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एक करोड़ तक के फंसे कर्ज को जल्द निपटाएं: वित्त मंत्रालय ने बैंकों को दिया निर्देश

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निकेश सिंह   
Last Updated- May 29, 2023 | 10:40 PM IST

वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) को 20 लाख से एक करोड़ रुपये के ऋण चूककर्ताओं से आपसी सहमति के आधार पर एक बार समझौते (OTS) करने का निर्देश दिया है। इससे ऋण वसूली प्राधिकरण (DRT) पर बोझ कम पड़ने में मदद मिलेगी।

वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘डीआरटी में ऐसे लंबित मामले 72-74 फीसदी है। इससे डीआरटी पर बोझ कम होगा। इससे बैंकों को गैर निष्पादित आस्तियों (NPA) को वसूलने में भी मदद मिलेगी। समझौते से निपटने वाले इन मामलों में कम राशि वसूलने के बारे में संबंधित बैंक का बोर्ड फैसला करेगा। सभी बैंकों के लिए औसतन कम राशि तय नहीं की गई है।’

इस साल वित्त मंत्रालय ने साल की शुरुआत में लोकसभा को बताया था कि डीआरटी में फरवरी, 2023 तक 1,58,000 मामले लंबित हैं। डीआरटी में लंबित मामलों की भरमार है। विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने वित्त वर्ष 22 के पहले के पांच वर्षों में 4.43 लाख करोड़ मामले दर्ज किए थे। इनमें से प्राधिकरण ने 110498 मामले निपटा दिए थे।

ऋण की वसूली और दिवालियापन अधिनियम (आरडीबी अधिनियम), 1993 का ध्येय ऋण लेने वालों से बैंकों और वित्तीय संस्थानों के हितों की रक्षा करना है। यह अधिनियम उन व्यक्तिगत और साझेदार कंपनियों पर लागू होता है जिसमें बैंक या वित्तीय संस्थान के ऋण की राशि 20 लाख रुपये या उससे अधिक होती है।

बैंक जिन खातों से तीन वर्षों तक कोई वसूली नहीं कर पाते हैं और राशि 20 लाख रुपये से अधिक होती है तो बैंक डीआरटी में केस डालते हैं। वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘दरअसल जिन मामलों में डीआरटी केस दर्ज करवाते हैं और एक बार समझौते (ओटीएस) के विकल्प का इस्तेमाल करते हैं, ऐसे में दोनों पक्षों में आम सहमति हो।’

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मामला सुलटाने के लिए कम राशि लेना हरेक मामले पर अलग-अलग लागू होता है। इस बारे में संबंधित बैंक का बोर्ड फैसला लेता है। इस क्रम में दूसरे अधिकारी ने बताया, ‘यह कई मामलों पर निर्भर करता है जैसे प्राथमिक सिक्योरिटी का मूल्य क्या है, गांरटी देने वाले की नेट वर्थ कितनी है। इसके अलावा और भी कई कारक होते हैं।’

डीआरटी में मामलों का निपटान कम होता है। इसका कारण यह है कि इसमें आमतौर पर कम राशि लेकर मामले को हल नहीं किया जाता है जबकि राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (NCLT) में ऐसा होता है।

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सर्वोच्च न्यायालय ने बीते साल नवंबर में आदेश दिया था कि उच्च न्यायालय दोनों पक्षों के बीच आपसी समझौते पर हुए एक बार समझौते (OTS) में हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं और वे ऋण के पुन: भुगतान के लिए अवधि को भी नहीं बढ़ा सकते हैं। यह फैसला बिजनौर अर्बन कॉपरेटिव बैंक के मामले में आया था।

इस फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि ऋण देने वाला ओटीएस के लिए अपने अधिकार का दावा नहीं कर सकता है। अभी देश में 39 ऋण वसूली प्राधिकरण और पांच ऋण वसूली अपीलीय प्राधिकरण हैं।

वित्त मंत्रालय का ध्येय सभी डीआरटी में पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति करना है। इसका कारण यह है कि इनमें पद रिक्त हैं। इस क्रम में जानकारी देने वाले पहले अधिकारी ने बताया कि विभाग का वित्तीय सेवा विभाग अधिकारियों को प्रशिक्षण दे रहा है ताकि वे मामलों को जल्दी निपटाएं। हालांकि सरकार 100 करोड़ रुपये से अधिक के मामलों से निपटने के लिए डीआरटी के प्राधिकरण की संख्या बढ़ाने पर विचार नहीं कर रही है।

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नए डीआरटी खोलने के बारे में फैसला कई कारकों को ध्यान में रखकर किया जाता है जैसे मामलों की संख्या, प्रादेशिक क्षेत्राधिकार और वादियों के लिए सुविधा आदि। वित्त वर्ष 17 में छह नए डीआरटी खोले गए थे।

First Published : May 29, 2023 | 10:40 PM IST