वित्त-बीमा

Bond Yield: बैंकों ने RBI से सरकारी बॉन्ड नीलामी मार्च तक बढ़ाने की मांग की

बाजार के प्रतिभागियों के अनुसार वित्त वर्ष 2026 में राज्य सरकारों के उधार की औसत अवधि में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जिसके परिणामस्वरूप मांग और आपूर्ति में बेमेल हुआ।

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अंजलि कुमारी   
मनोजित साहा   
Last Updated- September 08, 2025 | 10:55 PM IST

हाल के समय में संस्थागत मांग नरम रहने जैसे कई कारणों से बॉन्ड यील्ड में तेजी आई है। इसे देखते हुए वा​णि​ज्यिक बैंकों ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से केंद्र सरकार की प्रतिभूतियां जारी करने की अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया है। बैंकों का कहना है कि सरकारी बॉन्ड बिक्री की अव​धि चालू वित्त वर्ष में मार्च तक बढ़ाया जाए बजाय इसके कि इसे फरवरी में बंद कर दिया जाए। इससे भारी मात्रा में साप्ताहिक निर्गम का दबाव कम होगा। केंद्र सरकार के लिए वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में उधारी कैलेंडर को अंतिम रूप देने से पहले बीते हफ्ते केंद्रीय बैंक ने बॉन्ड बाजार के भागीदारों से कई बैठकें कीं।

बाजार के भागीदारों ने केंद्रीय बैंक से आग्रह किया है कि राज्य सरकारों की प्रतिभूतियों की सभी नीलामी एकसमान मूल्य निर्धारण विधि का उपयोग करके की जाए। राज्यों के बॉन्ड की साप्ताहिक नीलामी फिलहाल कई तरह की मूल्य निर्धारण वि​धि के माध्यम से की जाती है। बहुमूल्य आधारित नीलामी प्रणाली में सफल बोलियों को बोलीदाता द्वारा निर्दिष्ट मूल्य या यील्ड के आधार पर स्वीकार किया जाता है। एकसमान मूल्य निर्धारण विधि के तहत बॉन्ड को आरबीआई द्वारा तय यील्ड पर बेचा जाता है।

एक निजी बैंक के ट्रेजरी हेड ने कहा, ‘एकसमान मूल्य पद्धति अपनाने का अनुरोध इसलिए किया गया है क्योंकि इससे स्प्रेड कम करने में मदद मिलेगी।’ उन्होंने आगे कहा, ‘एकसमान मूल्य पद्धति उच्च आपूर्ति और कम मांग वाले माहौल के लिए अच्छी है।’

बैंकों ने 30 से 50 साल की काफी लंबी अव​धि वाले बॉन्ड निर्गम को 4 से 5 फीसदी घटाने की मांग की है और निवेशकों की मौजूदा मांग को पूरा करने के लिए 5 से 7 साल की अव​धि वाले ज्यादा बॉन्ड निर्गम पर जोर दिया। चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिए उधार कैलेंडर इस महीने के अंत तक घोषित होने की उम्मीद है।

बाजार के एक भागीदार ने कहा, ‘बैंकों ने मार्च तक नीलामी बढ़ाने का अनुरोध किया है क्योंकि इससे आपूर्ति के दबाव को कुछ कम करने में मदद मिलेगी।’ उन्होंने कहा, ‘लगभग 60,000 करोड़ रुपये के केंद्र और राज्यों के बॉन्ड हर सप्ताह बाजार में आ रहे हैं लेकिन निवेश और ट्रेडिंग खाते पर पहले से ही दबाव है इसलिए नए निर्गम को खरीदने की क्षमता लगातार कम हो रही है। पिछले वित्त वर्ष तक हर हफ्ते लगभग 35,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड बाजार में आ रहे थे। सरकार द्वारा दूसरी छमाही में 6.8 लाख करोड़ रुपये उधार लेने का अनुमान है।

बैंकों का कहना है कि राज्यों के उधार और लंबी अव​धि वाले बॉन्ड की कमजोर मांग तरलता को प्रभावित कर रही है। फरवरी से अभी तक नीतिगत रीपो दर में 100 आधार अंक की कटौती के बावजूद बॉन्ड यील्ड बढ़ी है। दरअसल लंबी अवधि के बॉन्ड की अधिक आपूर्ति, नीतिगत दरों में आगे ढील दिए जाने की उम्मीद का कम होना और निवेशकों द्वारा शॉर्ट पोजीशन के चलते यील्ड में तेजी आई है। जून में रीपो दर 50 आधार अंक घटाए जाने के बाद से बेंचमार्क बॉन्ड यील्ड 26 आधार अंक बढ़ी है।

एक निजी बैंक के ट्रेजरी हेड ने कहा, ‘पहले, राज्य 10-11 साल परिपक्वता वाली प्रतिभूतियां जारी करते थे मगर अब 25-30 साल के बॉन्ड जारी किए जा रहे हैं। इसलिए बॉन्ड की मांग कमजोर हुई है।’

बाजार के प्रतिभागियों के अनुसार वित्त वर्ष 2026 में राज्य सरकारों के उधार की औसत अवधि में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जिसके परिणामस्वरूप मांग और आपूर्ति में बेमेल हुआ। तेलंगाना, केरल, पश्चिम बंगाल, पंजाब, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार ने लंबी अव​धि वाले बॉन्ड निर्गम पर जोर काफी बढ़ाया है।

चालू वित्त वर्ष में अभी तक राज्यों का उधार 31 फीसदी बढ़ा है। लंबी अवधि के बॉन्ड में आम तौर पर पेंशन फंड और जीवन बीमा कंपनियों की दिलचस्पी रहती है। पेंशन फंड को इक्विटी में 15 फीसदी की तुलना में 25 फीसदी निवेश करने की अनुमति देने से अब फंड अपना बड़ा हिस्सा इक्विटी में लगा रहे हैं। इसके अलावा जीवन बीमा कंपनियां भी बेहतर रिटर्न के कारण इक्विटी में अधिक पैसा लगा रही हैं।

First Published : September 8, 2025 | 10:44 PM IST