इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च ने अगले वित्त वर्ष 2021-22 के लिए बैंकिंग सेक्टर का परिदृश्य बेहतर करते हुए उसे नकारात्मक से स्थिर कर दिया है। नकदी के समर्थन के कारण उम्मीद से कम रहने और खासकर सूक्ष्म, लघु और मझोली इकाइयों (एमएसएमई) को आपातकालीन कर्ज समर्थन से कोविड-19 से जुड़ा दबाव कम रहने के कारण परिदृश्य में बदलाव किया गया है।
इंडिया रेटिंग ने एक बयान में कहा है कि बैंक पूंजी बढ़ाकर और बफर का प्रावधान करके भी अपनी वित्तीय स्थिति मजबूत कर रहे हैं। रेटिंग एजेंसी ने वित्त वर्ष 21 के लिए कर्ज में वृद्धि का अनुमान भी 1.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया है। अक्टूबर 2020 से मार्च 2021 के बीच आर्थिक माहौल में सुधार और भारत सरकार द्वारा ज्यादा खर्च, खासकर बुनियादी ढांचे में खर्च बढ़ाने से वित्त वर्ष 22 में कर्ज में 8.9 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। एजेंसी ने अनुमान लगाया है कि वित्त वर्ष 21 में बैंकों की सकल गैर निष्पादित संपत्तियां (जीएनपीए) 8.8 प्रतिशत थीं। वित्त वर्ष 22 में यह बढ़कर 10.1 प्रतिशत तक हो सकती हैं और दबावग्रस्त संपत्तियां (जीएनपीए और पुनर्गठित कर्ज) 10.9 प्रतिशत हो सकती हैं। वित्त वर्ष 21 के लिए प्रॉविजनिंग लागत घटने का अनुमान है।