मंदी के दौर में निवेश विकल्पों को तलाशना काफी मुश्किल काम है। शेयर बाजारों की हवा निकली हुई है। सोने को छोड़कर सभी कमोडिटीज की कीमतों में भी काफी गिरावट आई है।
मिसाल के तौर पर कच्चे तेल को ही ले लीजिए, जो 147 डॉलर प्रति बैरेल के शिखर से उतर आज 45 डॉलर प्रति बैरेल की कीमत पर मिल रहा है। रियल एस्टेट की दुर्दशा के बारे में बात न ही करें, तो अच्छा है।
दुनिया भर में बैंकिंग और बीमा कंपनियों की हालत पस्त है। कोढ़ में खाज यह कि इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक विकास का खतरा मंडरा रहा है।
इस बुरे वक्त में विश्लेषक सिर्फ एक परिसंपत्ति में पैसा लगाने की सलाह दे रहे हैं और वह है सोना। पारंपरिक तौर पर सोने को सबसे अच्छा निवेश माना जाता है। यह बात इस बुरे वक्त में सही भी साबित हो रही है। फरवरी में एक औंस सोने की कीमत 1,007 डॉलर के शिखर को भी छू गई।
वजह माना जा रहा है, अटकलों की वजह से हेज फंडों द्वारा की गई जबरदस्त खरीदारी। इसके बाद से सोने की कीमत में प्रति औंस 77 डॉलर की गिरावट आ चुकी है और यह इस वक्त 930 डॉलर प्रति औंस की कीमत पर बिक रहा है।
कई विश्लेषक मान रहे हैं कि सोने की कीमतों में अभी और इजाफा होगा। सोने के प्रमुख डीलर यूबीएस की मानें तो एक औंस सोने की कीमत 2,500 डॉलर के स्तर तक जा सकती है, इसीलिए इसकी अभी और खरीदारी की जानी चाहिए।
खनन कंपनियों के सीईओ इस वक्त सोने के सबसे अच्छा निवेश होने की बात को प्रमुखता से पेश कर रहे हैं, ताकि निवेश इस ओर खींचे चले आएं। सोने के कट्टर समर्थकों का मानना है कि यह तो बस शुरुआत भर है।
दूसरा पहलू
कुछ लोगों का यह भी मानना है कि सोने की कीमत काफी ज्यादा है और कुछ ही वक्त में इसमें भी बाकी जिंसों की तरह तेज गिरावट देखने को मिल सकती है।
दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से मांग की तेज गिरावट की जो सूचनाएं आ रही हैं, उनके मुताबिक तो सोना इस वक्त काफी मुश्किल वक्त से गुजर रहा है।
उनके मुताबिक इसमें अभी काफी उठा-पटक देखने को मिल सकती है। अगर आपको लगता है कि मौजूका कीमत पर सोने में निवेश करना सही होगा, तो इन बातों पर गौर जरूर कर लें :
सोने को सबसे अच्छा निवेश इसलिए माना जाता था क्योंकि पहले पूरी मौद्रिक व्यवस्था ही सोने पर निर्भर हुआ करती थी।
आज मौद्रिक व्यवस्था सोने पर निर्भर नहीं है।
दुनिया भर में सोने की 75 फीसदी मांग गहनों के लिए होती है। सोने की तरलता पूरी तरह से गहनों की मांग से जुड़ी हुई है।
गहनों की मांग और सोने की कीमत में सीधा सीधा संबंध होता है। इसी वजह से अगर सोने की कीमत चढ़ती है, तो गहने की मांग कम होती है।
गहनों की कम होती मांग
आज दुनिया में गहनों की मांग कम हो रही है। अमेरिका, यूरोप और जापान में मंदी की वजह से गहनों की मांग काफी असर हुआ है। इटली का आभूषण उद्योग इस वजह से भारी मुश्किलों से जूझ रहा है।
जनवरी और फरवरी में तो दुनिया के नामी-गिरामी आभूषण केंद्रों में से एक, तुर्की में सोने का आयात शून्य हो गया। पिछले साल के मुकाबले इस साल जनवरी में दुबई में सोने की बिक्री में 60 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
आबूधाबी में पिछले साल के शुरुआती दो महीनों की तुलना में इस साल जनवरी और फरवरी में सोने की बिक्री में पूरे 70 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। रूस, सउदी अरब और दूसरे मुल्कों से आ रही खबरें भी ऐसी ही हैं।
देसी बाजार का भी बुरा है हाल
इस्तेमाल के हिसाब से भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। दुनिया भर के कुल उत्पादन के 25-30 फीसदी सोने का इस्तेमाल अकेले भारत में ही होता है। भारत में सोने की जरूरत को आयात के जरिये पूरा किया जाता है।
मांग में कमी का असर भारतीय बाजारों पर भी दिखाई दे रहा है। दिसंबर, 2008 में सोने के आयात में 83 फीसदी की गिरावट आ चुकी थी, जबकि जनवरी, 2009 तक यह 91 फीसदी तक गिर चुका था।
फरवरी में तो हमारे मुल्क में न के बराबर सोने का आयात हुआ है। मार्च का हाल भी ऐसा ही रहने की आशंका है।