सार्वजनिक क्षेत्र के शीर्ष बैंकों जैसे भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और बैंक ऑफ बड़ौदा अंतरराष्ट्रीय सौदों के लिए भुगतान रुपये में करने के भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की नवीनतम व्यवस्था पर काम कर रहे हैं। मामले के जानकार लोगों ने इसकी जानकारी दी। इस कदम का मकसद अमेरिका और पश्चिमी देशों के प्रतिबंध का सामना कर रहे रूस के साथ व्यापार को बढ़ावा देना है।
केंद्र ने बैंकों को आश्वस्त किया गया है अगर वे प्रतिबंधित वस्तुओं, बैंकों, कंपनियों और लोगों के साथ लेनदेन नहीं करते हैं तो पश्चिमी देशों द्वारा उन पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा। केंद्र से भरोसा मिलने के बाद बैंक इस व्यवस्था को सुचारु करने की रूपरेखा तैयार करने की प्रक्रिया में जुटे हैं।
घटनाक्रम के जानकार एक व्यक्ति ने कहा, ‘बैंक गैर- प्रतिबंधित इकाइयों के साथ खाता खोलने की प्रक्रिया में है। एसबीआई और बैंक ऑफ बड़ौदा उन अग्रणी बैंकों में शामिल है जो रुपये में व्यापारिक सौदे के निपटान व्यवस्था पर आगे बढ़ रहे हैं।’
अधिकारियों ने बताया, ‘शुरुआत में सभी बैंकों (प्रतिबंधित बैंकों साहित) के साथ रुपये में व्यापार करने की मांग की गई थी। लेकिन बैंकों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चुनौतियों को लेकर अपनी चिंता जाहिर की थी। सरकार ने भी उनकी चिंता को समझा। अब बैंक केवल गैर-प्रतिबंधित इकाइयों के साथ ही लेनदेन करेंगे।’
इस बारे में जानकारी के लिए एसबीआई और बीओबी को ईमेल किया गया लेकिन कोई जवाब नहीं आया।
इस साल जुलाई में आरबीआई ने वैश्विक व्यापार, खास तौर पर भारत से निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय लेनदेन का निपटान रुपये में करने की व्यवस्था का खुलासा किया था। बैंकों को ऐसे लेनदेन करने के लिए मंजूरी लेनी होगी और दो व्यापारिक साझेदार देशों की मुद्राओं की विनिमय दर बाजार द्वारा निर्धारित की जाएगी। हालांकि अभी तक बैंकों की ओर से रुपये में व्यापारिक लेनदेन की व्यवस्था जमीनी स्तर पर शुरू नहीं की गई है।
वाणिज्य सचिव बीवीआर सुब्रमणयम ने बीते शनिवार को कहा था कि आरबीआई की नई व्यवस्था से ने केवल रूस के साथ व्यापार में रुपये की प्रबलता बढ़गी बल्कि श्रीलंका और ईरान जैसे देशों के साथ भी रुपये में व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। वित्तीय सेवाओं का विभाग इस व्यवस्था को शुरू करने की रूपरेखा तैयार कर रहा है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने पिछले महीने खबर प्रकाशित की थी जिसके मुताबिक केंद्र ने बैंकों से कहा था कि वे रुपये में सौदों के निपटान के लिए
वाणिज्यिक विवेक का इस्तेमाल करें और प्रतिबंधित इकाइयों के साथ कारोबार नहीं करें, खास तौर पर रूस के मामले में। बैंकों से कहा गया था कि गैर-प्रतिबंधित बैंकों के लेनदेन करने में किसी तरह की समस्या नहीं होगी।
बैंकों ने रुपये में व्यापार शुरू करने से पश्चिमी देशों द्वारा अर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने की आशंका को लेकर वित्त मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, वाणिज्य विभाग और आरबीआई से संपर्क किया था।
वाणिज्य विभाग को उम्मीद है कि रुपये में व्यापार समझौते से प्रतिबंध का सामना कर रहे रूस के साथ व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। सुब्रमणयम ने पिछले महीने कहा था कि इस कदम का मकसद श्रीलंका के साथ व्यापार बहाल करने और रूस में निर्यात को बढ़ावा देना है। रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद व्यापार में बाधा आने से निर्यात प्रभावित हुआ है और रूस के साथ भारत का व्यापार घाटा काफी बढ़ गया है। दूसरी ओर रूस से सस्ते कच्चे तेल का आयात बढ़ गया है। रूस के साथ भारत का व्यापार घाटा जून में बढ़कर 4.13 अरब डॉलर हो गया, जो मई में 2.55 अरब डॉलर था।