स्टेट बैंक ऑफ इंडिया बेहतर तरीके से कारोबार करने के लिए नए बिजनेस मॉडल्स बना रहा है।
इसके तहत बैंक अपने फंड के बेहतर निवेश और कारोबार के विभिन्न सेगमेन्ट से होने वाले रिटर्न की समीक्षा करेगा। इन मॉडल्स का उद्देश्य बेहतर प्लानिंग और संसाधनों का बेहतर उपयोग करना है।
एसबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक बैंक के प्रदर्शन का जो फीडबैक मिल रहा है, खासकर डूबने वाले कर्जों पर, इसने बैंक को मजबूर कर दिया है कि वो अपने हर सेगमेन्ट के कारोबार पर मिल रहे रिटर्न पर ध्यान दे।
संसाधन कीमती होते हैं और इनका बेहतर इस्तेमाल जरूरी है। कर्ज बांटने के मामले में भारत का यह सबसे बड़ा बैंक इस मशक्कत में किसी बाहरी सलाहकार की सेवाएं नहीं लेगा और यह सब अपने आंतरिक संसाधनों से ही करेगा। एसबीआई ने अपने व्यापार को विभिन्न खंडों जैसे रिटेल, लघु और मध्यम उद्योग, कृषि, मिड- कॉरपोरेट और बड़ी कंपनियों में विभाजित किया है।
गौरतलब है कि मार्च 2008 में बैंक के कुल नॉन-परफॉर्मिंग एसेट 3.04 प्रतिशत बढ़कर 12,837 करोड रुपए हो गया है। पिछले साल यह 9,998 करोड़ रुपए था। दूसरी तरफ एसएमई, रिटेल और कृषि लोन में खासी वृध्दि दर्ज की गई है।