फिनटेक

Paytm पर बाजारों में कशमकश, दिल्ली के चांदनी चौक से लेकर कोलकाता के गरियाहाट तक, कारोबारियों को सता रही चिंता

Paytm इस्तेमाल करने वाले 29 फरवरी के बाद उस पर अपने वॉलेट में पैसे नहीं डाल सकेंगे। मगर उसमें पहले से जमा रकम का इस्तेमाल होता रहेगा

Published by
ईशिता आयान दत्त   
विदुषी सिन्हा   
अताउल मुनीम   
Last Updated- February 07, 2024 | 11:10 PM IST

दोपहर होने वाली है और दक्षिण कोलकाता में रासबिहारी एवेन्यू से गरियाहाट बाजार तक दो किलोमीटर लंबे रास्ते पर खूब चहल-पहल है। यह कोलकाता का सबसे व्यस्त इलाका है, जहां साड़ी की दु​कानों से लेकर पटरी पर चिमटी, हैंगर और तौलियों से लेकर फोन कवर और कुर्ते तक किस्म-किस्म के सामानों की रेहड़ी लगी रहती हैं। इस बाजार में भी पेटीएम संकट की खुसफुसाहट होने लगी है।

यहां एक डायग्नॉ​स्टिक सेंटर भुगतान के लिए पेटीएम के बजाय कोई दूसरा साधन अपनाने की तैयारी कर रहा है। इस सेंटर के प्रबंधक बताते हैं, ‘हमने पहले ही बैंकों से बात कर ली है। हम क्यूआर कोड इस्तेमाल करेंगे और 29 फरवरी से नई व्यवस्था ही चलेगी।’

पेटीएम इस्तेमाल करने वाले 29 फरवरी के बाद उस पर अपने वॉलेट में पैसे नहीं डाल सकेंगे। मगर उसमें पहले से जमा रकम का इस्तेमाल होता रहेगा। फिर भी इलाके की बड़ी दुकानें ग्राहकों से रकम लेने के लिए बैंकों के क्यूआर कोड को तरजीह दे रही हैं। गद्दों की एक दुकान के मालिक कहते हैं, ‘मेरे पास दो बैंकों के क्यूआर कोड हैं, जो सुरक्षित भी है।’

कुछ फेरीवाले पेटीएम से लेनदेन बंद भी कर चुके हैं। कपड़े की रेहड़ी पर काम करने वाले रजत दास बताते हैं कि उनके मालिक ने पेटीएम से भुगतान लेने को मना कर दिया है। उन्हें यही पता है कि पेटीएम की भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के साथ कोई दिक्कत चल रही है। पेटीएम का संकट क्या है, यह हर किसी को पता नहीं है मगर कई लोग दूसरे व्यापारियों को देखकर इसका इस्तेमाल बंद कर चुके हैं।

गरियाहाट इलाके के कई फेरीवाले यह भी नहीं जानते कि पेटीएम का आगे क्या होगा। टोपी और रूमाल का ठेला लगाने वाले वाल्मीकि कुमार ने कुछ समय पहले ही पेटीएम का इस्तेमाल शुरू किया था। वह कहते हैं, ‘अगर कोई 20 रुपये की चीज लेता है तो मैं उसे पेटीएम से दाम चुकाने को कहता हूं क्योंकि छुट्टे पैसे की दिक्कत होती है।’ मगर अब वाल्मीकि भी पेटीएम छोड़कर दूसरा प्लेटफॉर्म अपनाने का मन बना रहे हैं।

कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें पूरा भरोसा है कि पेटीएम इस संकट से बाहर निकल आएगी। टॉफी बेच रहे गौरव साह कहते हैं, ‘मैं बता रहा हूं, कुछ नहीं होगा।’ सबूत के तौर पर वह पेटीएम से आए मैसेज दिखाते हैं, जिसमें लिखा है कि क्यूआर कोड 29 फरवरी के बाद भी काम करता रहेगा।

व्यापारियों के संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के महाराष्ट्र चैप्टर ने पेटीएम इस्तेमाल करने वालों को दूसरे भुगतान प्लेटफॉर्म पर जाने की सलाह दी है।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि आरबीआई ने पेटीएम पर जो प्रतिबंध लगाए हैं, उनसे कंपनी की वित्तीय सेवाओं की सुरक्षा और कामकाज चलते रहने पर चिंता खड़ी हो गई है।

कैट मुंबई के चेयरमैन रमणीक चड्ढा बताते हैं कि यह सलाह एहतियातन है जो व्यापारियों को वित्तीय परेशानी से बचाने के लिए दी गई है। उन्होंने कहा, ‘हम उन्हें हालात पर नजर रखने और अपनी रकम महफूज करने के लिए एहतियाती कदम उठाने को कह रहे हैं।’

नई दिल्ली के चांदनी चौक बाजार में भी माहौल अलग नहीं था। वहां भी गफलत बनी हुई है। कुछ व्यापारी पेटीएम छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं और कुछ अभी हालात साफ होने का इंतजार कर रहे हैं।

बिपिन कुमार यादव ने छह महीने पहले चांदनी चौक से कुछ दूर लाल किले के पास सड़क किनारे दुकान शुरू की थी। अब वह पेटीएम छोड़कर भारतपे ले चुके हैं। बिपिन कहते हैं, ‘मैने धंधा शुरू करते ही पेटीएम ले लिया था लेकिन अब शायद यह काम का नहीं रहेगा। तीन दिन पहले भारतपे का एक आदमी मेरे पास आया और मैंने उसका क्यूआर कोड ले लिया।’

पुरानी दिल्ली बाजार में खादी इंडिया के दफ्तर में डिजिटल लेनदेन के लिए बिजली पे इस्तेमाल होता है। वहां के प्रबंधक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘हमने भी दूसरी कंपनियों के क्यूआर स्कैनर रखने की सोची थी, मगर पेटीएम पर आरबीआई की बंदिश के बाद हमने यह इरादा छोड़ दिया। हम कोई खतरा नहीं लेंगे।’

खादी इंडिया के लोग किसी को भी पेटीएम की सलाह नहीं दे रहे हैं मगर कुछ कारोबारी अब भी पेटीएम पर पूरा भरोसा कर रहे हैं। 1884 से लग रही मशहूर जलेबीवाला की दुकान पर पेटीएम ही चलेगा। यह कारोबार करने वाली चौथी पीढ़ी के अभिषेक जैन कहते हैं, ‘पिछले तीन साल से हमारे पास पेटीएम है और हम इससे खुश हैं। हमें कभी कोई दिक्कत नहीं आई और न ही हमें कोई चिंता है क्योंकि पेटीएम ऐप अच्छी तरह काम करती है।’

जैन को लगता है कि यह पेटीएम को खरीदने के लिए किसी बड़े आदमी की चाल है। वह कहते हैं, ‘मैंने तो अभी पेटीएम के शेयर खरीदे हैं। अब बोलिए!’

कई व्यापारी कहते हैं कि पेटीएम में कोई झंझट नहीं होता, इसीलिए वे इसे चला रहे हैं। मिर्ची राम रेस्टोरेंट के मालिक गौतम नारंग चार साल से पेटीएम इस्तेमाल कर रहे हैं और इसे छोड़ने का उनका कोई इरादा नहीं है। वह बताते हैं कि उन्होंने कई दूसरी फिनटेक कंपनियां आजमाईं मगर पेटीएम का कोई जोड़ नहीं। लेकिन 2016 से पेटीएम चला रहे बालाजी साड़ी सेंटर के मालिक अरुण कुमार को फिक्र हो रही है। वह कहते हैं, ‘हम अक्सर पेटीएम का इस्तेमाल करते हैं। इसे बदलना मुश्किल होगा क्योंकि ज्यादातर ग्राहक पेटीएम पर ही लेनदेन करते हैं। पेटीएम में अभी जो हालत है वह हमारे लिए दिक्कत भरी है।’

कुमार की ही तरह पंजाब स्टेनलेस स्टील हाउस के नाम से क्रॉकरी की दुकान चला रहे राजेश को भी लगता है कि पेटीएम पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा तो मुश्किल हो जाएगी। वह कहते हैं, ‘यह मामला नहीं सुलझा तो व्यापारियों को दिक्कत आ सकती है।’ मगर कपड़ों की दुकान काली बाई छावड़ा के मालिक दीवान चंद छावड़ा कहते हैं कि जब तक ग्राहक पेटीएम चलाएंगे तब तक वह भी इसे चलाते रहेंगे। वह कहते हैं, ‘मैं व्यापारी हूं, इसलिए मुझे पैसे से मतलब है। वह कैसे आता है, इससे मतलब नहीं है। इसलिए ग्राहक लेनदेन के लिए जो तरीका अपनाएंगे, हम भी वही इस्तेमाल करने लगेंगे।’

(साथ में शार्लीन डिसूजा)

First Published : February 7, 2024 | 11:10 PM IST