स्मार्ट पोर्टफोलियो के चौथे इंटरव्यू में रिलायंस मनी के फंड मैनेजर आनंद अग्रवाल ने अपनी निवेश रणनीति के बारे में बताया। अग्रवाल उचित कीमतों के साथ–साथ वृद्धि (जीएआरपी) पर भी गहरा विश्वास करते हैं। उन्होंने रैक्स कैनो को दिए इंटरव्यू में निवेश के अपने तरीके, पंसदीदा सेक्टर और बाजार से उम्मीद के बारे में विस्तार से बताया।
स्मार्ट पोर्टफोलियो में आपने निवेश की कौन सी शैली अपनाई है ?
मेरी निवेश शैली बेहद सामान्य है। मैं उन शेयरों में निवेश करना पसंद करूंगा जो लंबी या फिर मध्यम अवधि में अच्छा रिटर्न देने में सक्षम हों। मैं इसके लिए उन कंपनियों के शेयरों को चुनूंगा
जिनके पास कैश के फ्लो की समस्या न हो और उनमें अच्छे कारोबार की क्षमता हो।
इस बेहद अस्थिर बाजार में आप
किन शेयरों या फिर सेक्टरों की
ओर जाएंगे?
मेरा मानना है कि मध्यम से लंबी अवधि में इंफ्रास्ट्रक्चर, यूटिलिटी और विमानन क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन करेंगे। यूटीलिटी में मेरी पसंद टेलीकाम है। अगले सालों में इनके ग्राहकों की संख्या में अच्छी खासी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। विमानन क्षेत्र कांट्रा बेट है क्योंकि अभी यह क्षेत्र कंसोलिडेशन के चरण से गुजर रहा है। इससे इसकी कीमतों में किफायत आएगी। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का भी इसकी सेहत पर अच्छा असर पड़ेगा। क्योंकि यह क्षेत्र एक बड़ी राशि इस मद में व्यय करता है। लंबी अवधि में फाइनेंशियल सेक्टर का प्रदर्शन बेहतर रहेगा। अभी भारत में इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। क्योंकि अभी केवल दो फीसदी जनता ही इक्विटी मार्केट से जुड़ी हुई है।
रुपये के अवमूल्यन पर आपके क्या विचार हैं ?
रुपये की कीमत में हुई गिरावट का सबसे बड़ा कारण कच्चे तेल की बढ़ी कीमतें, मुद्रास्फीति की ऊंची दर और अमेरिका में आया सब प्राइम संकट है। यहां यह बात ध्यान देने योग्य है कि इस दौरान अमेरिकी डॉलर दुनिया की दूसरी मुद्राओं की तुलना में 12 से 15 फीसदी मजबूत हुआ है। हम देख रहे हैं कि रुपया वर्तमान स्तर पर मजबूत हो रहा है। अब मध्यम से लंबी अवधि में यह मजबूती की ओर कदम बढ़ाएगा। खुद रिजर्व बैंक भी नहीं चाहेगा कि रुपये की कीमतों में इस वक्त अस्थिरता आए। अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर इसका बुरा असर पड़ सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था में हुए तेज विकास और धीमी होती कच्चे तेल की कीमतों को देखते हुए अब कोई कारण नहीं जो रुपये को मजबूत होने से रोके।
इस समय अमेरिकी अर्थव्यवस्था संकट में फंसी हुई है। अमेरिकी सरकार ने बड़ी वित्तीय कंपनियों की मदद करने के लिए बड़े बेल आउट पैकेज की घोषणा की है। ऐसे में अमेरिकी बाजार कहां जाएगा?
मौजूदा हालात पहले आए करेंसी संकट की ही तरह है। बेलआउट पैकेज से निश्चित रूप से लड़खड़ा रहे अमेरिकी वित्तीय बाजार को राहत मिलेगी। अमेरिकी अर्थव्यवस्था इस समय पुनर्विकास की प्रक्रिया से गुजर रही है। एक बार इस प्रक्रिया के पूरी हो जाने के बाद अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर आ जाएगी।
बाजार में स्थायित्व आने में कितना और समय लगेगा?
पिछले छह से नौ महीनों से हमारा बाजार वैश्विक बाजार से मिले संकेतों पर टिका हुआ है। हालांकि इसके बाद भी मेरा पूरा विश्वास भारत की विकास की कहानी पर कायम है। अभी 8 फीसदी विकास दर बरकरार रखी जा सकती है। बाजार से एफआईआई के पैसा निकालने के बाद भी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कम नहीं हुआ है। यह शुभ संकेत है। मुझे लगता है कि अगले तीन माह और बाजार इसी स्थिति में फंसा रहेगा। इसके बाद वह फिर से ऊपर जाना प्रारंभ कर देगा। भारत की अर्थव्यवस्था पूरी तरह घरेलू विकास पर आधारित रही है। इसे निर्यात बाजार ने निवेश के लिए एक आदर्श स्थान बना दिया है।
आप पोर्टफोलियो कंसन्ट्रेशन पर भरोसा करेंगे या फिर डाइवर्सिफिकेशन पर ?
जाहिर तौर पर मेरा विश्वास पोर्टफोलियो कंसन्ट्रेशन पर बिलकुल नहीं है। पर साथ ही मैं अति डाइवर्सिफिकेशन पर भी यकीन नहीं करता। हालांकि इसके बाद भी अगर मुझे कोई एक क्षेत्र अधिक पसंद आता है तो उसे मैं अपने पोर्टफोलियो में अहम स्थान दूंगा। मैं अपनी एप्रोच को लेकर बेहद डायनामिक हूं।
एक निवेश के लिए औसतन समय सीमा क्या होना चाहिए?
आदर्श स्थिति में आपको अपने निवेश को विकसित होने के लिए एक या दो साल की समयावधि के लिए निवेश करना चाहिए। साथ ही किसी निवेश को लेकर आपके मन में कोई साफ लक्ष्य होना चाहिए। कारोबार के समय नुकसान कम करने के लिए आपके फंडामेंटल पूरी तरह सही हों। हालांकि यहां पर किसी निवेशक को ज्यादा सख्त नहीं होना चाहिए और निर्णय समय समय के आर्थिक हालातों पर निर्भर होना चाहिए।
नतीजों का समय आ रहा है। आप भारतीय कार्पोरेट से किस तरह के परिणाम की उम्मीद करते हैं?
इसका शेयरों की कीमत पर क्या असर पड़ेगा?
दूसरी तिमाही में किसी तरह के आश्चर्यचकित करने वाले परिणामों की उम्मीद नहीं है। हालांकि कुछ निराशा की बात सामने आ सकती है। हमें कारपोरेट लाभ में मामूली बढ़ोतरी की ही उम्मीद है। पिछले तीन सालों की तरह 20 फीसदी की उम्मीद तो बिलकुल बेमानी है।
आपको अपने स्मार्ट पोर्टफोलियो से इस साल कितने रिटर्न की उम्मीद है?
मुझे बाजार से बेहतर रिटर्न की उम्मीद है। बाजार की हालत को देखते हुए इस साल के अंत तक मुझे 15 फीसदी रिटर्न मिस सकता है।
एक अच्छे फंड मैनेजर की क्या विशेषताएं हैं ?
हर फंड मैनेजर की अपनी अलग एप्रोच होती है। उसे वैल्युएशन, भविष्य में कारोबार की क्षमता, तुलनात्मक अध्ययन और प्रबंधन दक्षता पर ध्यान देना चाहिए। एक अच्छा फंड मैनेजर वह है जो संख्या और गुणवत्ता दोनों के विश्लेषण में अच्छा हो। वह बाजार के पीछे न भागे। इसके साथ ही उसमें लोच होनी चाहिए ताकि वह बदले वातावरण के अनुसार ढल सके।
पहली बार निवेश कर रहे निवेशकों के लिए आपकी क्या सलाह है?
यह बाजार में उतरने का सबसे अच्छा समय है। इक्विटी और एसेट श्रेणी में निवेश के बेहतर विकल्प हैं। ब्लू चिप शेयरों को ही खासी मार नहीं झेलनी पड़ी है, बल्कि वे अपने ठीक–ठाक भाव से नीचे चले गए हैं जबकि उनमें विकास की अच्छा क्षमता है। अर्थव्यवस्था के पिछले अनुभवों के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि यह चक्रीय मंदी है। यहां मांग लगातार बढ़ रही है। विकास की दर 7-8 फीसदी है जो वैश्विक विकास दर से बेहतर है।