एनआरआई को अग्रिम कर भरना ही होगा मगर केवल पेंशन और ब्याज से कमाने वाले वरिष्ठ नागरिक रहेंगे इससे बरी
अग्रिम कर की दूसरी किस्त चुकाने की आखिरी तारीख 15 सितंबर है, जो एकदम सिर पर आ गई है। यह आय पर लगने वाला कर है, जिसे साल के अंत में एकमुश्त चुकाने के बजाय हर तिमाही में भरना पड़ता है।
एसकेवी लॉ ऑफिसेज में सीनियर असोसिएट आशुतोष के श्रीवास्तव ने कहा, ‘आम तौर पर कर तभी चुकाना होता है, जब आमदनी होती है। फिर भी आयकर अधिनियम में कहा गया है कि व्यक्ति को पूरे वित्त वर्ष में अपनी आमदनी का अनुमान लगाना होता है और उसके आधार पर तय समय पर कर चुकाते रहना पड़ता है।’
मिगलानी वर्मा ऐंड कंपनी के प्रबंध साझेदार प्रत्यूष मिगलानी ने कहा, ‘एक ही बार में कर की भारीभकम राशि चुकाना किसी के लिए भी मुश्किल हो सकता है। अग्रिम कर इसीलिए शुरू किया गया ताकि करदाताओं पर वित्तीय दबाव कम हो सके।’
कौन चुकाएगा यह कर?
व्यक्ति चाहे वेतनभोगी हो, कारोबारी हो या पेशेवर श्रेणी से आता हो, यदि किसी भी वित्त वर्ष में उसकी अनुमानित कर देनदारी 10,000 रुपये या उससे अधिक है तो कानून के मुताबिक उसे अग्रिम कर चुकाना ही होगा।
आईपी पसरीचा ऐंड कंपनी में पार्टनर मनीत पाल सिंह ने कहा, ‘वेतनभोगी व्यक्तियों को तो वेतन से होने वाली आय पर कर दफ्तर से ही काट लिया जाता है। स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) के रूप में उनका नियोक्ता हर तिमाही कर काटता रहता है। उन्हें अग्रिम कर तभी भरना होता है, जब उनकी किसी अन्य स्रोत से ऐसी आय हो रही है, जिसके बारे में नियोक्ता को पता नहीं है।’
जिन वेतनभोगी करदाताओं को किराये, ब्याज और लाभांश जैसे स्रोतों से आय होती है, उन्हें अपने नियोक्ता को इसकी जानकारी देनी होती है। वेद जैन ऐंड असोसिएट्स में पार्टनर अंकित जैन ने कहा, ‘ऐसे मामलों में नियोक्ता ऐसी आमदनी पर टीडीएस ज्यादा काट लेता है और कर्मचारी की ओर से सरकार के पास जमा करा देता है।’ जो लोग कारोबारी या पेशेवर श्रेणी से संबंधित हैं और प्रिजम्पटिव कर योजना के दायरे में आते हैं, उन्हें भी अग्रिम कर का भुगतान करना पड़ सकता है। मिगलानी ने कहा, ‘अगर कोई करदाता धारा 44एडी या 44 एडीए के तहत इस योजना का विकल्प नहीं चुनता है तो उसे धारा 208 के तहत अग्रिम कर का भुगतान करना होगा।’
अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) के बारे में मिगलानी ने कहा, ‘इस अधिनियम में कहीं भी अनिवासी भारतीयों पर अग्रिम कर का विशेष रूप से उल्लेख नहीं किया गया है, इसलिए वे धारा 208 के तहत आते हैं। दूसरे शब्दों में अगर उनकी कर देनदारी भारत में किसी वित्त वर्ष में 10,000 रुपये से अधिक होती है तो उन्हें भी अग्रिम कर भुगतान करना होगा।’
जिन वरिष्ठ नागरिकों की कारोबार या पेशे से ‘लाभ या प्राप्ति’ के मद के तहत कोई कर योग्य आय नहीं है, उन्हें अग्रिम कर नहीं चुकाना पड़ता। सिंह का कहना है, ‘जिन वरिष्ठ नागरिकों को वर्ष के दौरान केवल पेंशन एवं ब्याज आमदनी होती है, उन्हें अग्रिम कर का भुगतान नहीं करना होता है।’
समय पर करें भुगतान
समय पर अग्रिम कर का भुगतान नहीं करने पर धारा 234बी और 234सी के तहत हर महीने या महीने के किसी हिस्से पर 1 फीसदी साधारण ब्याज वसूला जाता है। सिंह ने कहा, ‘अगर कम अग्रिम कर भरा गया है तो उस रकम पर ब्याज लगाया जाता है, जो भरी नहीं गई है।’ 15 सितंबर की समयसीमा नजदीक आ रही है। श्रीवास्तव कहते हैं, ‘अपनी अग्रिम कर देनदारी का हिसाब लगा लें और समय पर इसे भर दें। आप पहली किस्त चुकाने से चूक गए हैं तब भी यह काम जरूर करें ताकि आगे ब्याज चुकाने से बच सकें।’
इन बातों का रहे ध्यान
अग्रिम कर अनुमानित मौजूदा आय पर चुकाया जाना चाहिए। पीएसएल एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स में असोसिएट पार्टनर शोएब कुरैशी ने कहा, ‘करदाता को कर अधिकारियों को आय का कोई अनुमान या ब्योरा जमा कराने की जरूरत नहीं है। कर की गणना उस वित्त वर्ष के दौरान लागू दरों के हिसाब से चालू आय (करदाता द्वारा अनुमानित) पर की जा सकती है।’
अगर टीडीएस काट लिया गया है तो अग्रिम कर का हिसाब लगाते समय टीडीएस की रकम उसमें से घटाई जा सकती है। मिगलानी कहते हैं, ‘कर देनदारी का आकलन धारा 80सी, 90 और 90ए आदि के तहत उपलब्ध कटौतियों पर विचार करने के बाद किया जाता है।’
कुरैशी ने बताया कि करदाता फॉर्म 30 भरकर अतिरिक्त अग्रिम कर पर रिफंड का दावा कर सकते हैं। याद रखें कि साल भर में बनने वाला समूचा कर जब तक चुका नहीं दिया जाता है तब तक आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल नहीं किया जा सकता है।
सिंह का कहना है, ‘कंपनियां और ऐसे करदाता, जिनके लिए कर ऑडिट आवश्यक है, उन्हें अग्रिम कर का भुगतान ऑनलाइन करना चाहिए। अन्य सभी चालान नंबर 280 का इस्तेमाल कर किसी बैंक शाखा में जाकर या ऑनलाइन कर जमा कर सकते हैं।’