अंतरराष्ट्रीय पुनर्बीमा कंपनियों के वित्तीय संकट से सामान्य बीमा कंपनियों (जीआईसी ) को काफी मदद मिली है।
पिछले साल की तुलना में राष्ट्रीय पुनर्बीमा कंपनी की नई पॉलिसियों के 1 जनवरी 2009 के नवीणीकरण में 20 फीसदी तक की बढोतरी हुई है।
गौरतलब है कि जीआईसी ने दुबई में अपने कारोबार को वर्ष 2008-09 में बढ़ाकर 517 करोड रुपये कर दिया है जबकि साल 2007-08 में इसका दुबई में कुल कारोबार 369 करोड रुपये का था। इसी तरह लंदन में कंपनी के पास इस साल 326 करोड़ रुपये का अंडररिटेन कवर था।
कंपनी ने वर्ष 2008 में अपना कारोबार शुरू किया था। इस क्षेत्र की कुछ बड़ी कंपनियों बाजार में काफी लंबे समय से काम कर रही है। इन विदेशी कंपनियों को अपने कारोबार में काफी परेशानियों का सामना करना पडा है जिसमें निवेश घाटा भी शामिल है। बडी पुनर्बीमा कंपनियों में से एक स्विस री को वारेन बफेट की तरफ से 2.59 अरब डॉलर की सहायता मिली है।
कंपनी को यह सहायता को 861.67 करोड ड़ॉलर के शुध्द नुकसान के घाटे के वर्ष 2008 में अनुमान के बाद मिली है। इस बाबत जीआईसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनैस स्टैंडर्ड को बताया कि वैश्विक बीमा कंपनियां जीआईसी में अपनी पूरी निष्ठा व्यक्त कर रही है।
उन्होंने आगे कहा कि अपनी सॉवरिन रेटिंग के कारण इसे कुछ मनोवैज्ञानिक लाभ भी मिला है। उन्होंने इस बात को स्पष्ट किया कि मंदी के कारण अंतरराष्ट्रीय क्षमता में बढ़ोतरी नहीं हुई है। ठीक इसी दौरान जीआईसी आनुपातिक संधि पर ध्यान केंद्रित किए हुए है। हाल में ही जीआईसी ने ब्राजील में भी अपना कारोबार शुरू किया है।
एशिया, अफ्रीका और मध्य-पूर्व में पॉलिसियों का नवीनीकरण इस साल मई में पूरा होना है। बीमा कंपनियां पश्चिमी देशों के कैलेंडर साल के अनुसार काम करती हैं जबकि पूर्व के देश वित्तीय साल के कैलेंडर के आधार पर काम करती हैं। उद्योग जगत के सूत्रों का कहना है कि वित्तीय संकट के परिणामस्वरूप जीआईसी के घरेलू कारोबार पर भी अप्रैल में असर पड़ेगा।
कंपनी का अंतरराष्ट्रीय कारोबार में हिस्सेदारी 27 फीसदी के करीब है जबकि बाकी हिस्सेदारी घरेलू कारोबार में है। जीआईसी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक योगेश लोहिया ने इससे पहले कहा था कि कंपनी विदेशी बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढाने पर जोर देगी जबकि और अगले दो से तीन सालों में इसे बढ़ाकर 50 फीसदी तक के स्तर पर करेगी।