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सूमीतोमो मित्सुई संग सौदे के बाद 2 फीसदी चढ़ा येस बैंक

जापान की सूमीतोमो मित्सुई बैंकिंग कॉरपोरेशन (एसएमबीसी) 13,482 करोड़ रुपये में बैंक की 20 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेगी।

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सुब्रत पांडा   
Last Updated- May 12, 2025 | 11:16 PM IST

निजी क्षेत्र के लेनदार Yes Bank का शेयर सोमवार को एनएसई पर 2.35 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 20.40 रुपये पर बंद हुआ। पिछले सप्ताह घोषणा की गई थी कि जापान की सूमीतोमो मित्सुई बैंकिंग कॉरपोरेशन (एसएमबीसी) 13,482 करोड़ रुपये में बैंक की 20 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेगी। यह भारत के बैंकिंग क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा सौदा है। हालांकि, शेयर ने व्यापक सूचकांकों की तुलना में कमजोर प्रदर्शन किया जबकि निफ्टी बैंक सूचकांक में 3.3 फीसदी तथा निफ्टी 50 में 3.8 फीसदी का इजाफा हुआ।

एसएमबीसी के साथ सौदे के तहत भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) अपनी 24 में से 13.2 फीसदी हिस्सेदारी  8,889 करोड़ रुपये में बेचेगा जबकि एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और ऐक्सिस बैंक सहित सात अन्य निजी क्षेत्र के बैंक 6.81 फीसदी हिस्सेदारी 4,594 करोड़ रुपये में बेचेंगे। यस बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशांत कुमार के अनुसार इस सौदे से बैंक से नकारात्मक प्रभाव हट जाएगा और इसकी दोबारा रेटिंग भी हो सकती है, जिससे बैंक को फंडिंग और ऋण के कई मौके मिलेंगे।

कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज ने एक रिपोर्ट में कहा, आज येस बैंक में सुधार की जो  स्थिति है वह भारतीय बैंकिंग उद्योग में एक अनूठा मामला है, जहां हितधारकों के समन्वित प्रयासों ने एक संस्थान को संकट से निकालकर फिर से खड़ा करने में मदद की है। अहम यह है कि शेयरधारकों को मिलने वाला रिटर्न शुरुआती उम्मीद से बेहतर रहा है। यह लेन-देन पूरा होने पर पांच से छह साल में दोगुना हो गया। हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि येस बैंक को अभी भी उद्योग के औसत के करीब लाभप्रदता और वृद्धि अनुपात हासिल करना बाकी है।

रिपोर्ट में कहा गया है, बैंक ने अपने ऋणों और जमाओं का सफलतापूर्वक छोटे-छोटे हिस्सों में किया है। लेकिन उद्योग के औसत के आसपास लाभप्रदता अनुपात चुनौतीपूर्ण रहा है। लेकिन  यह मुद्दा सिरफ येस बैंक तक सीमित नहीं बल्कि अधिकांश मध्यम-स्तरीय निजी बैंकों के लिए आम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक बड़े और मजबूत समूह का हिस्सा होने से जमाकर्ताओं (धन की कम लागत) और शेयरधारकों (पूंजी जुटाने की क्षमता) को राहत मिलनी चाहिए।

रिपोर्ट में कहा गया है, हालांकि बैंक के सामने चुनौतियां हैं जो इक्विटी विस्तार पर रिटर्न में बाधा हैं : मसलन लागत संरचना; कमजोर एनआईएम के हिसाब से राजस्व प्रोफ़ाइल और मिले-जुले ऋण के विकल्प।  इन्वेस्टेक रिसर्च के अनुसार, हिस्सेदारी बिक्री से अभी तक प्रबंधन के नियंत्रण में कोई बदलाव नहीं हुआ है, लेकिन यह देखना बाकी है कि एसएमबीसी बैंक में अपनी हिस्सेदारी और बढ़ाने पर विचार करता है या नहीं। उसने यह भी कहा कि हिस्सेदारी बिक्री से एसबीआई के कॉमन इक्विटी टियर 1 अनुपात में 11 आधार अंकों की वृद्धि होगी, जो बहुत महत्वपूर्ण नहीं है।

First Published : May 12, 2025 | 11:16 PM IST