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नए सरेंडर नियमों के बाद निजी बीमाकर्ता भी कमीशन ढांचे में करेंगे बदलाव, अगले हफ्ते होगी बैठक

उद्योग के जानकारों का कहना है कि निजी बीमाकर्ता अभी वितरकों और एजेंटों के साथ चर्चा कर रहे हैं और अगले दो से तीन महीने में इस बारे में निर्णय ले लेंगे।

Published by
सुब्रत पांडा   
आतिरा वारियर   
Last Updated- October 16, 2024 | 10:35 PM IST

बीमाकर्ताओं द्वारा पॉलिसियों को सरेंडर करने से संबंधित नियमों में बदलाव के बाद निजी क्षेत्र की जीवन बीमा कंपनियां विभिन्न वितरकों के लिए अपने कमीशन ढांचे में फेरबदल कर सकती हैं। सामंजस्यपूर्ण कमीशन ढांचे की रूपरेखा तैयार करने के लिए अगले हफ्ते जीवन बीमा कंपनियों के प्रमुखों की जीवन बीमा परिषद के साथ बैठक प्रस्तावित है।

घटनाक्रम के जानकार सूत्रों के अनुसार इस कदम का उद्देश्य पूरे उद्योग में कमीशन भुगतान में स्थिरता सुनिश्चित करना और वितरकों पर इसके असर को कम करना है। जिन विकल्पों पर विचार किया जा रहा है उनमें कमीशन वापस लेना, कमीशन स्थगित करना और कमीशन में कटौती शामिल है।

उद्योग के सूत्रों के अनुसार बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों जैसे बड़े कॉरपोरेट एजेंट के लिए बीमा कंपनियां कमीशन वापस लेने का विकल्प चुन सकती है जबकि व्यक्तिगत एजेंट के मामले में कमीशन स्थगित करना और उसमें कमी करने पर विचार हो सकता है। हालांकि यह एजेंट के प्रदर्शन पर निर्भर करेगा।

उद्योग के जानकारों का कहना है कि निजी बीमाकर्ता अभी वितरकों और एजेंटों के साथ चर्चा कर रहे हैं और अगले दो से तीन महीने में इस बारे में निर्णय ले लेंगे।

एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस की प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी विभा पडलकर ने दूसरी तिमाही के नतीजों के बाद विश्लेषकों से बातचीत में कहा था, ‘हम अपने सभी भागीदारों के साथ वाणिज्यिक बदलाव को लागू करने के विभिन्न चरण में हैं। हमने ट्रैक रिकॉर्ड और भागीदार प्राथमिकताओं के आधार पर कमीशन स्थगन, कमीशन में कटौती सहित अनुकूल समाधान अपनाए हैं।’

सूत्रों ने कहा कि बीमा कंपनियों का प्रयास है कि नए नियम को लागू करने में कम से कम अड़चन आए। कंपनियों का मानना है कि बेहतर कमीशन की पेशकश के हिसाब से कुछ व्यक्तिगत एजेंट एक से दूसरी कंपनी में जा सकते हैं। जीवन बीमा परिषद के आंकड़ों के अनुसार सितंबर तक जीवन बीमा क्षेत्र में 30 लाख से अधिक व्यक्तिगत एजेंट काम कर रहे थे, जिनमें भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के साथ 14.4 लाख एजेंट जुड़े हैं।

निजी क्षेत्र की एक बीमा कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार कमीशन वापस लेने की व्यवस्था उन वितरकों पर लागू होगी जिनके साथ छोड़ने का बीमा कंपनियां जोखिम उठा सकती हैं। अन्य के मामले में कमीशन स्थगित करना और उसे घटाने का विकल्प अपनाया जा सकता है।

अधिकतर बीमा कंपनियों ने हाल में ग्राहकों के लिए आंतरिक रिटर्न दर (आईआरआर) में कमी की है जो मुख्य रूप से ब्याज दर में बदलाव के कारण है। मगर नए सरेंडर वैल्यू मानदंड के कारण आगे इसमें और कटौती की जा सकती है। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि बीमाकर्ता प्रतिस्पर्धी बने रहते हुए कितना मार्जिन गंवाने के लिए तैयार है।

इंडिया फर्स्ट लाइफ इंश्योरेंस के एमडी व सीईओ ऋषभ गांधी ने कहा, ‘बीमा उद्योग स्थिरता के लिए कमीशन ढांचे की समीक्षा कर रहा है। इसमें हितधारक की प्राथमिकता के आधार पर कमीशन में स्थगन, उसे वापस लेने और कटौती या इनका मिला-जुला रूप शामिल है।’

बिज़नेस स्टैंडर्ड ने पहले खबर प्रकाशित की थी कि सरेंडर वैल्यू नियमों में बदलाव के बाद भारतीय जीवन बीमा निगम ने पॉलिसी के पहले साल के लिए एजेंट को मिलने वाले कमीशन को 35 फीसदी से घटाकर 28 फीसदी कर दिया है। इसके साथ ही नवीनीकरण प्रीमियम पर कमीशन को बढ़ाकर 7.5 फीसदी कर दिया है।

इस साल जून में भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण ने जीवन बीमा उत्पादों पर मास्टर सर्कुलर जारी किया था। इसमें समय से पहले पॉलिसी बंद कराने वाले ग्राहकों को बेहतर भुगतान सुनिश्चित करने का प्रावधान किया गया है। नया नियम 1 अक्टूबर से लागू है।

संशोधित नियम के अनुसार बीमाकर्ताओं को पॉलिसी के एक साल पूरा होने और ग्राहकों द्वारा उस साल की पूरी किस्त चुकाने पर ज्यादा विशेष सरेंडर मूल्य का भुगतान करना होगा। पहले कंपनियां ग्राहकों को एक साल में पॉलिसी सरेंडर करने के लिए इस तरह का भुगतान नहीं करती थीं।

कोटक लाइफ इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक महेश बालासुब्रमण्यन के अनुसार बीमाकर्ता कमीशन स्थगित करने और उसे वापस लेने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं।

First Published : October 16, 2024 | 10:35 PM IST