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Economic Survey: दो NPA दौर के बीच अंतर बढ़ाए बैंक, CEA ने कहा- ज्यादा मुनाफे को लेकर ग्राहकों को न करें गुमराह

Economic Survey: CEA नागेश्वरन ने कहा कि बैंकों और बीमा कंपनियों को आड़े हाथों लिया और कहा कि उन्हें कम समय में अधिक मुनाफा कमाने के लिए ग्राहकों को गुमराह करने से बचना चाहिए।

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आतिरा वारियर   
Last Updated- July 22, 2024 | 10:41 PM IST

CEA on Banking and Insurance: मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने बैंकिंग क्षेत्र को पिछले वैश्विक वित्तीय संकट से सबक लेने की नसीहत दी है। नागेश्वरन ने कहा कि बैंकों को दो गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के चक्र के दरम्यान अंतर बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने बैंकों और बीमा कंपनियों को आड़े हाथों लिया और कहा कि उन्हें कम समय में अधिक मुनाफा कमाने के लिए ग्राहकों को गुमराह करने से बचना चाहिए।

नागेश्वरन ने कहा, ‘कंपनियों का मुनाफा लगातार बढ़ रहा है और भारतीय बैंकों का शुद्ध ब्याज मार्जिन पिछले कई वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। यह अच्छी बात है। अधिक मुनाफा कमाने वाले बैंक अधिक ऋण आवंटित करते हैं। मगर अच्छे समय में भी हमें पिछले वित्तीय संकट से मिले सबक को नहीं भूलना चाहिए। बैंकिंग उद्योग को दो एनपीए दौर के बीच अंतर बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।’

पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारतीय बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार हुआ है। चुनिंदा ग्राहक जोड़ने पर ध्यान, प्रभावी ऋण वसूली और बड़े कर्जधारकों के बीच ऋणों को लेकर जानकारी बढ़ने से सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (GNPA) 2.8 प्रतिशत पर आ गई हैं, जो पिछले 12 वर्षों का सबसे निचला स्तर है। यह वित्त वर्ष 2018 में11.2 प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर था।

सूचीबद्ध वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) की परिसंपत्ति गुणवत्ता बेहतर रही है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि कृ​षि का सकल एनपीए मार्च 2024 की समाप्ति पर 6.5 प्रतिशत के ऊंचे स्तर पर रहा है, मगर वित्त वर्ष 2024 की दूसरी छमाही में इसमें लगातार सुधार दर्ज हुआ।

व्यक्तिगत ऋण श्रेणी में जीएनपीए अनुपात सभी श्रेणियों मंस बढ़ा है। औद्योगिक क्षेत्र में सभी उप-क्षेत्रों में परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार हुआ है, केवल वाहन एवं परिवहन उपकरण में स्थिति में हालात तेजी से नहीं सुधर रहे हैं।

सीईए ने कहा कि ग्राहकों के हितों को ताक पर रख कर वित्तीय क्षेत्र को कम समय में अधिक मुनाफा कमाने की सोच से दूर रहना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘इन दिनों ग्राहकों को गुमराह कर उत्पाद एवं योजनाएं बेचने के मामले तेजी से बढ़े हैं। बीमा क्षेत्र के मामले में भी यही बात लागू होती है। देश में बीमा सेवा अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए बीमा दावों का त्वरित एवं पूरी साफगोई के साथ निपटान करना जरूरी है।‘ उन्होंने कहा कि ग्राहकों को गुमराह कर उत्पादों की बिक्री की बात स्वीकार करना और उन्हें मुआवजा देना एक अच्छा कारोबारी व्यवहार है।

आर्थिक समीक्षा के अनुसार जीवन बीमा कंपनियों (अगर एलआईसी को इस सूची से बाहर रखा जाए तो) के खिलाफ जितनी शिकायतें आती हैं उनमें 50 प्रतिशत से अधिक अनुचित कारोबारी व्यवहार से जुड़े होते हैं। सामान्य जीवन बीमा कंपनियों के खिलाफ 66 प्रतिशत शिकायतें दावे एवं इनके निपटान में देरी और दावे अस्वीकार होन से जुड़े थे।

इंश्योरेंस ब्रोकर्स एसोशिएशन ऑफ इंडिया (आईबीएआई) के उपाध्यक्ष नरेंद्र भारिंदवाल ने कहा, ‘बीमा क्षेत्र में ग्राहकों को बहला-फुसला कर उनकी जरूरत से इतर योजनाएं बेचना एक गंभीर मुद्दा बनकर सामने आया है। बीमा कंपनियां कम समय में अपना कारोबार अधिक से अधिक बढ़ाने के उद्देश्य से ऐसा कर रही हैं।‘

भारिंदवाल ने कहा कि खुदरा स्वास्थ्य एवं जीवन बीमा खंड में ऐसी शिकायतें अधिक देखी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि बीमा उद्योग ने इन्हें दूर करने के लिए कुछ कदम उठाए हैं, जिनमें ग्राहकों को पॉलिसी बेचते समय कॉल रिकॉर्डिंग शामिल हैं।

First Published : July 22, 2024 | 10:41 PM IST