बीमा

मकान का इतना बीमा करा लें कि बारिश गिराए तो नया मकान बना लें, ऐसे जानें कितनी रकम का खर्च सही

कॉम्प्रिहेंसिव बीमा में मकान के ढांचे और मौजूद सामान का बीमा एक ही पॉलिसी में मिल जाता है। मगर मकान का बीमा लेते समय ध्यान रखें कि हर तरह का कवरेज हर किसी के काम का नहीं होता।

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कार्तिक जेरोम   
Last Updated- July 17, 2024 | 10:46 PM IST

Home Insurance: बारिश और मॉनसून का जिक्र किसी समय दिल खुश कर देता था मगर पिछले कुछ समय से यह बाढ़ और तबाही का पर्याय बन गया है। इसी साल बेंगलूरु और दिल्ली में भारी बारिश ने कई लोगों के मकान और संपत्तियां तबाह कर दीं। यह देखते हुए मकानों का बीमा कराना बेहद जरूरी लगने लगा है।

कितनी तरह का आवास बीमा

आवास बीमा या होम इंश्योरेंस में तीन तरह का बीमा कवर दिया जाता है: इमारत का बीमा, सामान का बीमा और दोनों का या कॉम्प्रिहेंसिव बीमा। पहली तरह के बीमा कवर में मकान के ढांचे को सुरक्षा मिलती है, जिसमें दीवारें, छत, नींव तथा स्थायी तौर पर बना ढांचा शामिल होता है। सामान का बीमा कराने पर मकान के भीतर मौजूद सचल वस्तुओं जैसे फर्नीचर, उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक्स और कपड़ों आदि को सुरक्षा मिलती है। ऐसे सामान की चोरी होती है, नुकसान होता है या बीमा पॉलिसी में दी गई किसी अन्य घटना के कारण क्षति होती है तो बीमा मिलता है।

कॉम्प्रिहेंसिव बीमा में मकान के ढांचे और उसमें मौजूद सामान का बीमा एक ही पॉलिसी में मिल जाता है। मगर मकान का बीमा लेते समय ध्यान रखें कि हर तरह का कवरेज हर किसी के काम का नहीं होता।

पॉलिसीबाजार के सह- संस्थापक और चीफ बिजनेस ऑफिसर तरुण माथुर समझाते हैं, ‘मकान मालिक को अपने मकान के ढांचे यानी इमारत का बीमा तो जरूर कराना चाहिए। मगर मकान किराये पर चढ़ाया हो तो सामान का बीमा कराने की उन्हें कोई जरूरत नहीं है। जो लोग खुद अपने मकान में रहते हैं और उसे पूरी तरह महफूज रखना चाहते हैं उन्हें कॉम्प्रिहेंसिव बीमा ले लेना चाहिए। किरायेदार सामान का बीमा करा सकते हैं।’

कितने का कराएं बीमा

होम इंश्योरेंस में बीमा की रकम इतनी तो होनी ही चाहिए कि मकान पूरी तरह खत्म हो जाने पर उसे दोबारा बनाया जा सके। बीमा की रकम तय करने के लिए आप कारपेट एरिया की मदद ले सकते हैं। बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस में चीफ टेक्निकल ऑफिसर टीए रामलिंगम बताते हैं, ‘कारपेट एरिया को निर्माण के खर्च से गुणा कर लीजिए। आपको पता लग जाएगा कि कितनी रकम का बीमा कराना चाहिए।’

मगर होम इंश्योरेंस में मकान के निर्माण का खर्च ही दिया जाता है, जमीन की कीमत नहीं। सेक्योरनाउ के सह- संस्थापक कपिल मेहता समझाते हैं, ‘मान लीजिए कि मकान बनवाने का खर्च 3,000 रुपये से 5,000 रुपये प्रति वर्ग फुट पड़ता है। इसे कुल वर्ग फुट क्षेत्रफल से गुणा कर दीजिए और उसमें 10 से 15 फीसदी इजाफा कर दीजिए। इस तरह आई रकम ही बीमा की कुल रकम होगी। बीमा कम रह जाए, इससे बेहतर है कि जरूरत से ज्यादा बीमा ले लिया जाए।’मकान में रखे सामान का बीमा लेने जाएंगे तो बीमा कंपनी आपसे सारे सामान की सूची मांगेगी और यह भी पूछेगी कि सामान किस साल में बना और कौन सा मॉडल है।

माथुर कहते हैं, ‘अपने सारे सामान की फेहरिस्त बना लें और हिसाब लगाएं कि उसकी कुल कीमत क्या होगी। बीमा की रकम कम से कम इतनी तो होनी ही चाहिए ताकि सामान पूरी तरह खराब होने पर आप सारा सामान दोबारा खरीद सकें।’ मेहता की सलाह है कि महंगे एंटीक सामान, पेंटिंग, गहनों, सोने या घड़ियों के बारे में खास तौर पर बता दें ताकि उनका बीमा जरूर हो जाए। 50 लाख रुपये के कॉम्प्रिहेंसिव बीमा के लिए आपको आम तौर पर 9,200 रुपये से 11,500 रुपये तक प्रीमियम देना पड़ता है। इस पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) अलग से लगता है।

मॉनसून से नुकसान पर बीमा?

बाढ़ से होने वाला नुकसान हर प्रकार की आवास बीमा पॉलिसी में शामिल होता है। मेहता की राय है, ‘ध्यान रहे कि आपके होम इंश्योरेंस में मॉनसूनी बारिश से बचाव के लिए एसटीएफआई (स्टॉर्म, टेंपेस्ट, फ्लडिंग, इनंडेशन) कवर जरूर हो। यह तूफान, अंधड़, बाढ़ और अतिवृष्टि से होने वाले नुकसान से बचाता है।’

माथुर इसमें जरूरत के मुताबिक कुछ राइडर जोड़ने की भी सलाह देते हैं। अगर आप ऐसी जगह रहते हैं, जहां बाढ़ आती ही रहती है तो व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा का राइडर लेना भी ठीक रहेगा।

बहुमंजिला इमारतें

बहुमंजिला या गगनचुंबी इमारतों में रहने वाल लोगों के सामने अलग तरह की चुनौतियां होती हैं क्योंकि किसी एक हिस्से को हुआ नुकसान इमारत में रहने वाले हर शख्स को प्रभावित कर सकता है। मगर उनमें रहने वालों को दो तरह के बीमा का फायदा मिल जाता है।

माथुर बताते हैं, ‘अगर इमारत का मास्टर पॉलिसी के जरिये बीमा है, जिसके दायरे में इमारत तथा कॉमन एरिया आते हैं तो फ्लैट मालिकों को सामान के लिए अलग से बीमा ले लेना चाहिए। इसमें सामान, फ्लैट में किए बदलाव और निजी देनदारी तो शामिल होती ही है, अगर फ्लैट रहने के काबिल नहीं रह जाता तो कहीं और रहने पर आने वाला किराये जैसा खर्च भी शामिल होता है।’

अगर इमारत की मास्टर पॉलिसी नहीं है तो कॉम्प्रिहेंसिव बीमा लेना सही रहेगा। इस बीमा में फ्लैट के ढांचे और उसके भीतर रखे सामान का बीमा होगा।

अंत में मेहता बीमा की रकम तय करने के लिए मकान के बाजार मूल्य को पैमाना बनाने पर जोर देते हैं। पॉलिसी का नियमित रूप से जायजा लेना और समय के साथ निर्माण की लागत बढ़ने पर बीमा की रकम भी बढ़वाना सही रहता है।

First Published : July 17, 2024 | 10:36 PM IST