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SBI की नजर जनधन खातों, ट्रस्ट, सोसायटियों पर; कई सेगमेंट के लिए स्पेशल प्रोडक्ट तैयार: MD अश्विनी तिवारी

SBI MS अश्विनी तिवारी ने कहा कि बैंक जमा राशि के स्तर पर जो अल्पावधि चुनौतियों का सामना कर रहे हैं वह एक चक्रीय मुद्दा है। लिहाजा कुछ समय बाद स्थितियां सामान्य हो जाएंगी।

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सुब्रत पांडा   
अंजलि कुमारी   
Last Updated- September 05, 2024 | 9:43 PM IST

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) अपना जमा आधार बढ़ाने के लिए विभिन्न खंडों पर ध्यान दे रहा है। इनमें जनधन खाते, ट्रस्ट, सोसायटी, अमीर तबके से नीचे व आम खाते धारकों से ऊपर के तबके सहित अन्य कई खंड शामिल हैं।

एसबीआई के प्रबंध निदेशक अश्विनी तिवारी के अनुसार बैंक तीन व्यापक खंडों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इनमें से एक वेल्थ बैंकिंग है। इसमें बैंक से ऐसे व्यक्तियों पर ध्यान केंद्रित करता है जो नियमित खातों से ऊपर होते हैं और जिन पर व्य​क्तिगत तौर पर ध्यान दिए जाने की जरूरत होती है, लेकिन जो निजी बैंकिंग के दायरे में नहीं आते।

तिवारी ने कहा, ‘लिहाजा, यह एक खंड है जिस पर हम ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हमने इस श्रेणी के लिए एक वर्टिकल और एक अलग मंच बनाए हैं।’ इसके अलावा बैंक ट्रस्टों, सोसायटियों, संघों और क्लबों पर भी लक्ष्य केंद्रित कर रहा है।

तिवारी ने कहा, ‘हम इन श्रेणियों से संपर्क कर रहे हैं और इनके लिए प्रतिबद्ध उत्पाद तैयार किए हैं। इनमें लेनदेन वाली बैंकिंग, फिनटेक के साथ गठजोड़ और प्रतिबद्ध सेल्स के जरिये पहुंच बढ़ाने के कदम शामिल हैं।’

इसके अलावा बैंक कुछ कम मूल्य वाले खंड पर भी ध्यान केंद्रित कर है और इसमें आमतौर पर जनधन खाता धारक हैं। तिवारी ने बताया, ‘इनमें अत्यधिक राशि जमा है और यह इन खातों में है।’ उन्होंने बताया कि बैंक इन खातों में जमा रा​शि बढ़ाने के लिए अपने बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट के नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहा है।

उन्होंने कहा, ‘क्या हमने उनसे वास्तव में जमा करने के लिए कहा है?’ हमने संभवत नहीं कहा। हम उनसे संपर्क कर सकते हैं और उन्हें छोटे-छोटे विकल्प जैसे बीमा, म्युचुअल फंड मुहैया करवा सकते हैं।’ व्यापक संदेश यह है कि जमा जुटाना अपने से होने वाली घटना नहीं रह गई है। इसकी जगह अब अलग-अलग खंडों तक प्रतिबद्ध उत्पादों और विशेष ध्यान दिए जाने से पहुंच बढ़ानी होगी।

यह सब ऐेसे समय किया जा रहा है जब बैंकों में नकदी जमा बढ़ाने के लिए शोर बढ़ता जा रहा है। इसका कारण यह है कि अब घरेलू बचत अधिक रिटर्न वाले वित्तीय साधनों की ओर जा रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और वित्त मंत्रालय ने कई अवसरों पर कर्ज की तुलना में नकदी जमा की धीमी गति पर चिंता जताई है। इससे बैंकों में परिसंपत्ति देनदारी प्रबंधन की समस्याएं आ सकती हैं।

तिवारी ने कहा कि बैंक जमा राशि के स्तर पर जो अल्पावधि चुनौतियों का सामना कर रहे हैं वह एक चक्रीय मुद्दा है। लिहाजा कुछ समय बाद स्थितियां सामान्य हो जाएंगी। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि घरेलू बचत का निवेश की ओर जाना एक स्वाभाविक रुख हो सकता है, जो अच्छी बात है, क्योंकि सभी विकसित बाजार अंततः उसी ओर बढ़ते हैं।

येस बैंक के एमडी और सीईओ प्रशांत कुमार ने फिक्की-आईबीए के कार्यक्रम में जमा राशि को बढ़ाने पर जोर दिया था। उन्होंने कहा था कि यदि नए तरीकों के तहत बैंकों को ग्राहकों के जोखिम प्रोफाइल के अनुरूप अलग-अलग दरों पर ब्याज देने की छूट दी जाती है तो जमा राशि बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने कहा, ‘अभी हमें ग्राहकों के जोखिम के स्तर को नजरंदाज कर खास श्रेणी में एक राशि पर एक समान ब्याज देने की जरूरत होती है। ऐसा नवाचार हो सकता है कि बैंकों को ग्राहकों के जोखिम के प्रोफाइल के अनुरूप अलग-अलग ब्याज दर देने की इजाजत दी जाए।’

First Published : September 5, 2024 | 9:43 PM IST