अमेरिका में मौद्रिक नीति में सख्ती और वैश्विक जिंसों की कीमतों में तेजी के चलते बनने वाली किसी भी जोखिम की स्थिति से निपटने के लिए भारत में बाहरी पूंजी का आरक्षित भंडार पर्याप्त है। रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग ने एक बयान में कहा, ‘भारत के खजाने में बाहरी पूंजी कम हो रही है। लेकिन हमारा मानना है कि विदेशी मुद्रा भंडार में भी मजबूती रहेगी और भारत का चालू-खाता घाटा भी स्थायी रूप से स्थिर हो जाएगा।’
जून 2022 में फिच ने भारत की दीर्घावधि विदेशी-मुद्रा जारीकर्ता डिफॉल्ट रेटिंग (आईडीआर) को ‘नकारात्मक’ से ‘स्थिर’ कर दिया और देश की रेटिंग यानी आईडीआर ‘बीबीबी’ कर दी है। एजेंसी ने कहा कि रेटिंग में सार्वजनिक वित्त प्रमुख कारक बना रहेगा। एजेंसी के मुताबिक ये इन घटनाक्रमों से ज्यादा प्रभावित नहीं होंगे क्योंकि खासतौर पर भारत अपेक्षाकृत रूप से वैश्विक अस्थिरता से अछूता है और इसकी वजह यह है कि इसकी बाहरी वित्त पर निर्भरता कम है।
जनवरी-सितंबर 2022 में भारत के विदेशी आरक्षित भंडार में लगभग 101 अरब डॉलर की कमी आई लेकिन अब भी यह 533 अरब डॉलर के स्तर पर बना हुई है। हालांकि इस गिरावट की वजह से कोविड-19 महामारी के दौरान के आरक्षित भंडार में काफी बदलाव आया है। यह मूल्यांकन प्रभाव, एक व्यापक चालू खाता घाटे, भारतीय रुपये की विनिमय दर का समर्थन करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के कुछ हस्तक्षेप को दर्शाता है।
आरबीआई ने करीब दो-तिहाई गिरावट के लिए मूल्यांकन प्रभाव को जिम्मेदार ठहराया है। रेटिंग एजेंसी ने देखा कि सितंबर में लगभग 8.9 महीने के आयात खर्च के लिए पर्याप्त आरक्षित भंडार है। यह 2013 की तुलना में अधिक है, जब स्तर लगभग 6.5 महीने का था।