प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) को इंडसइंड बैंक के खातों में गड़बड़ियों की शिकायत मिली है। मामले के जानकार व्यक्तियों के मुताबिक केंद्रीय लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली के जरिये प्राधिकरण को शिकायत मिली है। सूत्रों के मुताबिक प्राधिकरण ने इस मामले में रिजर्व बैंक से बातचीत की है ताकि फोरेंसिक ऑडिट सहित तथ्यों की पुन: जांच की जा सके और रिजर्व बैंक की अभी तक की गई जांच को दोबारा करने से बचा जाए।
सूत्र ने कहा, ‘अगर रिजर्व बैंक पहले से ही उन्हीं मुद्दों पर गौर कर रहा है और वे बैंकों के नियामक हैं, तो एनएफआरए को फिर से वही काम करने की जरूरत नहीं है।’
इंडसइंड बैंक ने 10 मार्च को अपने डेरिवेटिव पोर्टफोलियो से संबंधित खाता शेष में पहचानी गई विसंगतियों का खुलासा किया था। बैंक ने कहा कि इसकी विस्तृत आंतरिक समीक्षा ने दिसंबर, 2024 तक इसके निवल मूल्य के लगभग 2.35 प्रतिशत के प्रतिकूल प्रभाव का अनुमान लगाया है।
प्राधिकरण के जांच के दायरे में सभी सूचीबद्ध कंपनियां हैं। प्राधिकरण जल्द ही यह तय करेगा कि उसे इंडसइंड मामले में प्रारंभिक जांच शुरू करने की आवश्यकता है या नहीं।.
इंडसइंड ने 21 मई को वित्तीय वर्ष 2024-2025 की चौथी तिमाही में 2,329 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया, जो इसका अभी तक का सबसे खराब तिमाही घाटा है। इसका कारण यह था कि इसने प्रावधानों को काफी हद तक बढ़ा दिया और तिमाही के दौरान पाए गए डेरिवेटिव और माइक्रोफाइनेंस सेगमेंट में लेखांकन विसंगतियों से जुड़े 2,500 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के गलत तरीके से दर्ज राजस्व और आय प्रविष्टियों को उलट दिया। बैंक ने कहा कि उसके बोर्ड को संदेह है कि ‘बैंक के खिलाफ धोखाधड़ी की गई हो सकती है जिसमें लेखांकन और वित्तीय रिपोर्टिंग में महत्वपूर्ण भूमिका वाले कुछ कर्मचारी शामिल हैं।’
एम एस के ए एंड एसोसिएट्स, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और एम पी चितले एंड कंपनी चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ने मार्च 31 को समाप्त वित्तीय वर्ष के लिए इंडसइंड बैंक के संयुक्त केंद्रीय वैधानिक लेखा परीक्षक थे।