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FPI Data: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने अक्टूबर में थोड़े समय के लिए निवेश रोकने के बाद फिर से भारतीय शेयर बाजार से पैसे निकालना शुरू कर दिया है। नवंबर में अब तक FPIs ने कुल ₹12,569 करोड़ की निकासी की है। इसका मुख्य कारण वैश्विक बाजारों में कमजोरी और जोखिम-से बचने की प्रवृत्ति बताई जा रही है।
यह इससे पहले अक्टूबर में ₹14,610 करोड़ की शुद्ध निवेश (inflow) दर्ज की गई थी। वहीं, पिछले कुछ महीनों में FPIs लगातार पैसे निकालते रहे थे-जुलाई में ₹17,700 करोड़, अगस्त में ₹34,990 करोड़, और सितंबर में ₹23,885 करोड़।
Geojit Financial Services के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजिस्ट वी.के. विजयकुमार के अनुसार, 2025 में FPI गतिविधियों का एक बड़ा पैटर्न यह रहा है कि हेज फंड भारत में बेच रहे हैं, जबकि अमेरिका, चीन, दक्षिण कोरिया और ताइवान जैसे AI-संबंधित रैलियों वाले बाजारों में निवेश कर रहे हैं।
उन्होंने बताया, “अभी भारत को AI रैली में पीछे रहने वाला मार्केट माना जा रहा है, और यही धारणा FPIs की रणनीति को प्रभावित कर रही है। हालांकि, वैश्विक टेक शेयरों में संभावित बबल का खतरा और भारत की बढ़ती आय के मद्देनजर FPIs धीरे-धीरे फिर से खरीदार बन सकते हैं।”
Angel One के सीनियर फंडामेंटल एनालिस्ट वक़ार जावेद खान ने कहा कि नवंबर के पहले हफ्ते में FPIs ने तकनीकी शेयरों में वैश्विक बिकवाली के चलते भारतीय शेयरों से ₹12,569 करोड़ की निकासी की। भारत की कंपनियों के Q2 FY26 के नतीजे उम्मीद से थोड़े बेहतर रहे हैं, खासकर मिडकैप सेक्टर में, लेकिन वैश्विक चुनौतियों के कारण विदेशी निवेशक जोखिम भरे संपत्तियों में सतर्क बने हुए हैं।
वहीं, डेट मार्केट में FPIs ने सामान्य सीमा के तहत ₹1,758 करोड़ की निकासी की, जबकि वैकल्पिक निवेश मार्ग (VRI) के तहत ₹1,416 करोड़ का निवेश किया। इस साल अब तक FPIs ने भारत से कुल ₹1.5 ट्रिलियन से अधिक की निकासी की है।