भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चुनिंदा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) से उनके कर्ज के बारे में जानकारी मांगी है। यह जानकारी बकाया कर्ज के प्रकार और उन पर लगने वाले सालाना ब्याज से जुड़ी है। जिन सालाना ब्याज दरों का जिक्र इसमें किया गया है उसमें ये दरें 10 प्रतिशत से कम, 10-20 प्रतिशत, 20-30 प्रतिशत, 30-40 प्रतिशत, 40-50 प्रतिशत और 50 प्रतिशत से अधिक हो सकती हैं। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने इस बाबत एनबीएफसी को लिखे गए आरबीआई के पत्र की प्रति देखी है।
वरिष्ठ एनबीएफसी अधिकारियों का कहना है कि आरबीआई यह जानना चाहता है कि योजनागत श्रेणी में इन कंपनियों द्वारा दिया जा रहा कर्ज सही तरीके से दिया जा रहा है या नहीं और कहीं इसके चलते ऋण का बुलबुला नहीं तैयार हो रहा है।
आरबीआई यह भी जानना चाहता है कि अगर वसूली जा रही ब्याज दरें काफी अधिक हैं तो इसका अर्थ यह है कि उचित प्रक्रिया का उल्लंघन हो रहा है। बैंकिंग क्षेत्र के नियामक आरबीआई द्वारा चुनिंदा एनबीएफसी के कर्जों का मांगा जा रहा ब्योरा, उसके कुछ हालिया उपायों के अनुरूप है।
पिछले साल नवंबर में आरबीआई ने नियमन के दायरे में आने वाली इकाइयों को ग्राहकों को दिए जाने वाले ऋण और विभिन्न वर्गों के लिए अनुमोदित सीमा के तहत कुछ नियमों का पालन करने के लिए कहा था। इसके लिए आरबीआई ने 29 फरवरी, 2024 की समय-सीमा तय की थी। जून 2024 की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में ग्राहकों के ऋण सेगमेंट को लेकर चिंता जताई गई थी।
इस रिपोर्ट में कहा गया था कि 50,000 रुपये से कम कर्ज लेने वालों के बीच कर्ज चूक का स्तर काफी ज्यादा है। इनमें से ज्यादातर कर्ज एनबीएफसी-फिनटेक कंपनियों द्वारा दिए जाते हैं और इन कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले कर्ज की हिस्सेदारी भी सबसे ज्यादा है लेकिन इन कंपनियों के कर्ज न चुकाने की दर भी ज्यादा है और इस लिहाज से इनका स्थान लघु वित्त बैंक के बाद आता है।
इसके अलावा इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि निजी ऋण में कर्ज न चुकाने की दर अपेक्षाकृत रूप से ज्यादा है और यह करीब 8.2 प्रतिशत है। भुगतान चूक को मापने का तरीका यह है कि कर्ज लेने वाले लोगों में से कितने लोग कर्ज लेने के 12 महीने के भीतर 90 दिनों से अधिक समय तक भुगतान नहीं कर पाए हैं और उद्योग के लिए यह सामान्य पैमाना है जिसके आधार पर ऋण को बट्टे खाते में डालने की प्रक्रिया का आकलन किया जाता है।
तीसरा, छोटे ऋण वाले सेगमेंट में आधे से अधिक लोगों के खाते में एक ही वक्त में तीन से अधिक ऋण है और एक-तिहाई से अधिक कर्ज लेने वालों ने पिछले छह महीने में तीन से अधिक ऋण लिए हैं। एनबीएफसी द्वारा दिया जा रहा कर्ज अब आगे कम हो सकता है।
हाल ही में इक्रा रेटिंग्स ने कहा कि बैंकों द्वारा एनबीएफसी को दिया जा रहा कर्ज अब कम हो रहा है। पहले ऐसी उम्मीद की गई थी कि वित्त वर्ष 2015 में बैंकों द्वारा एनबीएफसी को दिए जाने वाले कर्ज में करीब 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी जिससे क्रमिक आधार पर एनबीएफसी के लिए बैंक का ऋण करीब 19-20.5 लाख करोड़ रुपये होगा लेकिन यह पिछले वित्त वर्ष में बैंकों द्वारा एनबीएफसी को दिए गए 22 लाख करोड़ रुपये के ऋण से भी कम है।
पिछले कुछ महीने से ही बैंकों की फंडिंग के लिए नियामक के सख्त नियमों का असर दिखना शुरू हो गया है। वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में एनबीएफसी के लिए बैंकों का ऋण 75 अरब रुपये रहा जबकि वित्त वर्ष 2024 की तिमाही के दौरान यह 92 अरब रुपये था।