बाजार में अभी तक दो तरह की टर्म बीमा योजनाएं मिलती रही हैं। इनमें से एक बुनियादी प्लान है, जिसमें अगर पॉलिसी अवधि के दौरान किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसके द्वारा नामित व्यक्ति यानी नॉमिनी को बीमा की पूरी रकम मिल जाती है। अगर बीमा की अवधि पूरी होने तक व्यक्ति सुरक्षित रहता है तो उसे कुछ भी नहीं मिलता। दूसरा रिटर्न ऑफ प्रीमियम (आरओपी) टर्म प्लान है। यह प्लान सादा टर्म प्लान से इस मामले में अलग है कि आरओपी प्लान में अगर बीमा कराने वाला व्यक्ति पॉलिसी की अवधि के दौरान जीवित रहता है तो उसे पूरी अवधि में चुकाया गया समूचा प्रीमियम वापस मिल जाता है। आरओपी टर्म प्लान का प्रीमियम सादा टर्म प्लान से करीब दोगुने महंगे होते हैं।
इस समय दो कंपनियां मैक्स लाइफ इंश्योरेंस (स्मार्ट सिक्योर प्लस प्लान) और बजाज आलियांज लाइफ इंश्योरेंस (ईटच टर्म इंश्योरेंस प्लान) तीसरी तरह का एक प्लान भी मुहैया करा रही हैं, जिन्हें उद्योग जीरो कॉस्ट यानी शून्य लागत वाला टर्म प्लान कहता है। अगले कुछ महीनों में दो या तीन अन्य कंपनियां भी ये प्लान शुरू कर सकती हैं।
कैसे करते हैं काम
मैक्स लाइफ ने इस खूबी को ‘विशेष निकासी मूल्य’नाम दिया है और इसे वह अपने स्मार्ट सिक्योर प्लस प्लान के साथ मुहैया कराती है। मैक्स लाइफ इंश्योरेंस के प्रमुख (उत्पाद प्रबंधन) वैभव कुमार ने कहा, ‘पॉलिसीधारक को एक बार एक निश्चित समय पर निकासी करने और बुनियादी सुरक्षा के लिए चुकाए गए प्रीमियम की पूरी रकम हासिल करने का विकल्प दिया जाता है। यह विकल्प उन पॉलिसीधारकों को मिलता है, जो स्मार्ट सिक्योर प्लस प्लान में प्रीमियम की वापसी यानी आरओपी का विकल्प नहीं चुनते हैं।’
पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के कारोबार प्रमुख (टर्म बीमा) सज्जा प्रवीण चौधरी ने कहा, ‘यह सुविधा तभी मिलती है, जब आप 35 से 40 साल लंबी बीमा पॉलिसी खरीदते हैं। अगर आपकी बीमा पॉलिसी 10 से 15 साल के लिए है तो आपको यह विकल्प नहीं मिलेगा।’
मैक्स लाइफ इंश्योरेंस में यह सुविधा पॉलिसी अवधि 40 साल या अधिक होने पर ही मिलती है। पॉलिसीधारक 40 से 44 साल की पॉलिसी अवधि के लिए पॉलिसी के 25वें साल या 65 साल की उम्र में से जो भी पहले हो, उस पर निकासी कर सकता है अगर पॉलिसी की अवधि 45 साल या उससे अधिक है तो पॉलिसीधारक 30वां साल लगने या 65 साल की उम्र में से कुछ भी होने पर निकासी कर सकता है।
अपना धन वापस लें
ये पॉलिसी उन लोगों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई हैं, जो टर्म इंश्योरेंस केवल इसलिए नहीं खरीदते क्योंकि जीवित रहने पर पॉलिसी पूरी होते समय उन्हें कुछ भी वापस नहीं मिलता। चौधरी ने कहा, ‘अगर ऐसे ग्राहक इन प्लान में निकासी का विकल्प इस्तेमाल करते हैं तो ये उनके लिए बिना किसी खर्च के यानी जीरो कॉस्ट प्लान बन जाते हैं।’
बजाज आलियांज लाइफ इंश्योरेंस में नियुक्त एक्चुअरी अवधेश गुप्ता समझाते हैं, ‘पॉलिसी खरीदते समय ग्राहक को ऐसा लग सकता है कि उसे 75 या 80 साल की उम्र तक टर्म कवर की जरूरत होगी। लेकिन बाद में हो सकता है कि वह कवर जारी नहीं रखना चाहे। इसलिए हमने अपने टर्म कवर को लचीला बनाया है, जिसमें ग्राहक कवर समाप्त कर सकता है। साथ में उसे यह फायदा मिलता है कि वह सारा प्रीमियम वापस पा लेता है।’
क्या आपके लिए सही?
वित्तीय योजनाकार बुनियादी टर्म प्लान के पक्ष में हैं। फिनविन फाइनैंशियल प्लानर्स के संस्थापक मेलविन जोसेफ ने कहा, ‘अपनी बीमा की जरूरत पूरी करने के लिए 60 साल तक कम लागत के ऑनलाइन टर्म कवर खरीदें। अगर माना कि 55 साल की उम्र में आपको लगे कि आपने अपनी सभी वित्तीय जिम्मेदारियां पूरी कर दी हैं या उन्हें पूरी करने के लिए पर्याप्त धन जमा कर लिया है तो टर्म प्लान को बंद कर दें।’
उनके मुताबिक जिस टर्म प्लान में पैसा वापस मिलता है, वह ज्यादा महंगा होगा। वह कहते हैं, ‘ग्राहकों को यह भी समझना चाहिए कि पैसे की जो कीमत आज है कल नहीं रहेगी।’ जीरो कॉस्ट टर्म प्लान प्रीमियम की वापसी वाले प्लान के मुकाबले सस्ते हैं मगर उसी कंपनी के बुनियादी टर्म प्लान से 28 से 35 फीसदी महंगे हैं।
सेबी में पंजीकृत निवेश सलाहकार पर्सनलफाइनैंसप्लान के संस्थापक दीपेश राघव बुनियादी टर्म बीमा के साथ भी प्रीमियम की रकम वापस पाने का गुर समझा रहे हैं। वह कहते हैं, ‘कोई ग्राहक कम खर्च वाला यानी सादा टर्म बीमा खरीद सकता है और सादा टर्म प्लान तथा जीरो कॉस्ट टर्म प्लान के प्रीमियम के बीच अंतर भर की रकम कम खर्च वाले इंडेक्स फंड में निवेश कर सकता है। ऐसे में करीब 40 साल बाद उसके पास कुल चुकाए गए प्रीमियम के बराबर या उससे भी ज्यादा धनराशि
आ जाएगी।’
शुद्ध टर्म प्लान से जेब पर बोझ कम आता है। इसलिए बीमा कराने वाला व्यक्ति वित्तीय मुश्किलों के समय भी आसानी से उन्हें जारी रख सकता है। राघव ने कहा, ‘बहुत से ग्राहक प्रीमियम की पड़ताल भी करते हैं और उतना ही बीमा कवर लेते हैं, जितना उनकी जेब पर माफिक आता है। कम खर्च वाले यानी सादा टर्म प्लान में उन्हें अधिक राशि का बीमा मिल सकता है और वे ज्यादा सुरक्षित रह सकते हैं।’
कुछ ग्राहक जायदाद या विरासत की योजना दिमाग में रखकर महंगे होने के बाद भी लंबी अवधि के टर्म बीमा प्लान खरीदते हैं। अगर अवधि पूरी होने से पहले ही उनकी मृत्यु हो जाती है तो नॉमिनी को बीमा की पूरी राशि मिल जाती है। ऐसे ग्राहक अगर परिपक्वता यानी अवधि पूरी होने से पहले ही बीमा खत्म करा देते हैं तो उनका मकसद पूरा नहीं हो पाएगा।
जीरो कॉस्ट टर्म प्लान कुछ खास परिस्थितियों में उपयोगी हो सकता है। राघव कहते हैं, ‘ये प्लान महंगे जरूर होते हैं मगर इनसे वे ग्राहक यदि टर्म बीमा खरीदने पहुंच जाते हैं, जो अभी तक प्रतिफल के फेर में इससे दूर हैं तो इनका मकसद पूरा हो जाएगा।’
