वैश्विक केंद्रीय बैंकों ने कई दरों में वृद्धि के जरिये महामारी के दौर के निचले स्तर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। भू-राजनीतिक तनाव के बीच रूस को भी ब्याज दरों में अधिक वृद्धि करनी पड़ी है। अब वहां 20 प्रतिशत की ब्याज दरें हैं जो महामारी के निचले स्तर से 15.75 प्रतिशत अंक अधिक हैं। लेकिन बिज़नेस स्टैंडर्ड के आकलन के मुताबिक दरों में वृद्धि करने वाला यह एकमात्र देश नहीं है बल्कि कई देशों में केंद्रीय बैंक इस तरह की कार्रवाई कर रहे हैं।
ब्राजील में ब्याज दरें अब 11.75 प्रतिशत के स्तर पर हैं और महामारी के सबसे खराब समय के दौरान इसके निचले स्तर की तुलना में अब ब्याज दर 9.75 प्रतिशत अंक अधिक है। केंद्रीय बैंकों ने इससे पहले कोविड-19 संकट के शुरुआती दौर में अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए अपनी ब्याज दरों में कटौती की थी।
अब दरों में बढ़ोतरी का फैसला, दरों को सामान्य बनाने के साथ-साथ मुद्रास्फीति पर नियंत्रण करने के लिए किया जा रहा है। अन्य देशों में जहां केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों में वृद्धि की है, उनमें दक्षिण कोरिया, यूनाइटेड किंगडम, दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका शामिल हैं।
इन क्षेत्रों के मुख्य ब्याज दर में अंतर 0.5 प्रतिशत (यूरो क्षेत्र) से 4 प्रतिशत (भारत और दक्षिण अफ्रीका) तक होता है। आरबीआई के मार्च 2022 के बुलेटिन में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंक की कार्रवाई उचित रही है। अधिकांश उभरते बाजारों की अर्थव्यवस्था के केंद्रीय बैंकों ने भी नीतिगत सख्ती बरतनी शुरू कर दी है जिनमें मैक्सिको भी शामिल था जिसने फरवरी में अपनी बेंचमार्क ब्याज दर में 50 आधार अंकों की वृद्धि की थी। 28 फरवरी, 2022 को एक आपातकालीन कदम के तहत बैंक ऑफ रशिया ने बाहरी परिस्थितियों के प्रतिकूल होने के साथ ही मुद्रा अवमूल्यन और महंगाई के बढ़ते जोखिमों के कारण अपनी प्रमुख दर में 10.5 प्रतिशत अंकों की बढ़ोतरी कर इसे 20 प्रतिशत कर दिया।
दूसरी ओर, पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना दरों में बढ़ोतरी रोक दी है जबकि तुर्की के केंद्रीय बैंक ने भी लगातार दूसरे महीने दरों में बढ़ोतरी को विराम दिया है। बुलेटिन में कहा गया है कि आर्थिक सुधार का समर्थन करने के लिए महंगाई को संतुलित करने में वैश्विक स्तर पर एक चुनौती है। उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं को पूंजी निकासी और भू-राजनीतिक जोखिमों सहित कई मुद्दों से निपटना है। भारत में महंगाई 6.07 प्रतिशत है। ऐसे में यह विचाराधीन आठ देशों के बीच में शामिल है। यह ब्राजील में 10.5 प्रतिशत तक है। दक्षिण कोरिया में मुद्रास्फीति 3.7 प्रतिशत पर है।
कई विकसित देशों और क्षेत्रों में मुद्रास्फीति के लिए भारत के 6 प्रतिशत के ऊपरी बैंड की तुलना में कम लक्ष्य है। उदाहरण के लिए, यूरोजोन में यह मध्यम अवधि की तुलना में 2 प्रतिशत अधिक है। मौजूदा संख्या 5.9 प्रतिशत है। भू-राजनीतिक तनाव के बीच यह क्षेत्र अधिक महंगाई का सामना कर रहा है जिसने ब्याज दरों में वृद्धि के इसके नजरिये को भी प्रभावित किया है। वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी मॉर्गन स्टैनली की 9 मार्च की इंडिया इकॉनमिक्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि भू-राजनीतिक तनाव और जिंसों की कीमतों पर उनके प्रभाव के चलते मुद्रास्फीति अधिक रहने की संभावना है। अर्थशास्त्री उपासना चाचरा और वाणी गंभीर द्वारा लिखी गई रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई जल्द ही दरों में वृद्धि कर सकता है। उन्होंने कहा, ‘हम जून की बैठक में रीपो दर में वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं लेकिन अब संभव है कि अप्रैल में रिवर्स रीपो दर में वृद्धि के साथ नीतिगत सामान्यीकरण की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। हालांकि, अगर आरबीआई अपनी सामान्यीकरण प्रक्रिया में देरी करता है, तब बाधाकारी नीतिगत दरों में वृद्धि का जोखिम बढ़ जाएगा।’
