध्द ढंग से नीति बनानी होती है।
हालांकि कर-बचत वाले निवेश को भी संपूर्ण पोर्टफोलियो का एक हिस्सा होना चाहिए लेकिन इसके बावजूद आपने ऐसा नहीं किया है तो फिर तुरंत अधिक से अधिक करों की बचत पर ध्यान देना होगा।
ऐसे लोग जो कर बचत संबधी अभी तक कोई योजना नहीं बना पाए हैं उनके लिए नीचे कुछ अहम बातों पर रोशनी डाली गई है।
निवेश संबंधी प्रमाण
निवेश संबंधी प्रमाण को कंपनी के वित्त विभाग को जमा कराना होता है। ऐसा करने से कंपनी को आपके पिछले कुछ महीनों की तनख्वाह से करों का भुगतान करने में आसानी होती है।
हालांकि इस तरह की घोषणाओं के लिए आपके पास निवेश संबंधी प्रमाण की आवश्यकता होती है लेकिन इसका यह मतलब नहीं होता है कि आप बाकी बचे महीनों में कर-बचत संबंधी कोई निवेश नहीं कर पाएंगे। निवेश संबंधी घोषणाओं के कागजातों को भरने के वक्त निवेश से जुड़े प्रमाण का होना अनिवार्य माना जाता है।
अगर आपने अपने निवेश संबधी आवश्यक प्रमाण पत्र नहीं जमा किया है तो फिर आपकी निवेश संबधी घोषणाओं पर विचार नहीं किया जाएगा।
इसके अलावा आपको भविष्य निधि में कटौती संबंधी प्रमाण पत्र देने की जरूरत नहीं होती है। कंपनी आपके द्वारा भुगतान किए जाने वाले करों की गणना करने समय इस बात का पूरा ध्यान रखती है।
देर से भुगतान
इस बात की संभावना बन सकती है कि आनेवाले कुछ महीनों में आपके बीमा या फिर म्युचुअल फंड के सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के भुगतान के नवीकरण की बात सामने आ रही हो।
इसका मतलब यह निकलता है कि आपके पास इस बात का प्रमाण उपनब्ध नहीं होगा कि आप एसआईपी के जरिए निवेश को जारी रखते हैं या फिर इसे बंद कर रहे हैं। हालांकि इनसे निपटने के लिए आप पिछले रिकॉर्ड का सहारा ले सकते हैं।
मतलब ये कि अगर इनका भुगतान नियमित अंतराल पर किया गया है तो फिर पिछले साल के भुगतान संबंधी कागजातों को दिखाया जा सकता है। हां यह याद रखना जरूरी है कि आप इन बीमा और इससे जुड़े खर्च को आनेवालों साल में भी जारी रखना चाहते हैं।
यह इस बात को सुनिश्चित करेगा कि एसआईपी या बीमा प्रीमियम की अगले दो महीनों में बकाया किस्तों को कर रियायत संबंधी गणना करते वक्त ध्यान में रखा जाता है।
अंतिम समय की गाथा
ऐसी भी बाते देखने को मिलती है जब किसी व्यक्ति ने कर छूट संबंधी घोषणाओं को सौंपते वक्त भी आवश्यक निवेश नहीं किया होता है। हालांकि अंतिम समय में भी कुछ बेहतर किया जा सकता है।
ऐसी स्थिति में इस बात की पूरी संभावना होती है कि कंपनी ने पूर्व में जमा किए विवरणों के आधार पर कर लगाने की कवायद शुरू कर देती है।
अगर समय पश्चात किए गए निवेश पर कर रियायत के समय विचार किया जाता है तो इस हालात में कंपनी के सामने अपनी बात रखने केलिए कुछ अतिरिक्त प्रयास करने की जरूरत होती है।
हालांकि एक बात को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है कि अगर कंपनी ने आपके द्वारा किए जानेवाले कर को आयकर विभाग के पास जमा कर दिया है तो फिर ऐसी स्थिति में कंपनी बहुत कुछ नहीं कर सकती है।
अगर ऐसा पहले ही हो चुका है तो फिर आप आईटी रिटर्न भरते वक्त करों की वापसी का दावा कर सकते हैं। हालांकि यह प्रक्रिया काफी लंबी है। इसकेतहत सबसे पहले तो आपको अपना आयकर रिटर्न जमा कराना होता है और उसके बाद अघिकारियों द्वारा इस बारे में पूरी छानबीन होती है।
अंत में आपके करों की वापसी हो पाती है। कई बार तो ऐसा करने में छह महीने से लेकर एक साल तक का समय लग सकता है।
निवेश के तरीके
अंतिम समय में किए जाने वाले निवेश के लिए बेहतर योजना की जरूरत होती है। अगर आप किसी इक्विडी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) में निवेश करने की योजना बना रहे हैं तो इसे सिर्फ एसआईपी के जरिए ही करना बेहतर माना जा सकता है।
हालांकि निवेश करने से पहले आपको अपनी भविष्य की जिम्मेदारियों का भी पूरा खयाल रखने की जरूरत होती है। अगर आपको आने वाले महीनों में एक बड़ रकम की बचत की जरूरत होती है ऐसी स्थिति में ऐसे इंस्ट्रूमेंट में निवेश से बचना चाहिए जिसमें (यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान या यूलिप)नियमित तौर पर सालाना भुगतान की जरूरत होती है।
(लेखक प्रमाणित वित्तीय योजनाकार हैं)