वित्त-बीमा

Bitcoin, Ethereum की कीमतें चढ़ीं, लेकिन क्या भारतीय निवेशकों के लिए है यह सही समय?

भारत में नियमितता की स्पष्टता की कमी और अधिक उतार-चढ़ाव के चलते निवेशकों को सीमित जोखिम ही लेना चाहिए।

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संजय कुमार सिंह   
कार्तिक जेरोम   
Last Updated- March 10, 2025 | 6:44 AM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने 2 मार्च 2025 को US Crypto Strategic Reserve बनाने की घोषणा की। इस रिजर्व में बिटकॉइन (Bitcoin), एथेरियम (Ethereum), एक्सआरपी (XRP), सोलाना (Solana) और कार्डानो (Cardano) जैसी प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी शामिल होंगी।

ट्रंप का यह कदम क्रिप्टोकरेंसी को वैधता देने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस फैसले से क्रिप्टो मार्केट में तेजी (Bull Run) देखने को मिल सकती है।

क्रिप्टो बाजार में भारी इनफ्लो, बिटकॉइन-इथेरियम की कीमतों में उछाल

अमेरिका सरकार के हालिया फैसले के बाद क्रिप्टो बाजार में जबरदस्त तेजी देखने को मिली। बीते 24 घंटे में करीब 300 अरब रुपये का इनफ्लो हुआ। इस दौरान बिटकॉइन 94,000 रुपये के पार पहुंच गया, जबकि इथेरियम 2,500 रुपये से ऊपर ट्रेड करता दिखा।

CoinSwitch के वाइस प्रेसिडेंट बालाजी श्रीहरि के मुताबिक, “अमेरिका सरकार की ओर से क्रिप्टो को वैधता मिलने से इसका मेनस्ट्रीम अडॉप्शन बढ़ सकता है। साथ ही, इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स की भागीदारी भी बढ़ेगी।”

ZebPay के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर राज कर्करा ने कहा, “बिटकॉइन और इथेरियम पहले से ही मार्केट में अपनी मजबूत स्थिति बनाए हुए हैं। लेकिन XRP, Solana और Cardano को अमेरिकी रिजर्व में शामिल करने से इनकी लोकप्रियता और अडॉप्शन में तेजी आ सकती है।”

क्या यह तेजी बनी रहेगी?

विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार की यह तेजी कितनी देर तक बनी रहेगी, यह कई फैक्टर्स पर निर्भर करेगा। इसमें सरकार की नीतियां, बाजार की धारणा और आर्थिक हालात प्रमुख भूमिका निभाएंगे।

क्रिप्टो की इस रैली के पीछे एक बड़ा कारण बिटकॉइन एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETF) की लॉन्चिंग भी है। कर्करा के मुताबिक, “अमेरिका में स्पॉट बिटकॉइन ETF के लॉन्च से भारी निवेश आया है। इससे बाजार को स्थिरता और लिक्विडिटी भी मिली है।”

अब पारंपरिक फाइनेंशियल संस्थान भी डिजिटल एसेट्स को अपना रहे हैं। बालाजी श्रीहरि ने बताया, “दुनिया की सबसे बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनी BlackRock अब अपने क्लाइंट्स को क्रिप्टो को पोर्टफोलियो में शामिल करने की सलाह दे रही है।”

क्रिप्टो इंडस्ट्री के लिए एक और सकारात्मक खबर यह है कि अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने क्रिप्टो कंपनियों पर दर्ज कई मुकदमे हटा लिए हैं। इससे उद्योग के लिए रेगुलेटरी माहौल बेहतर हो सकता है।

क्रिप्टो में इन्वेस्टमेंट से पहले जान लें ये बड़े रिस्क

क्रिप्टोकरेंसी में इन्वेस्ट करने से पहले इसके रिस्क को समझना बहुत जरूरी है। मार्केट में ज्यादा वैरिएशन, पॉलिसी से जुड़ी अनिश्चितता और सिक्योरिटी गैप्स जैसे फैक्टर्स इन्वेस्टर्स के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं।

1. हाई वोलैटिलिटी (Volatility)

क्रिप्टो मार्केट में प्राइस बहुत तेजी से ऊपर-नीचे होता है। SahajMoney के फाउंडर और सेबी रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर अभिषेक कुमार के मुताबिक, “क्रिप्टो अभी नए स्टेज पर है, इसकी मार्केट डेप्थ कम है और ज्यादा सेंटिमेंट-ड्रिवन ट्रेडिंग होती है।” यानी, इसमें वही लोग इन्वेस्ट करें जो हाई रिस्क लेने के लिए तैयार हैं।

2. पॉलिसी अनसर्टेनटी (Policy Uncertainty)

भारत में क्रिप्टोकरेंसी लीगल ग्रे एरिया में आती है। अभिषेक कुमार बताते हैं, “सबसे बड़ा रिस्क यह है कि सरकार कभी भी इस पर बैन लगा सकती है। साथ ही, RBI और SEBI जैसे अलग-अलग रेगुलेटर्स की वजह से कन्फ्यूजन बना रहता है। अचानक पॉलिसी चेंज हो सकती है या पुराने नियम भी लागू किए जा सकते हैं।” इसलिए इन्वेस्टर्स को अपडेट रहना चाहिए।

3. रेगुलेटरी गैप (Regulatory Gaps)

क्रिप्टो एक डीसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी पर बेस्ड है, जो ट्रेडिशनल फाइनेंशियल सिस्टम के नियमों से बाहर काम करती है। कुमार के अनुसार, “इससे फाइनेंशियल फ्रॉड और सिक्योरिटी थ्रेट्स के चांसेस बढ़ जाते हैं, क्योंकि यहां कोई क्लियर रेगुलेशन नहीं है।”

4. सिक्योरिटी और प्रोटेक्शन की कमी

क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट में बैंक डिपॉजिट इंश्योरेंस, सर्किट ब्रेकर और डिस्प्यूट रिजॉल्यूशन जैसी सेफ्टी नहीं मिलती। यानी, अगर कोई फ्रॉड हो जाता है, तो इन्वेस्टर्स को अपना पैसा वापस मिलना मुश्किल हो सकता है।

5. लिक्विडिटी रिस्क (Liquidity Constraints)

अगर गवर्नमेंट कोई सख्त नियम लागू कर देती है या मार्केट में अचानक गिरावट आती है, तो इन्वेस्टर्स को अपनी क्रिप्टो असेट्स खरीदने या बेचने में दिक्कत हो सकती है।

क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट: लिमिटेड निवेश करें, लॉन्ग टर्म सोच जरूरी

सीमित निवेश, लंबी अवधि का नजरिया जरूरी

क्रिप्टोकरेंसी एक हाई-रिस्क एसेट है, इसलिए फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स सतर्क रहने की सलाह देते हैं। एक्सपर्ट कुमार का कहना है कि क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट को पोर्टफोलियो के 1-5% तक ही सीमित रखना चाहिए। वे कहते हैं, “सिर्फ उतना पैसा लगाएं, जितना खोने पर कोई परेशानी न हो।”

साथ ही, वे कम से कम 5 साल की इन्वेस्टमेंट ड्यूरेशन रखने की सलाह देते हैं, ताकि मार्केट के वोलैटाइल फेज से निकला जा सके। श्रीहरि ज्यादा लोन (लीवरेज) लेने से बचने की चेतावनी देते हैं।

सिक्योरिटी का ध्यान रखें

क्रिप्टो में निवेश करने से पहले सिक्योरिटी सबसे जरूरी है। निवेशकों को ऐसे एक्सचेंज चुनने चाहिए, जिनका सिक्योरिटी सिस्टम मजबूत हो और जहां हैकिंग की घटनाएं कम हुई हों।

साइबर लॉ एक्सपर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट के वकील प्रशांत माली कहते हैं, “ऐसे एक्सचेंज का चुनाव करें जो मजबूत सिक्योरिटी मेजर्स अपनाता हो और जहां सिक्योरिटी ब्रेच कम हुए हों।”

सिक्योरिटी बढ़ाने के लिए:

  • एक्सचेंज में 2-फैक्टर या मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का ऑप्शन होना चाहिए।
  • ज्यादातर एसेट्स को ऑफलाइन स्टोर करना चाहिए, ताकि हैकिंग का रिस्क कम हो।
  • एक्सचेंज को रेगुलर सिक्योरिटी ऑडिट इंडिपेंडेंट एजेंसियों से कराना चाहिए।
  • कुछ एक्सचेंज हैकिंग से हुए नुकसान की भरपाई के लिए इंश्योरेंस भी देते हैं, जो निवेशकों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
  • एक्सचेंज में स्ट्रिक्ट केवाईसी (KYC) सिस्टम होना चाहिए, ताकि फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग से बचा जा सके।

क्रिप्टो टैक्स नियमों का पालन करें

क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले मुनाफे पर 30% का फ्लैट टैक्स (साथ में सरचार्ज और सेस) लगता है। निवेशक सिर्फ अधिग्रहण लागत (Acquisition Cost) घटा सकते हैं, लेकिन ट्रांजेक्शन फीस या ट्रांसफर खर्च नहीं घटा सकते।

मुंबई के चार्टर्ड अकाउंटेंट सुरेश सुराना बताते हैं, “क्रिप्टो लेन-देन पर 1% टीडीएस (TDS) लागू होता है, हालांकि कुछ मामलों में छूट मिलती है।”

इसके अलावा, क्रिप्टो में हुए नुकसान को किसी और इनकम या कैपिटल गेन के साथ एडजस्ट नहीं किया जा सकता। क्रिप्टो लॉस को अगले फाइनेंशियल ईयर के लिए आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। लंबी अवधि के निवेश पर क्रिप्टो को कैपिटल गेन माना जाता है, लेकिन बार-बार ट्रेडिंग, माइनिंग या आर्बिट्राज से होने वाली कमाई को बिजनेस इनकम माना जाता है।

आईटीआर में क्रिप्टो रिपोर्टिंग जरूरी

निवेशकों को अपने क्रिप्टो मुनाफे या घाटे को इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) के ‘Schedule VDA’ में रिपोर्ट करना चाहिए। अगर कोई भारतीय नागरिक विदेशी एक्सचेंज पर क्रिप्टो होल्ड करता है, तो उसे Foreign Asset Schedule में रिपोर्ट करना होगा।

क्रिप्टो एसेट्स को सुरक्षित रखने के लिए ज़रूरी सावधानियां

अगर आप अपने क्रिप्टो एसेट्स को सुरक्षित रखना चाहते हैं, तो इन अहम सावधानियों का पालन करें:

  • हार्डवेयर वॉलेट का इस्तेमाल करें – यह आपके प्राइवेट कीज़ को ऑफलाइन स्टोर करता है, जिससे सिक्योरिटी बढ़ जाती है। सॉफ्टवेयर वॉलेट की तुलना में यह ज़्यादा सुरक्षित होता है।
  • प्राइवेट की और सीड फ्रेज को ऑफलाइन रखें – इन्हें कभी भी मोबाइल या कंप्यूटर पर स्टोर न करें। बेहतर होगा कि इसे लिखकर किसी सुरक्षित स्थान पर रखें।
  • मजबूत और यूनिक पासवर्ड का इस्तेमाल करें – हर क्रिप्टो अकाउंट के लिए अलग और स्ट्रॉन्ग पासवर्ड सेट करें ताकि हैकिंग का खतरा कम हो।
  • 2FA/MFA इनेबल करें – टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) या मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (MFA) से सिक्योरिटी की एक और लेयर जुड़ जाती है, जिससे अकाउंट को अनऑथराइज्ड एक्सेस से बचाया जा सकता है।
  • फिशिंग अटैक्स से सतर्क रहें – किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें और न ही संदिग्ध ईमेल अटैचमेंट्स खोलें, क्योंकि साइबर अपराधी आपकी जानकारी चुरा सकते हैं।
  • सॉफ्टवेयर को अपडेट रखें – अपने ऑपरेटिंग सिस्टम और क्रिप्टो वॉलेट्स का लेटेस्ट सिक्योरिटी अपडेट ज़रूर इंस्टॉल करें ताकि नए साइबर खतरों से बचा जा सके।
First Published : March 10, 2025 | 6:44 AM IST