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बैंक कर्ज से दूरी बना रही कंपनियां, इक्विटी और बॉन्ड बाजार से रिकॉर्ड स्तर पर जुटा रही हैं धनराशि

वित्त वर्ष 2026 में अप्रैल से जुलाई की अवधि में कंपनियों ने बॉन्डों के माध्यम से 4 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाया है।

Last Updated- August 17, 2025 | 9:55 PM IST
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प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

भारत की कंपनियां बैंक के कर्ज से दूरी बना रही हैं। इसकी जगह वे इक्विटी और बॉन्ड बाजार जैसे वैकल्पिक स्रोतों की ओर तेजी से बढ़ रही हैं।  कंपनियों की बैलेंस शीट में कर्ज घटा है,जिससे बेहतर मूल्यांकन पर इक्विटी जुटाने की उनकी क्षमता सुधारी है। इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में 100 आधार अंक कटौती किए जाने के बाद कंपनियों को ऋण पूंजी बाजार से सस्ती दरों पर दीर्घकालिक धन प्राप्त करना आसान हुआ है।

कंपनियों द्वारा इस साल बड़े सौदों और क्वालीफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट्स (क्यूआईपी) से धन जुटाने को लेकर चर्चा तेज रही है। वित्त वर्ष 2025 में भारत के उद्योग जगत ने क्यूआईपी के माध्यम से 42,000 करोड़ रुपये से ज्यादा धन जुटाया है। इसके साथ ही उन्होंने इस अवधि के दौरान बड़े सौदों से 1.07 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं।

वित्त वर्ष 2026 में अप्रैल से जुलाई की अवधि में कंपनियों ने बॉन्डों के माध्यम से 4 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाया है, जो एक वित्तीय वर्ष के शुरुआती 4 महीनों में जुटाई गई सबसे ज्यादा धनराशि है।

इससे पता चलता है कि परंपरागत रूप से बैंक ऋण के माध्यम से धन जुटाने के बजाय बॉन्ड से धन जुटाने का चलन बढ़ रहा है।  अनुकूल ब्याज दरों से इसे बल मिल रहा है। पिछले साल की समान अवधि (वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही) के दौरान भारत की कंपनियों ने घरेलू ऋण पूंजी बाजार से बॉन्डों के माध्यम से 2.11 लाख करोड़ रुपये जुटाए थे।

वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के नतीजों के बाद आईसीआईसीआई बैंक के कार्यकारी निदेशक संदीप बत्रा ने कहा, ‘कंपनियों को धन जुटाने के कई स्रोत मिल गए हैं। उनका प्राथमिक स्रोत आंतरिक साधन है। दूसरा, इक्विटी बाजार से धन जुटाया जा रहा है। इस तरह तमाम फंडों तक उनकी पहुंच हो गई है। इसके बाद, स्वाभाविक रूप से बॉन्ड बाजार है। इसके बाद बैंक भी हैं। ऐसे में मुझे लगता है कि कॉर्पोरेट्स, खासकर बेहतरीन रेटिंग वालों के पास कई विकल्प हैं। साथ ही वे हमेशा अपने फंडिंग के स्रोत को व्यापक बना रहे हैं।’

इसके अलावा रिजर्व बैंक ने दर में 100 आधार अंक की कटौती जरूर कर दी है, लेकिन इसका मार्जिनल कॉस्टऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) पर असर सीमित है, ज्यादातर असर बाहरी मानकों पर आधारित ऋण पर ही देखा गया है।

रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक फरवरी में कटौती के चक्र की शुरुआत के बाद जून तक एमसीएलआर में केवल 10 आधार अंक की कमी आई है। वहीं इस अवधि के दौरान 5 साल और 10 साल के जी-सैक यील्ड (6.79 जीएस बेंचमार्क) क्रमशः 63 बीपीएस और 28 बीपीएस कम हुआ है। साथ ही इस अवधि के दौरान 5 साल के एएए कॉर्पोरेट बॉन्ड का यील्ड 56 बीपीएस कम हुई है। वहीं इस अवधि के दौरान 5 साल के एएए कॉर्पोरेट बॉन्ड की यील्ड 56 आधार अंक कम हुई है। इस अवधि में भारत के बॉन्ड बाजार का प्रदर्शन भी वैश्विक रूप से बेहतरीन रहा है।

वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में बैंक परिणाम की घोषणा के वक्त फेडरल बैंक के ईडी और सीएफओ  वेंकटरमण वी ने कहा कि कॉर्पोरेट ऋण की मांग चुनिंदा बनी हुई है और अधिक ऋण लेने वाले बॉन्ड बाजार और अन्य वैकल्पिक स्रोतों का विकल्प चुन रहे हैं।

First Published - August 17, 2025 | 9:54 PM IST

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