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जून में फिर बढ़ेगी रीपो दर!

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 6:47 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने साफ कर दिया है कि जून में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में भी नीतिगत दरें बढ़ाने पर विचार किया जाएगा। दास ने स्पष्ट संकेत दिया कि जून में जब एमपीसी की बैठक होगी तो रीपो दर फिर बढ़ाई जा सकती है। महंगाई की लपटें बुझाने के लिए आरबीआई ने इसी महीने रीपो दर में 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सबको चौंका दिया था। दास ने सीएनबीसी टीवी18 चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘मैंने कहा है कि मई में अचानक दर बढ़ाने की एक वजह यह थी कि हम जून में एक झटके में दरें ऊंचे स्तर पर नहीं ले जाना चाहते थे। दरें बढऩे को लेकर अनुमान लगाना कोई मुश्किल काम नहीं है। रीपो दर में कुछ वृद्धि अवश्य होगी मगर कितनी होगी मैं फिलहाल यह नहीं बता सकता।’
अगले महीने 6-8 जून के बीच एमपीसी की बैठक होगी। अगस्त 2018 के बाद इस वर्ष मई में पहली बार रीपो दर बढ़ाई गई है। मई में रीपो दर में अचानक वृद्धि की घोषणा से बाजार हैरान हो गया था मगर आरबीआई ने कहा कि महंगाई के बढ़ते जोखिम को देखते हुए उसे यह कदम उठाना पड़ा। जनवरी 2022 में खुदरा महंगाई दर आरबीआई द्वारा तय सहज स्तर से अधिक हो गई थी। अप्रैल में खुदरा महंगाई दर 7.79 प्रतिशत दर्ज हुई।
दास ने कहा, ‘महंगाई नियंत्रित करने के लिए हम राजकोषीय और मौद्रिक नीति में सामंजस्य स्थापित करने के दूसरे चरण में पहुंच गए हैं। आरबीआई ने कई कदम उठाए हैं। पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पादन शुल्क घटा कर सरकार ने भी अपनी तरफ से प्रयास किया है। इन सभी प्रयासों से आने वाले समय में महंगाई दर कम करने में मदद मिलेगी।’
गवर्नर ने कहा कि उत्पाद शुल्क में कटौती की घोषणा के बाद आरबीआई भी अपनी तरफ से एक और प्रयास में जुट गया है ताकि महंगाई दर के अनुमानों में कमी की जा सके। अप्रैल में केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई दर का अनुमान पूर्व के 4.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.7 प्रतिशत कर दिया था। रूस और यूकेन के बीच युद्ध की वजह से उत्पन्न भू-राजनीतिक तनाव को देखते हुए आरबीआई ने 2022-23 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का अनुमान भी 7.8 प्रतिशत से घटा कर 7.2 प्रतिशत कर दिया था।
दास ने कहा कि रूस और ब्राजील को छोड़कर लगभग सभी देशों में ब्याज दर ऋणात्मक हैं। उन्होंने कहा, ‘भारत धनात्मक ब्याज दर की तरफ आगे बढ़ेगा मगर बदलती परिस्थितियां ही तय करेंगी कि यह कार्य कितनी जल्दी हो पाएगा।’
वित्तीय प्रणाली से अतिरिक्त नकदी वापस लिए जाने की आरबीआई की योजना पर दास ने कहा, ‘नकदी के विषय पर हमारा मानना है कि इसे सामान्य बनाना होगा और एक ऐसी स्थिति की तरफ बढऩा होगा जिसमें अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी कार्यों के लिए वित्तीय प्रणाली में पर्याप्त नकदी उपलब्ध रहे और ऋण आवंटन भी बढ़ता रहे।’

First Published : May 24, 2022 | 12:29 AM IST