हाल में पेश आम बजट में हालांकि बीमा कमीशन पर सेवा कर के बारे में कुछ भी नहीं किया गया फिर भी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) इसका बोझ अपने एजेंटों या ग्राहकों पर डालने के विकल्प पर विचार कर रहा है। जीवन बीमा निगम के सूत्रों के अनुसार जीवन बीमा कंपनियां- वह चाहे सरकारी हों या फिर निजी, दोनों ने मौजूदा सेवा कर की 12.5 फीसदी की दर में कमी करने की मांग की है। इस समय एलआईसी एजेंटों पर लगने वाले सेवा कर का बोझ खुद निगम ही उठा रहा है। निगम के करीब 13 लाख एजेंट हैं।
जीवन बीमा निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि वर्ष 2006-07 के दौरान जीवन बीमा निगम ने न्यू बिजनेस प्रीमियम (एनबीपी) से करीब 55,395 करोड़ रुपये जुटाए। हर पॉलिसी पर औसतन 10 फीसदी कमीशन का हिसाब लगाएं तो निगम को एजेंटों को कमीशन के रूप में लगभग 5,500 करोड़ रुपये देने पड़ेंगे। इस कमीशन पर 12.5 फीसदी की दर से सेवा कर के करीब 700 करोड़ होते हैं जो एलआईसी ने चुकाए। जीवन बीमा अधिकारी ने यह भी बताया कि ये आंकड़े सिर्फ एनबीपी यानी न्यू बिजनेस प्रीमियम आय के हैं। अगर पॉलिसी नवीकरण पर कमीशन जोड़ दिया जाए तो सेवा कर का भार काफी बढ़ जाएगा।
दरअसल, अगर सेवा कर की दर में बढ़ोतरी हुई तो जीवन बीमा निगम के लिए इसका बोझ उठाना और मुश्किल होगा। एलआईसी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘ आगे से हमें इसे अपने एजेंटों या उपभोक्ताओं पर पूरा या थोड़ा हिस्सा डालना पड़ सकता है। कड़ी होड़ के इस दौर में कम बोनस देकर, हम अपने ग्राहक गंवाना गवारा नहीं कर सकते। ऐसे में हमें इसे अपने एजेंटों पर ही डालना होगा।’
उन्होंने बताया कि अप्रैल से लेकर दिसंबर 2007 तक जीवन बीमा निगम ने एनबीपी के रुप में 34,595 करोड़ रुपये जुटाए थे। उम्मीद है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष के अंत तक यह बढ़कर 60,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। इस राशि पर 10 फीसदी कमीशन 6,000 करोड़ रुपए और 12.5 फीसदी की दर से लगभग 750 करोड़ रुपये सेवा कर होता है।
हालांकि निजी बीमाकर्ताओं ने सेवा कर का भार अपने एजेंटों पर डाल दिया गया था। वर्ष 2006-07 के दौरान निजी बीमाकर्ताओं ने लगभग 19,471 करोड़ रुपये एनबीपी के मद में जुटाए। इस पर 3000 करोड़ का कमीशन बना जिस पर 350 करोड़ रुपये का सेवा कर एजेंटों ने ही चुकाया।
अनुमान है कि सरकारी जीवन बीमा निगम सहित अन्य जीवन बीमा कंपनियां मौजूदा वित्तीय वर्ष में एक लाख करोड़ रुपये बतौर एनबीपी जुटाएंगी। इस पर 10 फीसदी की दर से लगभग 15,000 करोड़ रुपये कमीशन बनता है। एक निजी जीवन बीमा कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बीमा कंपनियों की सबसे बड़ी चुनौती अपने एजेंटों को रोके रखने की होगी। बीमा कंपनियों की कोशिश होगी कि वे अपने खर्च कम करें और सीधे या परोक्ष रुप से प्रोत्साहन राशि देकर अपने एजेंट रोकने की कोशिश करें। जानकारों का कहना है कि अगर सेवा कर का भार एजेंटों पर डाला गया तो इससे उनकी आय पर असर पड़ेगा।
