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क्रिप्टोकरेंसी में न करें 2 फीसदी से ज्यादा निवेश

Last Updated- December 12, 2022 | 3:58 AM IST

भारत में अभासी मुद्राओं (क्रिप्टोकरेंसी) में निवेश करने वाले लोगों के सामने इस वक्त दो जोखिम खड़े हो गए हैं। पहला जोखिम तो उन खबरों ने पैदा कर दिया था कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को आभासी मुद्रा कारोबार से किसी तरह का वास्ता नहीं रखने का अनौपचारिक आदेश दिया है। हालांकि वह आदेश अब वापस ले लिया गया है। मगर दूसरा और बड़ा जोखिम इन मुद्राओं में जबरदस्त उतार-चढ़ाव का है। 19 मई को ही बिटकॉइन करीब 30 फीसदी तक फिसल गया। दूसरी आभासी मुद्राओं में तो और भी ज्यादा गिरावट आई थी।

बैंकिंग सेवाओं पर रोक?
क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज चलाने वाले स्वीकार करते हैं कि बैंक उनके साथ कारोबार करने से कन्नी काट रहे हैं। जेबपे के सह-मुख्य कार्याधिकारी अविनाश शेखर कहते हैं, ‘यह बात सच है कि बैंक आभासी मुद्राओं से दूर छिटक रहे हैं।’ लेकिन शेखर ने उम्मीद जताई कि आरबीआई बैंकों को क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों के साथ काम करने से दोबारा नहीं रोकेगा। उन्होंने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि बैंकों को उच्चतम न्यायालय का वह आदेश याद आएगा, जिसमें आरबीआई की अधिसूचना रद्द कर दी गई थी।’
क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज चलाने वाले लोगों को वित्त मंत्री के बयान से भी उम्मीद है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार आभासी मुद्राओं के मामले में सोच-विचार कर ही निर्णय लेगी। वजीरएक्स के सह-संस्थापक एवं मुख्य परिचालन अधिकारी (सिद्धार्थ मेनन) कहते हैं, ‘हाल में आई खबरों से संकेत मिल रहे हैं कि क्रिप्टोकरेंसी के बारे में सरकार का रुख ज्यादा सकारात्मक हो गया है।’ वह जिस खबर की बात कर रहे थे, उसमें कहा गया था कि सरकार में कुछ लोग आभासी मुद्राओं पर सुभाष गर्ग समिति के विचारों को पुराना मान रहे हैं और नई समिति गठित की जा सकती है। गर्ग समिति ने आभासी मुद्राओं पर पूर्ण पाबंदी लगाने की सिफारिश की थी।
मगर यह बात तो साफ है कि इन मुद्राओं के संबंध में नियामकीय स्तर पर अनिश्चितता कायम है। अगर सरकार आभासी मुद्राओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगाती है तो भी वह निवेशकों को बाहर निकलने के लिए तीन से छह महीने का समय जरूर देगी।

बढ़ती अनिश्चितता
हाल ही में खबर आई कि चीन क्रिप्टोकरेंसी उद्योग को मिलने वाली बैंकिंग सेवाएं खत्म कर रहा है। यह सुनते ही बिटकॉइन और दूसरी क्रिप्टोकरेंसी औंधी हो गईं। विशेषज्ञों के मुताबिक बिटकॉइन बहुत कम वक्त में बहुत ज्यादा चढ़ गया था, इसलिए गिरावट आनी ही थी। विभिन्न देशों में क्रिप्टो कारोबार को बैंकिंग सेवा मुहैया कराने वाली कैशा के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी कुमार गौरव कहते हैं, ‘पिछले दिसंबर में बिटकॉइन करीब 20,000 डॉलर से उछलकर 60,000 डॉलर के पार चला गया था। फिलहाल यह 40,000 डॉलर पर है। गिरावट के बाद भी निवेशकों की रकम दोगुनी हुई है।’
विशेषज्ञों का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी में अनिश्चितता होती ही है। बिटकॉइन दिसंबर 2017 में 18,000 डॉलर पर था मगर दिसंबर, 2018 में लुढ़ककर 3,400 डॉलर रह गया। संपत्ति श्रेणी के रूप में अभी यह विकसित हो रही है और निवेशकों को जबरदस्त अनिश्चितता के लिए तैयार रहना चाहिए।

क्या करें निवेशक?
निवेशकों को क्रिप्टोकरेंसी में निवेश की शुरुआत मामूली रकम के साथ करनी चाहिए और अपनी कुल निवेश राशि का छोटा हिस्सा इनमें लगाना चाहिए। एक साथ निवेश करने के बजाय समय-समय पर थोड़ा-थोड़ा निवेश करने करेंगे तो इन मुद्राओं में आने वाले उतार-चढ़ाव में भी फायदा कमा लेंगे। छोटे निवेशकों को तो खास तौर पर ऊंचे दांव खेलने से परहेज करना चाहिए। लंबे समय तक निवेश बनाए रखेंगे तो घाटे से बचने में मदद मिलेगी। शेखर कहते हैं, ‘जिन निवेशकों ने पूरा धीरज रखते हुए दो से तीन साल तक निवेश बनाए रखा, उन्हें मुनाफा हुआ है।’ आभासी मुद्राओं में निवेश की इच्छा है तो पहले उनमें आने वाले तेज उतार-चढ़ाव को अच्छी तरह समझ लें और उसके बाद ही मैदान में उतरें। मेनन कहते हैं, ‘खुदरा यानी छोटे निवेशकों को सबसे पहले ब्लॉकचेन और क्रिप्टोकरेंसी तकनीक की संभावनाओं के बारे में जानकारी हासिल करनी चाहिए। दोनों तकनीकों का भविष्य उज्ज्वल है मगर उनके बारे में जानकारी होने के बाद निवेशकों का हौसला बढ़ेगा और तेज गिरावट होने पर भी उन्हें पता रहेगा कि निवेश कब तक बनाए रखने से कितना फायदा हो सकता है।’
अंत में यह भी ध्यान रखें कि क्रिप्टोकरेंसी पर नीतिगत स्तर पर कितना टकराव हो रहा है या क्या घटनाक्रम चल रहा है। प्लानअहेड वेल्थ एडवाइजर्स के मुख्य वित्तीय योजनाकार विशाल धवन कहते हैं, ‘आभासी मुद्राएं तभी सफल होंगी, जब सरकार मुद्रा एवं मुद्रा आपूर्ति पर अपना नियंत्रण कम करेगी। सरकार कम से कम अपनी मर्जी से या खुशी से तो ऐसा नहीं करेगी।’ धवन का कहना है कि ज्यादातर खुदरा निवेशकों को नियामकीय स्थिति या सरकार का रुख पूरी तरह साफ होने तक क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने से परहेज ही करना चाहिए।

First Published - June 6, 2021 | 8:28 PM IST

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