वित्त वर्ष 2024 की दूसरी छमाही से सूक्ष्म ऋण के दबाव के बाद अब असुरक्षित कारोबारी ऋण (यूबीएल) सेग्मेंट पर दबाव के शुरुआती संकेत मिलने लगे हैं। इंडिया रेटिंग्स के मुताबिक अंतिम उधारी वालों के ऊपर नकदी को लेकर दबाव और ऑन-फील्ड एट्रिशन के कारण ऐसा हुआ है।
रेटिंग एजेंसी ने एक बयान में कहा है कि यूबीएल की संपत्ति की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है क्योंकि बट्टेखाते में ज्यादा ऋण डालने और उधारी लेने वालों की ओवर लिवरेजिंग के साथ कर्जदाताओं के बीच प्रतिस्पर्धा की स्थिति है।
वित्त वर्ष 2024 के ज्यादातर समय में इसका असर दिखा वहीं इसकी पहचान और चूक बढ़ने व इसे बट्टा खाते में डालने की आवश्यकता ने वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही से ऋण की लागत की पीड़ा बढ़ा दी है।
इंडिया रेटिंग्स के आंकड़ों से पता चलता है कि यूबीएल सेग्मेंट में महामारी के बाद से ऋण की वृद्धि दर बहुत तेज रही है। वित्त वर्ष 2024 में यह 67 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2024 में 42 प्रतिशत रही है। वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में वृद्धि दर स्थिर रही है क्योंकि कर्जदाताओं ने इस क्षेत्र को ऋण देने में सावधानी बरतनी शुरू कर दी।